क्या सीएम चंद्रबाबू नायडू की टिप्पणियों पर वाईएसआरसीपी के सज्जला राम कृष्ण रेड्डी ने सवाल उठाए?

सारांश
Key Takeaways
- वाईएसआरसीपी ने चंद्रबाबू नायडू की 'सार्थक चर्चा' की चुनौती पर सवाल उठाया।
- सज्जला रामकृष्ण रेड्डी ने विपक्ष के लिए उचित दर्जे की मांग की।
- राज्य में किसानों की समस्याएँ बढ़ रही हैं।
- सरकार की नाकामियों को उजागर करने का अधिकार विपक्ष का है।
- जनता में निराशा और नाराजगी का माहौल है।
ताडेपल्ली, 2 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। आंध्र प्रदेश में वाईएसआर कांग्रेस पार्टी (वाईएसआरसीपी) के राज्य समन्वयक सज्जला रामकृष्ण रेड्डी ने टीडीपी प्रमुख एवं मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू की विधानसभा में "सार्थक चर्चा" की चुनौती पर कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। उन्होंने कहा कि सार्थक चर्चा का अर्थ स्पष्ट नहीं है।
उन्होंने आगे कहा, "आंध्र प्रदेश विधानसभा में चार दलों का प्रतिनिधित्व है, जिनमें से तीन सत्तारूढ़ गठबंधन का हिस्सा हैं। विपक्ष में केवल वाईएसआरसीपी है, जो अकेले जनता की आवाज उठाने का प्रयास कर रही है।"
रेड्डी ने कहा, "हमारी मांग बिल्कुल स्पष्ट है। हम विपक्ष के रूप में उचित दर्जा चाहते हैं, जो कोई विशेष सम्मान नहीं, बल्कि सरकार से प्रश्न पूछने, जनता के मुद्दे उठाने और उसकी नाकामियों को उजागर करने का लोकतांत्रिक अधिकार है।"
उन्होंने यह भी कहा कि विपक्ष का दर्जा हमें विधानसभा में समय और स्थान देता है, जो नियमों के तहत हमारा हक है।
रेड्डी ने नायडू पर कटाक्ष करते हुए कहा कि मुख्यमंत्री की चुनौती केवल दिखावा है, जबकि वाईएसआरसीपी हमेशा रचनात्मक विपक्ष की भूमिका निभाने को तत्पर है। उन्होंने सरकार से जनहित के मुद्दों पर जवाबदेही की मांग की।
उन्होंने कहा, "हम किसी से कोई एहसान नहीं मांग रहे हैं। हम वही मांग रहे हैं जो उचित और न्यायसंगत हो। अगर सरकार को भरोसा है, तो हमें विपक्ष का दर्जा दे दे। इससे हमें सवाल करने और मुद्दे उठाने का पर्याप्त समय मिलेगा। जगन मोहन रेड्डी अकेले ही उनके झूठे दावों का खंडन करने के लिए पर्याप्त हैं। हमारे 11 विधायक उनके 164 विधायकों से सवाल पूछने के लिए पर्याप्त हैं।"
रेड्डी ने कहा कि इस समय राज्य में हालात बिगड़ते जा रहे हैं। किसान अपनी फसलों के उचित दाम न मिलने से परेशान हैं। उन्हें यूरिया जैसी खाद पाने के लिए भी संघर्ष करना पड़ रहा है। जरूरी चीजें महंगी होती जा रही हैं।
उन्होंने कहा, "इस सरकार के खिलाफ लोगों में निराशा और नाराजगी बढ़ रही है। किसान, मजदूर और आम लोग हर जगह अपनी निराशा जाहिर कर रहे हैं। इसके उलट, जगन मोहन रेड्डी जब भी बाहर जाते हैं, हजारों लोग उनसे मिलने आते हैं और उन पर अपना भरोसा जताते हैं।"