क्या वैश्विक अर्थव्यवस्था में भारत का दबदबा बढ़ रहा है?

सारांश
Key Takeaways
- 2035 तक भारत की जीडीपी ग्रोथ में हिस्सेदारी 9% होगी।
- भारत की अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर 8% प्रतिशत है।
- चालू खाता घाटा जीडीपी का 0.5% है।
- सरकारी बैंकों ने क्रेडिट ग्रोथ में निजी बैंकों को पीछे छोड़ दिया है।
- भारत का बैंकिंग सेक्टर मजबूत स्थिति में है।
मुंबई, 18 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। वैश्विक अर्थव्यवस्था में भारत का प्रभाव तेजी से बढ़ रहा है और 2035 तक ग्लोबल जीडीपी ग्रोथ में देश की हिस्सेदारी बढ़कर 9 प्रतिशत होने की संभावना है, जो कि 2024 में 6.5 प्रतिशत थी। यह जानकारी वित्त मंत्रालय के वित्तीय सेवा विभाग के सचिव एम नागाराजू ने गुरुवार को साझा की।
देश की आर्थिक राजधानी में आयोजित नेशनल बैंक फॉर फाइनेंशियल इन्फ्रास्ट्रक्चर एंड डेवलपमेंट (एनएबीएफआईडी) के वार्षिक इन्फ्रास्ट्रक्चर कॉन्क्लेव 2025 में बोलते हुए, एम नागाराजू ने कहा कि वैश्विक अनिश्चितता के बीच भी भारत की अर्थव्यवस्था तेजी से प्रगति कर रही है और यह दुनिया की सबसे तेज़ी से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था बनी हुई है।
उन्होंने आगे बताया कि देश की अर्थव्यवस्था पिछले चार वर्षों में औसतन 8 प्रतिशत की वार्षिक वृद्धि दर से आगे बढ़ रही है। वित्त वर्ष 26 की पहली तिमाही में जीडीपी की वृद्धि दर 7.8 प्रतिशत रही, जो कि पिछले पांच तिमाहियों में सबसे अधिक है।
वित्तीय सेवा विभाग के सचिव ने बताया कि हमारा एक्सटर्नल सेक्टर भी अच्छा प्रदर्शन कर रहा है और चालू खाता घाटा जीडीपी का केवल 0.5 प्रतिशत रहा है।
देश का शुद्ध सर्विसेज निर्यात भी तेजी से बढ़ रहा है, और इन सभी मजबूत कारणों के चलते देश आजादी के 100 साल पूरे होने तक यानी 2047 तक विकसित राष्ट्र बन सकता है।
नागाराजू ने कहा कि यह व्यापक आर्थिक सफलता की कहानी हमारी इन्फ्रास्ट्रक्चर महत्वाकांक्षाओं के लिए एक ठोस आधार तैयार करती है। यह दर्शाती है कि भारत का विकास केवल मजबूत है, बल्कि सुधारों और विवेकपूर्ण नीतियों से भी प्रेरित है, जो हमें वैश्विक विकास का एक प्रमुख इंजन बनाता है।
वित्त वर्ष 2024-25 में सरकारी बैंकों ने निजी बैंकों को क्रेडिट ग्रोथ में पीछे छोड़ दिया है, जो पिछले एक दशक में पहली बार हुआ है। नॉन-परफॉरमिंग एसेट्स (एनपीए) एक प्रतिशत से नीचे जा चुकी हैं और कैपिटल एडिक्वेसी रेशियो भी नियामक मानकों से अधिक है, जो यह दर्शाता है कि भारत का बैंकिंग सेक्टर मजबूत स्थिति में है।
कुल मिलाकर, ये रुझान एक मजबूत, पर्याप्त पूंजीकृत वित्तीय प्रणाली की ओर इशारा करते हैं जो विकसित भारत की आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए अच्छी स्थिति में है।