क्या भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 4.75 अरब डॉलर बढ़कर 693.6 अरब डॉलर हुआ?

सारांश
Key Takeaways
- विदेशी मुद्रा भंडार में 4.75 अरब डॉलर की वृद्धि हुई है।
- 693.62 अरब डॉलर तक पहुंचा यह भंडार।
- गोल्ड रिजर्व में भी 2.16 अरब डॉलर की वृद्धि हुई है।
- आरबीआई की नीतियों से रुपये की स्थिरता को बल मिला है।
- इस साल जुलाई में वस्तु निर्यात में 7.29 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।
मुंबई, 15 अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा जारी किए गए आंकड़ों के अनुसार, 8 अगस्त को समाप्त सप्ताह में भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 4.75 अरब डॉलर बढ़कर 693.62 अरब डॉलर हो गया।
विदेशी मुद्रा भंडार का यह सकारात्मक प्रदर्शन देश की आर्थिक स्थिति की मजबूती को दर्शाता है और इसे आरबीआई को अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपये को मजबूत करने के लिए अधिक अवसर प्रदान करता है।
एक मजबूत विदेशी मुद्रा भंडार आरबीआई को रुपये की गिरावट को रोकने और उसकी अस्थिरता को कम करने के लिए अधिक डॉलर जारी करके मुद्रा बाजार में हस्तक्षेप करने की क्षमता प्रदान करता है।
8 अगस्त को समाप्त सप्ताह में, विदेशी मुद्रा भंडार का एक महत्वपूर्ण घटक, विदेशी मुद्रा आस्तियों का मूल्य 2.84 अरब डॉलर बढ़कर 583.98 अरब डॉलर हो गया है। विदेशी मुद्रा आस्तियों में शामिल हैं यूरो, पाउंड और येन जैसे गैर-अमेरिकी इकाइयों के मूल्य का परिवर्तन।
सप्ताह के दौरान विदेशी मुद्रा भंडार के महत्वपूर्ण घटकों में से एक गोल्ड रिजर्व की वैल्यू 2.16 अरब डॉलर बढ़कर 86.16 अरब डॉलर हो गई है। वैश्विक भू-राजनीतिक तनावों के बीच, दुनिया भर के केंद्रीय बैंक अपने विदेशी मुद्रा भंडार में सोने के रिजर्व को सुरक्षित निवेश के रूप में तेजी से बढ़ा रहे हैं।
भारतीय रिजर्व बैंक ने 2021 से अपने विदेशी मुद्रा भंडार में सोने का हिस्सा लगभग दोगुना कर दिया है।
इस समीक्षा अवधि में, विदेशी मुद्रा भंडार में विशेष आहरण अधिकार की वैल्यू 18.74 अरब डॉलर थी।
आरबीआई के गवर्नर संजय मल्होत्रा ने हाल ही में कहा कि भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 11 महीने से अधिक की माल आयात और लगभग 96 प्रतिशत बकाया विदेशी लोन की फंडिंग के लिए पर्याप्त है।
इससे पहले, गुरुवार को जारी आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, इस साल जुलाई में भारत का वस्तु निर्यात 7.29 प्रतिशत बढ़कर 37.24 अरब डॉलर हो गया, जबकि पिछले साल इसी महीने यह आंकड़ा 34.71 अरब डॉलर था।
वाणिज्य सचिव सुनील बर्थवाल ने कहा, "अनिश्चित वैश्विक नीतिगत माहौल के बावजूद, जुलाई और वित्त वर्ष 26 में भारत के सेवा और वस्तु निर्यात में अब तक काफी तेज वृद्धि हुई है और यह वैश्विक निर्यात वृद्धि से कहीं अधिक है।"
-राष्ट्र प्रेस
एबीएस/