क्या 2025 में भारत के स्टार्टअप्स के लिए खास रहा है?
सारांश
Key Takeaways
- 11 नए स्टार्टअप्स ने यूनिकॉर्न का दर्जा प्राप्त किया।
- एआई.टेक ने मात्र 31.5 अरब डॉलर का मूल्यांकन प्राप्त किया।
- कुछ पुराने यूनिकॉर्न्स ने अपनी स्थिति बनाए रखी।
- 2025 में 6,385 स्टार्टअप्स को बंद किया गया।
- रेगुलेटरी फैसले का प्रभाव स्टार्टअप्स पर महत्वपूर्ण रहा।
नई दिल्ली, 17 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। वर्ष 2025 भारत के स्टार्टअप क्षेत्र के लिए कई बदलावों से भरा रहा। एक ओर जहां अनेक नए स्टार्टअप्स ने यूनिकॉर्न का दर्जा प्राप्त किया, वहीं कुछ पुराने और चर्चित कंपनियों को गंभीर झटका लगा।
रिपोर्टों के अनुसार, इस वर्ष देश में 11 नए स्टार्टअप्स ने यूनिकॉर्न का दर्जा हासिल किया। इस साल यूनिकॉर्न बनने वाले प्रमुख स्टार्टअप्स में एआई.टेक, नवी टेक्नोलॉजीज, रैपिडो, नेट्राडाइन, जम्बोटेल, डार्विनबॉक्स, विवृत्ति कैपिटल, वेरिटास फाइनेंस, मनीव्यू, जसपे और ड्रूल्स शामिल हैं। इनमें से अधिकांश कंपनियाँ फिनटेक, सॉफ्टवेयर एज ए सर्विस (एसएएएस), एआई, लॉजिस्टिक्स और फाइनेंस जैसे क्षेत्रों से संबंधित हैं।
एक विशेष बात यह रही कि एआई.टेक ने मात्र 3 वर्षों में लगभग 1.5 अरब डॉलर का मूल्यांकन प्राप्त कर यूनिकॉर्न का दर्जा हासिल किया, जो देश में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस आधारित कंपनियों की बढ़ती ताकत को दर्शाता है।
इस साल कुछ पुराने यूनिकॉर्न्स ने अपनी मजबूत स्थिति बनाए रखी। रिपोर्ट के अनुसार, जिरोधा लगभग 8.2 अरब डॉलर के मूल्यांकन के साथ सबसे आगे रहा। वहीं रेजरपे और लेंसकार्ट का मूल्यांकन लगभग 7.5 अरब डॉलर रहा। जबकि ग्रो लगभग 7 अरब डॉलर के स्तर पर पहुंचा।
इसके अतिरिक्त, जैप्टो, ऑफबिजनेस, इनमोबी, आईसर्टिस, ओयो (प्रिज्म) और मीशो जैसे नाम भी शीर्ष यूनिकॉर्न्स की सूची में शामिल रहे। ये आंकड़े दर्शाते हैं कि फिनटेक, ई-कॉमर्स, एसएएएस (सॉफ्टवेयर-ऐज़-ए-सर्विस) और एडटेक जैसे क्षेत्रों में निवेशकों की रुचि अब भी मजबूत बनी हुई है।
हालांकि, 2025 सभी के लिए अच्छा साबित नहीं हुआ। कुछ ऐसे स्टार्टअप्स, जो पहले यूनिकॉर्न माने जाते थे, इस साल सूची से बाहर हो गए। इसका सबसे बड़ा कारण ऑनलाइन रियल-मनी गेमिंग से जुड़ा नया कानून बना।
अगस्त 2025 में सरकार द्वारा ऑनलाइन गेमिंग संवर्धन और विनियमन विधेयक 2025 लागू किए जाने के बाद फैंटेसी स्पोर्ट्स, रम्मी और पोकर जैसे रियल-मनी गेम्स पर सख्त रोक लगाई गई, जिससे ड्रीम11, गेम्स24x7, गेम्सक्राफ्ट और एमपीएल जैसी कंपनियों की मूल्यांकन पर भारी प्रभाव पड़ा और वे यूनिकॉर्न सूची से बाहर हो गईं। वहीं जूपी और विंजो गेम्स जैसी अन्य गेमिंग कंपनियों के मूल्यांकन में भी बड़ी गिरावट आई।
यह बदलाव दर्शाता है कि रेगुलेटरी फैसले किसी भी क्षेत्र की दिशा को अचानक बदल सकते हैं।
वहीं कॉरपोरेट कार्य मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, 31 अक्टूबर 2025 तक देश में 6,385 मान्यता प्राप्त स्टार्टअप्स को आधिकारिक रूप से बंद घोषित किया गया है। इसी दौरान देश में कुल 1,97,692 स्टार्टअप्स को मान्यता दी गई।
वाणिज्य और उद्योग राज्य मंत्री जितिन प्रसाद ने लोकसभा में बताया कि राज्यवार आंकड़ों में सबसे ज्यादा स्टार्टअप बंद होने के मामले महाराष्ट्र में सामने आए, जहां लगभग 1,200 स्टार्टअप्स बंद हुए। इसके बाद कर्नाटक में 845, दिल्ली में 737, उत्तर प्रदेश में 598, तेलंगाना में 368 और तमिलनाडु में 338 स्टार्टअप्स बंद हुए।
मंत्री ने स्पष्ट किया कि स्टार्टअप्स के बंद होने की गति में कोई असामान्य वृद्धि नहीं देखी गई है। किसी स्टार्टअप के बंद होने के पीछे कई कारण हो सकते हैं जैसे बिजनेस मॉडल, बाजार की मांग, आर्थिक हालात, निवेश की कमी और प्रतिस्पर्धा।