क्या बैंकिंग सेक्टर में वित्त वर्ष 26 की तीसरी तिमाही से चुनौतियों में कमी आएगी और मुनाफे में सुधार होगा?

सारांश
Key Takeaways
- मार्जिन में सुधार
- लोन यील्ड में गिरावट
- आय वृद्धि की संभावना
- प्रवर्तन के संकेत
- बैंकिंग क्षेत्र का भविष्य
नई दिल्ली, 17 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। मार्जिन में कमी और लोन यील्ड में गिरावट के कारण पहली छमाही में आई चुनौतियों के बाद भारत के बैंकिंग सेक्टर में वित्त वर्ष 26 की तीसरी तिमाही में फिर से सुधार देखने को मिलेगा। यह जानकारी गुरुवार को जारी की गई एक रिपोर्ट में प्रस्तुत की गई।
मोतीलाल ओसवाल इंस्टीट्यूशनल इक्विटीज के अनुसार, निजी और सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक एक बदलाव के दौर में प्रवेश कर रहे हैं, जहां जमा पुनर्मूल्यन, प्रणालीगत तरलता प्रवाह और परिसंपत्ति गुणवत्ता में सुधार से आय में वृद्धि होने लगी है।
इस सुधार का प्रभाव धीरे-धीरे दिख रहा है और इससे वित्त वर्ष 27 में दोहरे अंकों की आय वृद्धि की दिशा तय होगी।
रिपोर्ट में बताया गया कि कई बैंकों ने विभिन्न अवधियों के बचत खाते और सावधि जमा की दरों में 20 से 100 आधार अंकों की कटौती की है, जिसका वित्त वर्ष 26 की दूसरी छमाही में और गहरा असर पड़ने की उम्मीद है।
इसमें कहा गया है कि रेपो दर में कटौती और आगे के तरलता समर्थन के साथ, शुद्ध ब्याज मार्जिन (एनआईएम) के स्थिर होने और तीसरी तिमाही से आय में वृद्धि की संभावना है।
विशेष रूप से, खुदरा असुरक्षित और सूक्ष्म वित्त संस्थान (एमएफआई) की परिसंपत्ति गुणवत्ता पर दबाव कम हो रहा है, जिससे प्रोविजन राइट-बैक की संभावनाएं बन रही हैं। सभी क्षेत्रों में चालू खाता बचत खाता (सीएएसए) अनुपात में गिरावट के बावजूद, मजबूत लायबिलिटी प्रोफाइल वाले बैंक मार्जिन दबावों का सामना करने के लिए बेहतर स्थिति में हैं।
रिपोर्ट में अनुमान है कि निजी बैंकों का कुल प्रावधान-पूर्व परिचालन लाभ (पीपीओपी) वित्त वर्ष 2026 की पहली तिमाही के 698 अरब रुपए से बढ़कर चौथी तिमाही में 831 अरब रुपए हो जाएगा, जो आय में व्यापक सुधार के कारण होगा।
अंत में, रिपोर्ट में कहा गया है कि वित्त वर्ष 2027 में बैंकिंग क्षेत्र में जोरदार उछाल देखने को मिलेगा।
रिपोर्ट के अनुसार, "मार्जिन में सुधार और कम ऋण लागत के चलते, निजी बैंकों की आय वृद्धि वित्त वर्ष 2026 के 6.9 प्रतिशत से बढ़कर 21.7 प्रतिशत होने की उम्मीद है।"