क्या भारत हाइड्रोजन के हर मॉलिक्यूल में विश्वास पैदा कर रहा है? : हरदीप सिंह पुरी

Click to start listening
क्या भारत हाइड्रोजन के हर मॉलिक्यूल में विश्वास पैदा कर रहा है? : हरदीप सिंह पुरी

सारांश

भारत ने हाइड्रोजन के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने ग्रीन हाइड्रोजन सर्टिफिकेशन स्कीम की जानकारी दी। यह स्कीम हाइड्रोजन की पारदर्शिता और विश्वसनीयता को बढ़ावा देगी। जानें, यह योजना भारत की हाइड्रोजन इकोनॉमी को कैसे प्रभावित करेगी।

Key Takeaways

  • ग्रीन हाइड्रोजन की पारदर्शिता बढ़ेगी।
  • भारत 2030 तक 900 केटीपीए क्षमता हासिल करने का लक्ष्य रखता है।
  • रिन्यूएबल ऊर्जा का उपयोग बढ़ेगा।
  • आयात में 1 लाख करोड़ रुपए की बचत होगी।
  • हाइड्रोजन की इकोनॉमी को सशक्त किया जाएगा।

नई दिल्ली, 22 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। केंद्रीय पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने शनिवार को कहा कि भारत हाइड्रोजन के हर मॉलिक्यूल में विश्वास पैदा कर रहा है। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर ग्रीन हाइड्रोजन सर्टिफिकेशन स्कीम को लेकर जानकारी देते हुए एक वीडियो पोस्ट किया।

केंद्रीय मंत्री ने जानकारी देते हुए लिखा, "ग्रीन हाइड्रोजन सर्टिफिकेशन स्कीम (जीएचसीआई) को इस वर्ष अप्रैल में लॉन्च किया गया था। यह स्कीम सुनिश्चित करता है कि हाइड्रोजन वास्तव में ग्रीन हो, जिसका उत्पादन रिन्यूएबल पावर का इस्तेमाल कर किया जाता है।"

उन्होंने बताया कि आईओसीएल, बीपीसीएल, एचपीसीएल, ओएनजीसी, एनआरएल और सीपीसीएल जैसी सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियां 2030 तक 900 केटीपीए क्षमता विकसित कर रही हैं, जिससे ग्रे हाइड्रोजन को रिप्लेस करने और आयात में 1 लाख करोड़ रुपए की बचत करने में महत्वपूर्ण मदद मिलेगी।

वीडियो में दी गई जानकारी के अनुसार, भारत क्लीन एनर्जी के एक नए दौर में प्रवेश कर रहा है। देश की जीएचसीआई बताती है कि हाइड्रोजन को किस प्रकार मापा जाता है, मॉनिटर किया जाता है और वेरिफाई किया जाता है। यह स्कीम प्रोडक्शन से लेकर इस्तेमाल तक की इसकी यात्रा को ट्रैक करती है।

इस फ्रेमवर्क के तहत, केवल वही हाइड्रोजन ग्रीन माना जाता है जो रिन्यूएबल एनर्जी का इस्तेमाल कर बनाया गया हो। इसी तरह, हर किलोग्राम हाइड्रोजन से 2 किलोग्राम से अधिक कार्बन डाइऑक्साइड न निकलना इसे ग्रीन मानता है। भारत की हाइड्रोजन इकोनॉमी में ट्रांसपेरेंसी और ग्लोबल क्रेडिबिलिटी आए इसके लिए हर प्रोड्यूसर का ब्यूरो ऑफ एनर्जी एफ्शिएंसी से मान्यता प्राप्त वेरिफिकेशन एजेंसियों से ऑडिट होना जरूरी है।

जीएचसीआई एक सर्टिफिकेशन से बढ़कर ओरिजिन की गारंटी है, इंटीग्रिटी, सस्टेनेबिलिटी और सेल्फ-सफिशिएंसी की मुहर है, जो पीएम मोदी के विजनरी लीडरशिप में भारत को एक ऐसे भविष्य की ओर ले जा रहा है जो ग्रीन, फेयर और भरोसेमंद है।

वीडियो के अनुसार, पानीपत, विजाग, बीना, नुमालिगा और ऑफशोर क्लस्टर्स के प्रोजेक्ट्स रिफाइनरियों और इंडस्ट्रीज में ग्रे हाइड्रोजन की जगह लेंगे, जिससे जल्द ही देश को जीवाश्म ईंधन आयात में 1 लाख करोड़ रुपए की बचत होगी।

Point of View

NationPress
10/12/2025

Frequently Asked Questions

ग्रीन हाइड्रोजन सर्टिफिकेशन स्कीम क्या है?
यह स्कीम हाइड्रोजन के उत्पादन में रिन्यूएबल ऊर्जा के उपयोग को सुनिश्चित करती है और इसकी पारदर्शिता को बढ़ावा देती है।
भारत की हाइड्रोजन इकोनॉमी का महत्व क्या है?
यह भारत को ऊर्जा आत्मनिर्भर बनाने में मदद करेगी और जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता कम करेगी।
Nation Press