क्या बाजार में मौसम और रंग तेजी से बदलते हैं? सीजफायर के ऐलान का असर!

सारांश
Key Takeaways
- सीजफायर ने निवेशकों का विश्वास बढ़ाया है।
- बाजार में तेजी की संभावना बनी हुई है।
- ऊर्जा कीमतों पर नियंत्रण से मुद्रास्फीति में कमी आएगी।
- ग्लोबल मार्केट में सुधार का असर भारतीय बाजार पर भी पड़ेगा।
- स्थिति स्थिर रहने पर बाजार में सुधार लंबे समय तक हो सकता है।
नई दिल्ली, 24 जून (राष्ट्र प्रेस)। ईरान और इजरायल के बीच सीजफायर की घोषणा के पश्चात मार्केट विशेषज्ञ सुनील शाह ने मंगलवार को कहा कि बाजार में मौसम और रंग तेजी से बदल जाते हैं। जहां सोमवार को बाजार की शुरुआत में 800 अंक की गिरावट देखी गई थी, वहीं आज बाजार में तेजी का माहौल बना हुआ है। सेंसेक्स इंट्रा-डे में 1000 अंक से अधिक तेजी के साथ कारोबार कर रहा था।
मार्केट एक्सपर्ट सुनील शाह ने न्यूज एजेंसी राष्ट्र प्रेस से कहा, "बीते दिन बाजार की गिरावट का एकमात्र कारण पश्चिम एशिया में भू-राजनीतिक तनाव था। अमेरिका ने ईरान की तीन न्यूक्लियर साइट्स पर अटैक किया, जिससे स्थिति और ज्यादा खराब हो गई थी। निवेशकों के मन में दो देशों के बीच तनाव का एक बड़े युद्ध में बदलने का डर बना हुआ था।"
उन्होंने आगे कहा, "सीजफायर के एलान के बाद निवेशकों के मन में विश्वास आया कि संघर्ष का सबसे बुरा दौर खत्म हो चुका है।"
शाह ने बताया कि अगर दोनों देशों के बीच युद्ध रुक जाता है, तो इसका प्रभाव ऊर्जा कीमतों पर पड़ेगा। खासकर तेल की कीमतों में उछाल से किसी भी देश के तेल आयात बिल में वृद्धि होती है और इसका सीधा प्रभाव मुद्रास्फीति की दर बढ़ने के रूप में देखा जाता है, जो देश के आर्थिक विकास को नुकसान पहुंचाती है।
उन्होंने कहा कि युद्ध विराम से तेल की कीमतें नियंत्रित रहेंगी। इस डेवलपमेंट को कैपिटल मार्केट के लिए सकारात्मक माना जाना चाहिए।
ग्लोबल मार्केट को लेकर शाह ने कहा कि दूसरे देशों के बाजार जब लाल निशान में कारोबार करते हैं तो इसका असर भारतीय शेयर बाजार पर भी देखने को मिलता है।
उन्होंने कहा, "युद्ध की स्थिति दुनिया भर के बाजारों को प्रभावित करने वाली थी। इसलिए स्थिति के नियंत्रण में आने के साथ ही ग्लोबल मार्केट भी हरे निशान पर कारोबार कर रहे थे।"
आगे की स्थिति के लिए शाह ने उम्मीद जताई है कि अगर सीजफायर की स्थिति ठीक तरह से बनी रहती है तो भारतीय शेयर बाजार में तेजी का माहौल लंबे समय तक बना रहेगा।