क्या अदाणी पोर्ट्स भारत की पहली इंटीग्रेटेड ट्रांसपोर्ट यूटिलिटी बन गई है जो टीएनएफडी फ्रेमवर्क को अपनाती है?

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क्या अदाणी पोर्ट्स भारत की पहली इंटीग्रेटेड ट्रांसपोर्ट यूटिलिटी बन गई है जो टीएनएफडी फ्रेमवर्क को अपनाती है?

सारांश

अदाणी पोर्ट्स एंड स्पेशल इकोनॉमिक जोन लिमिटेड ने टीएनएफडी फ्रेमवर्क को अपनाने वाली भारत की पहली इंटीग्रेटेड ट्रांसपोर्ट यूटिलिटी बनने का गौरव प्राप्त किया है। यह कदम प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण में एक नया मापदंड स्थापित करता है। जानें, यह कदम किस प्रकार समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र की सुरक्षा को और मजबूत बनाता है।

Key Takeaways

  • अदाणी पोर्ट्स ने टीएनएफडी फ्रेमवर्क को अपनाया।
  • भारत की पहली इंटीग्रेटेड ट्रांसपोर्ट यूटिलिटी बनने का गौरव।
  • जैव विविधता और पारिस्थितिकी तंत्र की सुरक्षा के प्रति प्रतिबद्धता।
  • स्थायी समुद्री रसद क्षेत्र में अग्रणी बनने का लक्ष्य।
  • 4,200 हेक्टेयर मैंग्रोव का वनीकरण।

अहमदाबाद, 12 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। अदाणी पोर्ट्स एंड स्पेशल इकोनॉमिक जोन लिमिटेड (एपीएसईजेड) ने बुधवार को घोषणा की कि वह टास्कफोर्स ऑन नेचर-रेलेटेड फाइनेंशियल डिस्क्लोजर्स (टीएनएफडी) फ्रेमवर्क को अपनाने वाली भारत की पहली इंटीग्रेटेड ट्रांसपोर्ट यूटिलिटी बन गई है। इस कदम के साथ, नेचर-पॉजिटिव इन्फ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट का एक नया मानक स्थापित हुआ है।

टीएनएफडी फ्रेमवर्क को अपनाकर, एपीएसईजेड उन चुनिंदा वैश्विक पोर्ट ऑपरेटर्स की श्रेणी में शामिल हो गया है जो जैव विविधता के संरक्षण में अग्रणी हैं। यह फ्रेमवर्क विज्ञान-आधारित और पारदर्शी पर्यावरणीय डिस्क्लोजर्स के माध्यम से समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र की सुरक्षा के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को प्रमाणित करता है।

कंपनी ने यह भी कहा कि वह प्रकृति से संबंधित निर्भरताओं, प्रभावों, जोखिमों और अवसरों पर टीएनएफडी फ्रेमवर्क से जुड़े रिपोर्टिंग मानकों को लागू करने के लिए समर्पित है।

टीएनएफडी एक वैश्विक, विज्ञान-आधारित पहल है, जिसे संयुक्त राष्ट्र के पर्यावरण कार्यक्रम वित्त पहल (यूएनईपी एफआई), संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (यूएनडीपी), विश्व वन्यजीव कोष (डब्ल्यूडब्ल्यूएफ) और ग्लोबल कैनोपी के एक गठबंधन द्वारा स्थापित किया गया है। इसका उद्देश्य कंपनियों को प्रकृति से संबंधित जोखिमों और अवसरों की पहचान, आकलन, प्रबंधन और प्रकटीकरण में मार्गदर्शन करना है।

एपीएसईजेड के पूर्णकालिक निदेशक और सीईओ अश्विनी गुप्ता ने कहा, "हमारा मानना है कि जिम्मेदार व्यावसायिक व्यवहार दीर्घकालिक सफलता का मूल मंत्र है। टीएनएफडी फ्रेमवर्क को अपनाना, सीओपी30 में प्रकृति-संबंधी कॉर्पोरेट रिपोर्टिंग के लिए हमारे समर्थन को दर्शाता है। हम प्रकृति-संबंधी मुद्दों को एक रणनीतिक जोखिम प्रबंधन प्राथमिकता के रूप में मानते हैं। टीएनएफडी फ्रेमवर्क हमारे निर्णय लेने की प्रक्रियाओं में प्रकृति को एकीकृत करने में सहायक है और जैव विविधता संरक्षण में हमारे योगदान को बढ़ाने में मदद करता है।"

यह कदम एपीएसईजेड की प्रकृति-पॉजिटिव इन्फ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट के प्रति प्रतिबद्धता को और मजबूत बनाता है और इसे स्थायी समुद्री रसद क्षेत्र में एक अग्रणी खिलाड़ी के रूप में स्थापित करता है।

इस प्रतिबद्धता के तहत, अदाणी पोर्ट्स वित्त वर्ष 26 से अपनी कॉर्पोरेट रिपोर्टिंग में टीएनएफडी की सिफारिशों के अनुरूप डिस्क्लोजर मानकों को और बेहतर बनाएगा।

कंपनी ने पहले ही जलवायु जोखिम आकलन और डिस्क्लोजर प्रैक्टिस को एक संस्थागत रूप दे दिया है, जो विश्व स्तर पर मान्यता प्राप्त फ्रेमवर्क के अनुरूप हैं। इसके साथ ही, कंपनी ने 4,200 हेक्टेयर से अधिक मैंग्रोव का वनीकरण किया है और 3,000 हेक्टेयर अतिरिक्त क्षेत्र का सक्रिय रूप से संरक्षण किया है, जिससे यह भारत में मैंग्रोव पारिस्थितिकी तंत्र की बहाली में निजी क्षेत्र की सबसे बड़ी योगदानकर्ता बन गई है।

एपीएसईजेड भारत के पश्चिमी, दक्षिणी और पूर्वी तटों पर रणनीतिक रूप से स्थित 15 पोर्ट्स और टर्मिनलों के एक व्यापक इकोसिस्टम का संचालन करता है, जो इसे देश का सबसे बड़ा निजी पोर्ट ऑपरेटर बनाता है।

Point of View

अदाणी पोर्ट्स का यह कदम न केवल भारत के पर्यावरण संरक्षण के प्रयासों को एक नई ऊंचाई पर ले जाता है, बल्कि यह देश की आर्थिक वृद्धि में भी महत्वपूर्ण योगदान देगा। हमें ऐसे पहलों का समर्थन करना चाहिए जो प्रकृति और विकास के बीच संतुलन बनाए रख सकें।
NationPress
12/11/2025

Frequently Asked Questions

टीएनएफडी क्या है?
टीएनएफडी एक वैश्विक, विज्ञान-आधारित पहल है जिसका उद्देश्य कंपनियों को प्रकृति से संबंधित जोखिमों और अवसरों की पहचान, आकलन, प्रबंधन और प्रकटीकरण में मार्गदर्शन करना है।
अदाणी पोर्ट्स ने किस प्रकार की पहल की है?
अदाणी पोर्ट्स ने टीएनएफडी फ्रेमवर्क को अपनाकर जैव विविधता और समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र की सुरक्षा के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को मजबूत किया है।
इस पहल का भारत पर क्या प्रभाव पड़ेगा?
यह पहल भारत में प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण और स्थायी विकास में योगदान करेगी, साथ ही इसे वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनाएगी।