क्या भारत ने सप्लाई चेन की मजबूती के लिए महत्वपूर्ण खनिजों की यात्रा शुरू की?

सारांश
Key Takeaways
- भारत ने 1,500 करोड़ रुपए की योजना की मंजूरी दी है।
- इससे 270 किलो टन रीसाइक्लिंग क्षमता का विकास होगा।
- यह स्वच्छ ऊर्जा के लक्ष्यों को पूरा करने में मदद करेगा।
- इससे 70,000 रोजगार सृजित होंगे।
- यह नेट-जीरो उत्सर्जन के लक्ष्य की दिशा में एक कदम है।
नई दिल्ली, 6 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। केंद्रीय मंत्रिमंडल ने नेशनल क्रिटिकल मिनरल मिशन (एनसीएमएम) के तहत 1,500 करोड़ रुपए की प्रोत्साहन योजना को मंजूरी दी है, जिसका उद्देश्य ई-वेस्ट, लिथियम-आयन बैटरी स्क्रैप और एंड-ऑफ-लाइफ व्हीकल पार्ट्स जैसे द्वितीयक स्रोतों से महत्वपूर्ण खनिजों की भारत में रीसाइक्लिंग क्षमता को बढ़ावा देना है।
सरकार के अनुसार, नए और मौजूदा दोनों रीसाइक्लर्स को बढ़ावा देकर, इस पहल का लक्ष्य 270 किलो टन वार्षिक रीसाइक्लिंग क्षमता विकसित करना, 40 किलो टन महत्वपूर्ण खनिजों का उत्पादन करना, लगभग 8,000 करोड़ रुपए का निवेश आकर्षित करना और लगभग 70,000 रोजगार सृजित करना है। यह सप्लाई चेन की मजबूती और आयात पर निर्भरता को कम करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
भारत ने जलवायु परिवर्तन के संदर्भ में कई प्रमुख उपलब्धियां हासिल की हैं, जैसे कि 2030 तक अपने सकल घरेलू उत्पाद की उत्सर्जन तीव्रता में 2005 के स्तर से 45 प्रतिशत की कमी लाना, उसी वर्ष तक अपनी आधी ऊर्जा क्षमता गैर-जीवाश्म ईंधनों से प्राप्त करना और 2070 तक नेट-जीरो उत्सर्जन प्राप्त करना।
सरकार के अनुसार, इन लक्ष्यों को पूरा करने के लिए एनसीएमएम एक महत्वपूर्ण कदम है, जिसका उद्देश्य लिथियम, कोबाल्ट, निकल और रेयर अर्थ की दीर्घकालिक आपूर्ति सुनिश्चित करना है। यह मिशन स्वच्छ ऊर्जा और विद्युत गतिशीलता के साथ-साथ निवेश आकर्षित करने, इनोवेशन को बढ़ावा देने और भारत को भविष्य के उद्योगों के लिए ग्लोबल सप्लाई चेन का केंद्र बनाने का लक्ष्य रखता है।
जैसे-जैसे दुनिया स्वच्छ ऊर्जा और उन्नत तकनीकों की ओर बढ़ रही है, महत्वपूर्ण खनिजों पर नियंत्रण भू-राजनीति का नया क्षेत्र बन गया है।
जनवरी 2025 में, भारत ने एनसीएमएम की शुरुआत की, जिसे 2024-25 से 2030-31 तक सात वर्षों के लिए लॉन्च किया गया है। इसका अनुमानित व्यय 16,300 करोड़ रुपए और सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों (पीएसयू) और अन्य हितधारकों द्वारा 18,000 करोड़ रुपए का अपेक्षित निवेश है।
यह केवल एक खनन कार्यक्रम नहीं है, बल्कि ऊर्जा सुरक्षा सुनिश्चित करने, औद्योगिक विकास को गति देने और तकनीकी स्वतंत्रता को मजबूत करने का एक रणनीतिक खाका है।
इलेक्ट्रिक वाहनों को शक्ति प्रदान करने वाले लिथियम से लेकर रक्षा प्रणालियों के लिए रेयर अर्थ तक एनसीएमएम का दायरा व्यापक है।
एनसीएमएम का एक मुख्य लक्ष्य वित्त वर्ष 2030-31 तक महत्वपूर्ण खनिजों की वैल्यू चेन में 1,000 पेटेंट दाखिल करने का समर्थन और निगरानी कर इनोवेशन को उत्प्रेरित करना है।
भारत के ऊर्जा परिवर्तन और रणनीतिक उद्योगों के लिए महत्वपूर्ण घरेलू टेक्नोलॉजी के विकास और व्यावसायीकरण में तेजी लाने का उद्देश्य स्पष्ट है। यह गति पहले से ही दिखाई दे रही है। इसी क्रम में, मिशन के अंतर्गत एक डेडिकेटेड सेंटर ऑफ एक्सीलेंस (सीओई) की स्थापना के लिए दिशानिर्देशों को 6 अप्रैल, 2025 को मंजूरी दी गई, जो भारत की महत्वपूर्ण खनिज रणनीति को आगे बढ़ाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।