क्या निरंतर मजबूत होता हमारा ऊर्जा क्षेत्र राष्ट्र की प्रगति का शुभ संकेत है?

सारांश
Key Takeaways
- भारत में तेल का बड़ा भंडार उपलब्ध है।
- ओएएलपी IX राउंड में महत्वपूर्ण उपलब्धियां मिली हैं।
- सरकार ने नए कानूनों के जरिए ऊर्जा क्षेत्र में निवेश को प्रोत्साहित किया है।
- भारत की ऊर्जा खपत में तेजी से वृद्धि हो रही है।
- भारत ऊर्जा आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ रहा है।
नई दिल्ली, 26 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने शनिवार को बताया कि देश में तेल का विशाल भंडार मौजूद है। ऑयल और गैस क्षेत्र में एक्सप्लोरेशन और प्रोडक्शन एक ऐसा क्षेत्र है, जिसके लिए किसी भी राष्ट्र को आगामी 5 से 10 वर्षों के लिए योजना बनानी चाहिए।
केंद्रीय मंत्री पुरी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक वीडियो साझा करते हुए कहा, "ऊर्जा आत्मनिर्भरता के लिए कई पहलों के साथ पीएम मोदी ने 'नो गो एरिया' पर साहसिक निर्णय लेकर देश को गैस आधारित अर्थव्यवस्था की ओर बढ़ाया। इससे पहले इन 'नो गो एरिया' में किसी प्रकार की खोज नहीं की गई।"
उन्होंने आगे कहा कि ओएएलपी IX राउंड के तहत प्राप्त बिडिंग में 38 प्रतिशत क्षेत्र ऐसा है, जो पूर्व में 'नो गो' एरिया में आता था। ओएएलपी X राउंड में यह आंकड़ा और भी बढ़ने की उम्मीद है।
केंद्रीय मंत्री पुरी ने सरकार की उपलब्धियों का उल्लेख करते हुए कहा कि खनन क्षेत्र में पेट्रोलियम क्षेत्र को अलग कर ऑयल फिल्ड्स अमेंडमेंट बिल 2025 लागू किया गया, जो एक्सप्लोरेशन और प्रोडक्शन की दिशा में नई संभावनाएं लेकर आया है। साथ ही, निवेशकों के लिए नए अवसर खुलेंगे।
वीडियो में, केंद्रीय मंत्री पुरी ने बताया कि इस वर्ष तेल और गैस की खोज के लिए ओएनजीसी ने 578 कुएं खोदे हैं, जो पिछले 35 वर्षों में सबसे अधिक हैं। भारत ओएएलपी 10 राउंड के अंतर्गत लगभग 2 लाख स्कायर किलोमीटर में खोज करने की योजना बना रहा है। ये कदम भारत की ऊर्जा शक्ति को एक नए स्तर पर ले जाएंगे।
उन्होंने कहा कि ये पहल भारत की ऊर्जा शक्ति को एक नए क्षितिज पर पहुंचाएगी। निरंतर मजबूत होता हमारा ऊर्जा क्षेत्र राष्ट्र की प्रगति का शुभ संकेत है और देश ऊर्जा के क्षेत्र में आत्मनिर्भर होगा।
केंद्रीय मंत्री पुरी ने एक अन्य एक्स पोस्ट में कहा कि वर्तमान में भारत प्रतिदिन 5.6 मिलियन बैरल कच्चे तेल की खपत करता है। लगभग 7 करोड़ उपभोक्ता प्रतिदिन फ्यूल स्टेशन जाते हैं। आने वाले 20 वर्ष में, दुनिया की ऊर्जा मांग में वृद्धि का 25 प्रतिशत हिस्सा भारत से आएगा। अनुमानित है कि वर्ष 2045 तक भारत प्रतिदिन लगभग 11 मिलियन बैरल कच्चे तेल की खपत करेगा।