क्या भारत ग्लोबल साउथ के साथ एआई मॉडल साझा करने के लिए तैयार है?

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क्या भारत ग्लोबल साउथ के साथ एआई मॉडल साझा करने के लिए तैयार है?

सारांश

भारत अब ग्लोबल साउथ के साथ एआई मॉडल साझा करने की योजना बना रहा है। यह कदम भारतीय भाषाई विविधता को नेचुरल लैंग्वेज प्रोसेसिंग और मल्टीलिंग्वल एआई के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाने का अवसर प्रदान करेगा।

Key Takeaways

  • भारत ग्लोबल साउथ के साथ एआई मॉडल साझा करने के लिए तैयार है।
  • भाषाई विविधता नेचुरल लैंग्वेज प्रोसेसिंग में मदद कर सकती है।
  • ग्लोबल हेल्थकेयर के लिए व्यापक डेटासेट का निर्माण।
  • शिक्षा और उद्योग में बहु-हितधारक भागीदारी को प्रोत्साहित करना।

नई दिल्ली, २५ जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। आईटी सचिव एस. कृष्णन ने शुक्रवार को बताया कि भारत अपने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) मॉडल को ग्लोबल साउथ के साथ साझा करने के लिए तत्पर है।

कृष्णन ने उल्लेख किया कि भारत की भाषाई विविधता ग्लोबल साउथ के लिए नेचुरल लैंग्वेज प्रोसेसिंग (एनएलपी) और मल्टीलिंग्वल एआई टूल्स के विकास में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है।

फेडरेशन ऑफ इंडियन चैंबर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (फिक्की) के 'भाषांतर 2025' सम्मेलन में आईटी सचिव ने कहा, "अगर आप इसे भारत में कर सकते हैं, तो आप इसे व्यावहारिक रूप से दुनिया में कहीं भी कर सकते हैं।"

संयुक्त राष्ट्र के अधिकारियों ने पहले भारत के एआई विकास के लिए सहयोगात्मक दृष्टिकोण में रुचि व्यक्त की थी, जिसके परिणामस्वरूप अब देश द्वारा ग्लोबल साउथ के साथ एआई मॉडल साझा करने का इरादा सार्वजनिक रूप से घोषित किया गया है।

यह कदम भारत को एक अन्य एआई इकोसिस्टम का संभावित विकल्प बनाता है, जो मल्टीलिंग्वल, रिसोर्स-कंस्ट्रेन्ड एनवायरनमेंट के लिए विशिष्ट समाधान प्रदान करता है।

भारत ने मिशन भाषिणी और 'अनुवादिनी' एप्लिकेशन के माध्यम से इस क्षेत्र में अपनी विशेषज्ञता साबित की है, जिसने क्षेत्रीय बोलियों को समझने पर जोर देते हुए ह्यूमन लैंग्वेज टेक्नोलॉजी (एचएलटी) को आगे बढ़ाया है।

एक सरकारी कार्यक्रम इंडियाएआई मिशन ने मल्टीलिंग्वल एआई सॉल्यूशन के विकास में शोधकर्ताओं और उद्यमियों की सहायता के लिए 400 से अधिक डेटाबेस वाला एक डेटा संग्रह 'एआई कोष' तैयार किया है।

भारत ग्लोबल हेल्थकेयर और रीसर्च कम्युनिटी के लिए व्यापक डेटासेट बनाने के लिए आयुर्वेदिक ग्रंथों और ऐतिहासिक पांडुलिपियों सहित पारंपरिक ज्ञान का डिजिटलीकरण भी कर रहा है। अन्य देशों के मुकाबले, भारत का दृष्टिकोण शिक्षा जगत, उद्योग और अनुसंधान संस्थानों में बहु-हितधारक भागीदारी को प्रोत्साहित करता है।

सम्मेलन में, उद्योग जगत के नेताओं ने भारत की एआई महत्वाकांक्षाओं को आगे बढ़ाने के लिए निजी क्षेत्र के योगदान को बढ़ाने का संकल्प लिया।

गूगल में रिसर्च एंड एआई पार्टनरशिप्स एशिया-प्रशांत प्रमुख और फिक्की की बहुभाषी इंटरनेट समिति के सह-अध्यक्ष हर्ष ढांड ने सरकार और सार्वजनिक प्रसारकों से ऐतिहासिक डेटा को अनलॉक करने और प्रयासों के दोहराव को रोकने के लिए रिसर्च संस्थानों को जोड़ने का अनुरोध किया।

Point of View

बल्कि ग्लोबल हेल्थकेयर और शिक्षा में भी सहयोग को बढ़ाएगा।

NationPress
09/09/2025

Frequently Asked Questions

भारत क्यों एआई मॉडल साझा कर रहा है?
भारत अपनी भाषाई विविधता और इनफ्रास्ट्रक्चर के माध्यम से ग्लोबल साउथ के साथ एआई में सहयोग बढ़ाना चाहता है।
क्या एआई मॉडल साझा करने से भारत को फायदा होगा?
हाँ, यह ग्लोबल साउथ के साथ अनुसंधान और विकास में सहयोग को बढ़ाएगा।