क्या योगी सरकार की कोर्ट में प्रभावी पैरवी का असर शुभम जायसवाल और भोला प्रसाद पर एनडीपीएस एक्ट के मुकदमे पर पड़ेगा?

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क्या योगी सरकार की कोर्ट में प्रभावी पैरवी का असर शुभम जायसवाल और भोला प्रसाद पर एनडीपीएस एक्ट के मुकदमे पर पड़ेगा?

सारांश

योगी सरकार को इलाहाबाद उच्च न्यायालय में कोडिन युक्त कफ सिरप के अवैध डायवर्जन से जुड़े मामलों में महत्वपूर्ण कानूनी सफलता मिली है। 22 मामलों में आरोपियों की रिट याचिकाएं खारिज कर दी गई हैं, जिससे सरकार की ड्रग नीति को मजबूती मिली है।

Key Takeaways

  • योगी सरकार ने एनडीपीएस एक्ट के तहत मामलों में महत्वपूर्ण जीत हासिल की।
  • इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने 22 मामलों में रिट याचिकाएं खारिज की।
  • कोडिनयुक्त सिरप के अवैध उपयोग पर कड़ी कार्रवाई का रास्ता साफ हुआ।

लखनऊ, 19 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। कोडिन युक्त कफ सिरप के अवैध डायवर्जन से जुड़े मामलों में योगी सरकार को महत्वपूर्ण कानूनी सफलता मिली है। इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने इन मामलों में एनडीपीएस एक्ट के तहत मुकदमा चलाने को पूरी तरह सही ठहराते हुए 22 मामलों में आरोपियों की रिट याचिकाओं को खारिज कर दिया है।

इसके साथ ही, कोर्ट ने आरोपियों द्वारा अरेस्ट स्टे की रिट याचिकाओं को भी खारिज कर दिया है। कोर्ट का यह निर्णय योगी सरकार की सख्त ड्रग नीति और कोर्ट में प्रभावी पैरवी की एक बड़ी जीत के रूप में देखा जा रहा है।

इलाहाबाद उच्च न्यायालय में कोडिनयुक्त सिरप के कुल 22 मामलों में एनडीपीएस एक्ट के तहत कार्रवाई की मांग को लेकर रिट याचिकाएं दायर की गई थीं। याचिकाओं में यह तर्क दिया गया था कि कोडिनयुक्त कफ सिरप पर एनडीपीएस एक्ट की धाराएं लागू नहीं होतीं और इस आधार पर उनके खिलाफ दर्ज मुकदमों को रद्द किया जाए।

कई याचिकाकर्ताओं ने गिरफ्तारी पर रोक की भी मांग की थी, लेकिन कोर्ट ने सभी तर्कों को खारिज कर दिया। इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने स्पष्ट किया कि यदि कोडिनयुक्त सिरप का उपयोग या भंडारण अवैध रूप से, बिना वैध लाइसेंस और निर्धारित मानकों के बाहर किया जाता है, तो वह एनडीपीएस एक्ट के दायरे में आता है और उस पर सख्त कार्रवाई पूरी तरह वैध है।

इन 22 मामलों में शुभम जायसवाल और आसिफ मोहम्मद के खिलाफ दर्ज दो अलग-अलग मामले भी शामिल थे। आरोपियों ने न केवल एनडीपीएस एक्ट के तहत मुकदमा चलाए जाने को चुनौती दी थी, बल्कि अपनी गिरफ्तारी पर रोक लगाने के लिए भी हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था।

हाईकोर्ट ने उनकी अरेस्ट स्टे से जुड़ी रिट याचिकाओं को भी खारिज कर दिया, जिससे अब उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई का रास्ता पूरी तरह साफ हो गया है। इस पूरे मामले में योगी सरकार की ओर से अपर महाधिवक्ता अनूप त्रिवेदी ने चार दिनों तक लगातार कोर्ट में प्रभावी बहस की।

उन्होंने हाईकोर्ट के समक्ष देश के विभिन्न हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के उन आदेशों को प्रस्तुत किया, जिनमें कोडिनयुक्त सिरप के मामलों में एनडीपीएस एक्ट के तहत मुकदमा चलाए जाने को सही ठहराया गया है। सरकारी पक्ष ने यह भी बताया कि कफ सिरप की आड़ में नशे का अवैध कारोबार किया जा रहा है, जिससे समाज और युवाओं पर गंभीर दुष्प्रभाव पड़ रहा है। ऐसे मामलों में यदि एनडीपीएस एक्ट जैसी कड़ी कानूनी धाराएं लागू न की जाएं, तो नशे के नेटवर्क को तोड़ना मुश्किल हो जाएगा।

हाईकोर्ट ने अपने आदेश में एफएसडीए (फूड सेफ्टी एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन) और पुलिस, एसटीएफ द्वारा प्रस्तुत किए गए साक्ष्यों को भी महत्वपूर्ण माना। कोर्ट ने यह तथ्य रखा कि कई मामलों में कफ सिरप की मात्रा, भंडारण का तरीका और वितरण एनडीपीएस नियमों का स्पष्ट उल्लंघन करता है। इन्हीं तथ्यों के आधार पर कोर्ट ने सभी 22 रिट याचिकाओं को खारिज कर दिया। सभी 22 रिट याचिकाएं वाराणसी, गाजियाबाद, जौनपुर, कानपुर नगर, बस्ती, सोनभद्र और बदायूं से संबंधित हैं।

हाईकोर्ट ने जिन आरोपियों की रिट याचिकाएं खारिज की हैं, उनमें अभिषेक शर्मा, विनोद अग्रवाल, प्रतीक मिश्रा और अन्य चार, विशाल कुमार जायसवाल और अन्य चार, भोला प्रसाद, नीरज सेठ और अन्य, शुभम जायसवाल, पप्पन यादव, मो. सलमान अंसारी, अनुप्रिया सिंह, अंकित कुमार श्रीवास्तव, दिलीप कुमार उमर, मेसर्स मिलन ड्रग सेंटर और 6 अन्य, मंजू शर्मा और अन्य, आसिफ मोहम्मद, अरुण सोनकर (सही नाम अर्जुन सोनकर), खुशबू गोयल, धर्मेंद्र कुमार अग्रवाल, अक्षत यादव और अजित यादव शामिल हैं।

Point of View

यह निर्णय स्पष्ट करता है कि सरकार नशे के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने के लिए प्रतिबद्ध है। यह कदम न केवल कानूनी दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह समाज में नशे के खिलाफ जागरूकता फैलाने में भी सहायता करेगा।
NationPress
19/12/2025

Frequently Asked Questions

एनडीपीएस एक्ट क्या है?
एनडीपीएस एक्ट का उद्देश्य नशे के पदार्थों के उत्पादन, वितरण और उपयोग को नियंत्रित करना है।
कोडिन युक्त कफ सिरप का अवैध उपयोग क्या है?
कोडिन युक्त कफ सिरप का अवैध उपयोग आमतौर पर नशे के लिए किया जाता है, जो कि समाज के लिए हानिकारक है।
हाईकोर्ट का निर्णय क्यों महत्वपूर्ण है?
हाईकोर्ट का निर्णय योगी सरकार की ड्रग नीति की प्रभावशीलता को दर्शाता है और नशे के खिलाफ सख्त कार्रवाई की आवश्यकता को रेखांकित करता है।
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