क्या बीएसई ने कैश सेगमेंट में 10 करोड़ से अधिक ऑर्डर मैसेज होने पर चार्ज लगाने का प्रस्ताव दिया?
सारांश
Key Takeaways
- 10 करोड़ ऑर्डर मैसेज की सीमा प्रस्तावित है।
- सीमा पार होने पर 0.0025 का चार्ज लगेगा।
- पहले उल्लंघन पर शुल्क नहीं लिया जाएगा।
- यह नीति 1 जनवरी, 2026 से लागू होगी।
- ब्रोकरों को अपने ऑर्डर फ्लो को बेहतर प्रबंधित करने का अवसर मिलेगा।
नई दिल्ली, 20 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (बीएसई) ने ब्रोकर स्तर पर प्रतिदिन होने वाले फ्री ऑर्डर मैसेज के लिए 10 करोड़ की सीमा लगाने का प्रस्ताव प्रस्तुत किया है।
एक्सचेंज के अनुसार, यदि इस सीमा से अधिक ऑर्डर मैसेज भेजे जाते हैं, तो उन पर चार्ज लिया जाएगा। इसका मुख्य उद्देश्य ब्रोकर स्तर पर ऑर्डर फ्लो को प्रभावी तरीके से प्रबंधित करना है।
बीएसई द्वारा जारी सर्कुलर में कहा गया है कि वह ब्रोकर के दैनिक ऑर्डर मैसेज की संख्या पर नज़र रखेगा और यदि यह 10 करोड़ के पार चला गया, तो चार्ज लागू होगा।
ऑर्डर मैसेज से तात्पर्य उस डिजिटल संचार से है, जिसमें ब्रोकर एक्सचेंज पर खरीद और बिक्री के संदेश भेजता है।
बीएसई ने बताया कि 10 करोड़ की सीमा पार होने पर प्रति नए मैसेज पर 0.0025 का चार्ज लिया जाएगा, जिसका अर्थ है कि एक्सचेंज हर अतिरिक्त 10 करोड़ ऑर्डर पर 2.50 रुपए वसूल करेगा।
निगरानी के उद्देश्य से, इक्विटी कैश सेगमेंट में ब्रोकर द्वारा दिए गए सभी ऑर्डर संदेशों, जिनमें ऐड, मॉडिफाई और डिलीट ऑर्डर शामिल हैं, को गिना जाएगा, जिसमें ऑड-लॉट ऑर्डर भी शामिल हैं। हालाँकि, सेटलमेंट ऑक्शन ऑर्डर को गणना से बाहर रखा जाएगा।
सर्कुलर के अनुसार, प्रत्येक कैलेंडर माह में ब्रोकर द्वारा सीमा उल्लंघन के पहले मामले पर शुल्क नहीं लिया जाएगा, लेकिन दूसरे उल्लंघन पर शुल्क निर्धारित दरों के अनुसार वसूला जाएगा।
बीएसई 1 जनवरी, 2026 से ब्रोकरों के साथ दैनिक फाइलें साझा करना शुरू कर देगा, जिनमें कुल ऑर्डर संख्या का विवरण होगा। 15 जनवरी, 2026 से, इन फाइलों में उल्लंघन होने पर लागू शुल्क भी शामिल होंगे। शुल्क प्रतिदिन आधार पर लगाए जाएंगे और नियमित मासिक बिलिंग चक्र के माध्यम से वसूल किए जाएंगे।
इस ढांचे को 1 जनवरी, 2026 से लागू करने का प्रस्ताव है। सुचारू रूप से परिवर्तन सुनिश्चित करने के लिए, कार्यान्वयन के पहले महीने (1-31 जनवरी, 2026) के दौरान कोई शुल्क नहीं लिया जाएगा। प्रस्तावित ढांचे के अनुसार, वास्तविक शुल्क फरवरी 2026 से लागू होंगे।