क्या सरकारी समर्थन और प्रधानमंत्री मोदी का मार्गदर्शन भारत के निजी अंतरिक्ष क्षेत्र के विकास में मदद कर रहा है?

सारांश
Key Takeaways
- सरकारी नीतियों ने निजी अंतरिक्ष क्षेत्र को मजबूत किया है।
- प्रधानमंत्री मोदी का मार्गदर्शन महत्वपूर्ण है।
- चंद्रयान-3 की सफलता ने नए अवसर खोले हैं।
- भारत के अंतरिक्ष स्टार्टअप्स ने 526 मिलियन डॉलर की फंडिंग प्राप्त की है।
- 2033 तक 44 बिलियन डॉलर की अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था का लक्ष्य है।
नई दिल्ली, 22 अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। सरकार की सक्रिय नीतियों और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रत्यक्ष मार्गदर्शन ने भारत के निजी अंतरिक्ष इकोसिस्टम को फलने-फूलने के लिए एक मजबूत आधार तैयार किया है। यह जानकारी इंडस्ट्री एक्सपर्ट्स की ओर से शुक्रवार को दी गई।
एक्सपर्ट्स ने आगे कहा कि भारतीय निजी अंतरिक्ष कंपनियां अब प्रक्षेपण क्षमताओं, उपग्रह प्रौद्योगिकियों और डाउनस्ट्रीम एप्लीकेशन में इनॉवेशन के क्षेत्र में अग्रणी हैं, जिससे तेजी से विकास हो रहा है और भारत की वैश्विक प्रतिस्पर्धात्मकता बढ़ रही है।
यह बातें इंडस्ट्री एक्सपर्ट्स की ओर से ऐसे समय पर कहीं गई हैं, जब भारत 23 अगस्त को अपना दूसरा राष्ट्रीय अंतरिक्ष दिवस मनाने की तैयारी कर रहा है, जो चंद्रयान-3 की चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर सॉफ्ट लैंडिंग की ऐतिहासिक सफलता का प्रतीक है।
भारतीय अंतरिक्ष संघ (आईएसपीए) के महानिदेशक, लेफ्टिनेंट जनरल ए.के. भट्ट (सेवानिवृत्त) ने कहा कि इसरो के चंद्रयान-3 की सफलता ने सरकार और निजी क्षेत्र के बीच सहयोग की नई संभावनाओं को खोल दिया है।
उन्होंने आगे कहा कि पिछले पाँच वर्षों में, भारत में अंतरिक्ष स्टार्टअप्स की संख्या 300 को पार कर गई है, जिन्होंने लगभग 526 मिलियन डॉलर की फंडिंग प्राप्त की है।
उन्होंने कहा कि यह भारत के अंतरिक्ष क्षेत्र में बढ़ते निवेशकों के विश्वास को दर्शाता है और देश को 2033 तक 44 बिलियन डॉलर की अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था तक पहुंचने की स्थिति में लाता है।
भट्ट ने आगे कहा कि निजी क्षेत्र आगामी गगनयान मिशन, भारत के पहले मानव अंतरिक्ष यान में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।
सुहोरा टेक्नोलॉजीज के सीईओ और सह-संस्थापक कृष्णु आचार्य ने कहा कि अंतरिक्ष में भारत का भविष्य इस बात से तय होगा कि वह वास्तविक दुनिया के समाधान प्रदान करने के लिए उपग्रह डेटा और कनेक्टिविटी का कितना प्रभावी ढंग से उपयोग करता है।
उन्होंने कहा कि डाउनस्ट्रीम टेक्नोलॉजीज कृषि, बुनियादी ढांचे, आपदा से निपटने की तैयारी, रक्षा और शासन में सहायक हो सकती हैं।