क्या नई सीपीआई श्रृंखला का मौद्रिक नीति पर असर होगा? ब्याज दरों में कटौती पर लग सकता है ब्रेक

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क्या नई सीपीआई श्रृंखला का मौद्रिक नीति पर असर होगा? ब्याज दरों में कटौती पर लग सकता है ब्रेक

सारांश

क्या नई सीपीआई श्रृंखला का मौद्रिक नीति पर असर होगा? हाल ही में आई रिपोर्ट में दावा किया गया है कि खाद्य उत्पादों के भार में कमी से महंगाई की दर में गिरावट का असर दिखेगा, जिससे ब्याज दरों में कटौती की संभावनाएं कम हो सकती हैं। जानें इस रिपोर्ट के प्रमुख बिंदु।

Key Takeaways

  • नई सीपीआई श्रृंखला का खाद्य उत्पादों पर कम भार होगा।
  • ब्याज दरों में कटौती की संभावना कम हो रही है।
  • आरबीआई का नीतिगत रुख स्थिर रह सकता है।
  • महंगाई में गिरावट का आशाजनक संकेत है।
  • विकास दर में संभावित नरमी की आशंका है।

नई दिल्ली, 20 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। नई कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स (सीपीआई) में खाद्य उत्पादों का भार घटेगा, जिससे गिरती खाद्य कीमतों का लाभ महंगाई में कम नजर आएगा। इससे आगामी मौद्रिक नीति में ब्याज दरों में कटौती की संभावनाएं कम होती हैं। यह जानकारी एक रिपोर्ट में साझा की गई।

यस बैंक ने अपनी रिपोर्ट में उल्लेख किया कि भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) का ब्याज दरों में कमी का चक्र अब समाप्त हो चुका है। केंद्रीय बैंक अब लंबे समय तक ब्याज दरों को स्थिर और नीतिगत रुख को न्यूट्रल बनाए रख सकता है, जब तक कि ग्रोथ को कोई बड़ा खतरा न हो।

रिपोर्ट में कहा गया कि लिक्विडिटी को आरामदायक स्तर पर बनाए रखने और परिचालन दर को रेपो दर से जोड़ने के लिए आरबीआई द्वारा उठाए गए कदम जारी रहेंगे।

रिपोर्ट में कहा गया, "दिसंबर की बैठक से आरबीआई की विकास गति को बनाए रखने की प्रतिबद्धता स्पष्ट होती है। हालांकि, पहले छह महीनों में विकास दर उम्मीद से अधिक रही, लेकिन दूसरी छमाही में इसमें नरमी आने की संभावना है।"

दिसंबर में आरबीआई एमपीसी सदस्यों ने बताया कि मुद्रास्फीति एफआईटी की निचली सीमा से नीचे बनी हुई है, इसलिए केंद्रीय बैंक द्वारा प्रतिचक्रीय कार्रवाई आवश्यक है।

आरबीआई का अनुमान है कि वित्त वर्ष 2027 की पहली छमाही में खुदरा मुद्रास्फीति और कोर मुद्रास्फीति दोनों ही 4 प्रतिशत के आसपास रहेंगी।

एमपीसी की अगली बैठक बजट के बाद होगी, जिसमें आधार में बदलाव और घटकों के भार का पुनर्गठन करते हुए एक नई सीपीआई श्रृंखला भी जारी की जाएगी।

यस बैंक ने कहा कि आरबीआई ने वित्त वर्ष 2026 के विकास दर को संशोधित करके 7.3 प्रतिशत कर दिया है। इसका कारण घरेलू कारक हैं, जिनमें आयकर युक्तिकरण, मौद्रिक नीति में ढील और राजकोषीय पक्ष से जीएसटी-आधारित युक्तिकरण शामिल हैं, जो दूसरी छमाही में निरंतर विकास को सक्षम करेंगे।

एक अन्य हालिया रिपोर्ट में कहा गया है कि आरबीआई द्वारा नीतिगत रेपो दर में 25 आधार अंकों की कटौती करके इसे 5.25 प्रतिशत करना, सीपीआई मुद्रास्फीति के अनुमानों में कमी और जीडीपी विकास अनुमानों में सुधार, घरेलू मांग की स्थिरता में विश्वास का संकेत देता है।

Point of View

यह समझना महत्वपूर्ण है कि मौद्रिक नीतियों का स्थिर रहना आर्थिक विकास के लिए आवश्यक है। नई सीपीआई श्रृंखला की जानकारी और ब्याज दरों में संभावित स्थिरता संकेत करती है कि अर्थव्यवस्था में कोई बड़ा संकट न होने पर इस दिशा में कदम उठाए जा सकते हैं।
NationPress
20/12/2025

Frequently Asked Questions

नई सीपीआई श्रृंखला का अर्थ क्या है?
नई सीपीआई श्रृंखला का मतलब है कि उपभोक्ता मूल्य सूचकांक में विभिन्न खाद्य और गैर-खाद्य वस्तुओं का भार और उनकी गणना की विधि में बदलाव।
आरबीआई ब्याज दरों में कटौती कब करेगा?
आरबीआई ब्याज दरों में कटौती तब करेगा जब उसे लगेगा कि महंगाई और आर्थिक विकास की स्थिति अनुमति देती है।
महंगाई दर में कमी का क्या प्रभाव पड़ेगा?
महंगाई दर में कमी से उपभोक्ताओं की खरीद क्षमता बढ़ेगी और आर्थिक गतिविधियों को बढ़ावा मिलेगा।
क्या खाद्य कीमतों में कमी से विकास दर पर असर पड़ेगा?
हाँ, खाद्य कीमतों में कमी से महंगाई में कमी आएगी, जो विकास दर को सकारात्मक रूप से प्रभावित कर सकती है।
आरबीआई की नीतियां कैसे तय होती हैं?
आरबीआई की नीतियां आर्थिक स्थितियों, मुद्रास्फीति, और विकास दर के पूर्वानुमान के आधार पर तय होती हैं।
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