क्या भारत के 45 दिनों के शादी के सीजन में 6.5 लाख करोड़ रुपए का कारोबार होगा?
सारांश
Key Takeaways
- भारत में एक नवंबर से शुरू होने वाला शादी का सीजन 46 लाख शादियों का अनुमान लगाता है।
- इस दौरान 6.5 लाख करोड़ रुपए का कारोबार होने की संभावना है।
- स्वदेशी उत्पादों की मांग में महत्वपूर्ण वृद्धि देखी जा रही है।
- इस शादी के मौसम में 1 करोड़ से अधिक अस्थायी नौकरियों का सृजन संभव है।
- सरकारी कर राजस्व में 75,000 करोड़ रुपए का योगदान होगा।
नई दिल्ली, 30 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। भारत में एक नवंबर से आरंभ हो रहे 45 दिनों के शादी के सीजन में लगभग 46 लाख शादियों का अनुमान है, जिसमें कुल 6.5 लाख करोड़ रुपए का कारोबार होने की संभावना है। यह जानकारी एक हालिया रिपोर्ट में साझा की गई है।
सीएआईटी रिसर्च एंड ट्रेड डेवलपमेंट सोसायटी (सीआरटीडीएस) द्वारा प्रस्तुत अध्ययन में बताया गया है कि इस दौरान दिल्ली में करीब 4.8 लाख शादियों का अनुमान है, जिससे लगभग 1.8 लाख करोड़ रुपए का आर्थिक लाभ होगा।
कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) की रिसर्च शाखा ने कहा कि 75 शहरों में किए गए अध्ययन से पता चला है कि शादी पर खर्च में वृद्धि हुई है और पिछले साल की तुलना में शादियों की संख्या लगभग समान बनी हुई है।
कैट के महासचिव और चांदनी चौक के सांसद प्रवीण खंडेलवाल ने कहा कि यह वृद्धि बढ़ती हुई खर्च योग्य आय, कीमती धातुओं (सोना और चांदी) की महंगाई और रिकॉर्ड तोड़ त्योहारी सीजन के कारण बढ़ते उपभोक्ता विश्वास को दर्शाती है।
2024 में 48 लाख शादियां हुई थीं, जिन पर 5.90 लाख करोड़ रुपए खर्च हुए, जबकि 2023 में 38 लाख शादियां हुई थीं, जिन पर 4.74 लाख करोड़ रुपए का खर्च आया।
अध्ययन यह भी दर्शाता है कि स्वदेशी उत्पादों की ओर एक मजबूत बदलाव हुआ है, जहां अब शादी से संबंधित 70 प्रतिशत से अधिक खर्च भारतीय सामानों पर किया जाता है, जिनमें परिधान, आभूषण, सजावट, बर्तन और खानपान की वस्तुएं शामिल हैं।
रिपोर्ट में कहा गया है कि कैट का "वोकल फॉर लोकल वेडिंग्स" अभियान चीनी लाइटिंग, आर्टिफिशियल डेकोर और गिफ्ट जैसे आयातित सामानों की उपस्थिति को काफी कम कर चुका है।
खंडेलवाल ने जानकारी दी कि इस शादी के मौसम में 1 करोड़ से अधिक अस्थायी नौकरियां उत्पन्न हो सकती हैं, जिससे डेकोरेटर, कैटरर्स, फूलवाले, कलाकार, ट्रांसपोर्टर और आतिथ्य सेवा से जुड़े कर्मचारी लाभान्वित होंगे।
रिपोर्ट में यह भी अनुमान लगाया गया है कि शादी का मौसम सरकारी कर राजस्व में लगभग 75,000 करोड़ रुपए का योगदान देगा।
कैट के क्षेत्रीय अनुमान के अनुसार, शादी के मौसम में आभूषणों का आर्थिक गतिविधियों में सबसे बड़ा योगदान होगा, जिसका योगदान 15 प्रतिशत होगा, जबकि परिधान और साड़ियां 10 प्रतिशत का योगदान देंगी।