क्या भारत का बायोगैस सेक्टर 2026-27 में 5,000 करोड़ रुपए का निवेश आकर्षित करेगा?
सारांश
Key Takeaways
- भारत का बायोगैस सेक्टर 2026-27 में 5,000 करोड़ रुपए का निवेश आकर्षित कर सकता है।
- बायोगैस की मांग में वृद्धि इस निवेश का मुख्य कारण है।
- नए सीबीजी प्लांट्स का निर्माण और नीति का एकीकृत ढांचा जरूरी है।
- सरकार बायोगैस क्षेत्र को प्रोत्साहन देने के लिए कदम उठा रही है।
- सीबीजी का उत्पादन ऊर्जा सुरक्षा और पर्यावरण संरक्षण में सहायक है।
नई दिल्ली, 21 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। भारत का बायोगैस सेक्टर वित्तीय वर्ष 2026-27 में 5,000 करोड़ रुपए से अधिक निवेश की उम्मीद कर रहा है। इसकी मुख्य वजह बायोगैस की बढ़ती मांग है। यह जानकारी भारतीय बायोगैस एसोसिएशन (आईबीए) के एक बयान में दी गई है।
आईबीए के अनुसार, सरकारी आंकड़ों से पता चला है कि 94 कंप्रेस्ड बायोगैस (सीबीजी) प्लांट्स ने वित्तीय वर्ष 2024-25 में 31,400 टन से अधिक सीबीजी बेचा, जो इस क्षेत्र की मजबूती और मजबूत मांग को दर्शाता है। आईबीए का कहना है कि नई सीबीजी फैक्ट्रियों का निर्माण, व्यवस्थित सप्लाई चेन और नीति का एकीकृत ढांचा बायोगैस को तेजी से अपनाने में सहायक होगा।
देश में लाखों छोटे पारंपरिक बायोगैस डाइजेस्टर मौजूद हैं, जिनकी क्षमता और दक्षता बढ़ाने की संभावनाएं हैं। इसके अलावा, मध्यम आकार के प्लांट्स ग्रामीण रोजगार, साफ-सुथरा खाना पकाने का ईंधन और जैविक उर्वरक जैसे फायदे प्रदान करते हैं। सरकार इस क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए विकास कार्यक्रम और समर्थन बढ़ा रही है।
आईबीए के चेयरमैन गौरव केडिया ने कहा कि सीबीजी सेक्टर पर लागू जीएसटी को 7 प्रतिशत कम करने से परियोजनाओं की लागत कम होगी और निवेश अधिक लाभकारी बनेगा। इससे उद्योग में 45 प्रतिशत तक नई निवेश संभावनाएं बढ़ने की उम्मीद है। उन्होंने कहा कि पूरे उद्योग में इसका प्रभाव इससे भी व्यापक होगा।
सीबीजी, जो कि कंप्रेस्ड बायोगैस के रूप में जाना जाता है, जैविक कचरे (जैसे कृषि अपशिष्ट, गोबर, सीवेज) से उत्पन्न एक स्वच्छ और हरा ईंधन है। यह प्राकृतिक गैस (सीएनजी) की तरह निर्मित होता है। भारत में सीबीजी का महत्व इसलिए है क्योंकि यह तेल पर निर्भरता को कम करता है, कचरे का जिम्मेदारी से प्रबंधन करता है, वायु प्रदूषण को घटाता है और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करता है।
सरकार सतत (एसएटीएटी) योजना के माध्यम से वाहनों, उद्योगों और खाना पकाने के लिए सीबीजी के उत्पादन और उपयोग को बढ़ावा दे रही है।
ऊर्जा मंत्रालय हर परियोजना की कुल लागत का 15-20 प्रतिशत तक वित्तीय सहायता प्रदान करता है। इसके अलावा, जैविक उर्वरक के प्रचार के लिए 1.50 रुपए प्रति किलोग्राम का मार्केटिंग विकास सहायता भी दी जाती है। साथ ही, प्लांट को गैस ग्रिड से जोड़ने के लिए पाइपलाइन बिछाने पर प्रोत्साहन भी प्रदान किया जाता है।
-राष्ट्र प्रेस
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