क्या पीएम मोदी के नेतृत्व में भारत ने पिछले 11 वर्षों में दुनिया का सबसे बड़ा डिजिटल हाईवे बनाया है? : ज्योतिरादित्य सिंधिया

सारांश
Key Takeaways
- भारत में 1.2 अरब मोबाइल सब्सक्राइबर्स हैं।
- डिजिटल हाईवे ने युवाओं में उद्यमिता को बढ़ावा दिया है।
- यूपीआई प्रणाली के माध्यम से अरबों लेन-देन होते हैं।
- भारत की साक्षरता दर 91 प्रतिशत है।
- डिजिटल क्षेत्र में भारत की भूमिका विश्व स्तर पर महत्वपूर्ण है।
नई दिल्ली, 9 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। केंद्रीय संचार मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने बताया कि मैं भारत के एक ग्रामीण निर्वाचन क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करता हूं, और यहाँ के हर युवा की ख्वाहिश है कि वह केवल एक कर्मचारी बनकर न रहे, बल्कि एक नियोक्ता बने।
सिंधिया ने आईएमसी 2025 नेशनल बिल्डर्स समिट में कहा, "मेरे निर्वाचन क्षेत्र के हर युवा में नए कौशल और क्षमताएँ सीखने की ललक है, ताकि वह न केवल अपने लिए, बल्कि अपने समुदायों और क्षेत्रों के लिए भी प्रगति कर सके। यही आज भारत की वास्तविकता है।"
उन्होंने कहा कि 20 या 25 वर्ष पहले जो कंपनियाँ निफ्टी या बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज में सूचीबद्ध थीं, वे मुख्यतः हमारे देश के छह महानगरों में स्थित थीं। लेकिन आज, अधिकांश कंपनियाँ टियर-2 और टियर-3 शहरों में हैं। यह भारत के छोटे शहरों की उद्यमशीलता क्षमता को दर्शाता है।
सिंधिया ने बताया, "आज हमारे देश में 1.2 अरब मोबाइल सब्सक्राइबर्स हैं। दुनिया की 20 प्रतिशत मोबाइल आबादी भारत में है। इंटरनेट सब्सक्रिप्शन 11 वर्ष पहले 25 करोड़ था, और अब यह 97.4 करोड़ हो गया है। ब्रॉडबैंड की पहुंच 11 वर्ष पहले 6 करोड़ थी, और अब यह 94.4 करोड़ है।"
उन्होंने आगे कहा, "प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में पिछले 11 वर्षों में भारत ने दुनिया का सबसे बड़ा डिजिटल हाईवे स्थापित किया है, जो 1.4 अरब लोगों को विश्व से जोड़ने में सक्षम है। मैं पूर्वोत्तर का प्रतिनिधित्व करता हूं, जहाँ 8 राज्यों में 4.5 करोड़ लोग रहते हैं, 91 प्रतिशत साक्षरता दर है, और 75 प्रतिशत लोग 30 वर्ष से कम आयु के हैं। इनमें से प्रत्येक व्यक्ति में उद्यमिता की क्षमता है।"
केंद्रीय मंत्री ने यूपीआई के संदर्भ में कहा कि आज दुनिया के अन्य देशों में भारत जैसी क्षमता नहीं है।
उन्होंने कहा, "हमारे यूपीआई प्रणाली के माध्यम से हर महीने लगभग 20 अरब लेन-देन हो रहे हैं। वर्ष में 260 अरब लेन-देन होते हैं, और यूपीआई के जरिए लगभग 3 ट्रिलियन डॉलर का लेन-देन होता है, जिसमें दुनिया के 46 प्रतिशत डिजिटल लेन-देन भारत में होते हैं। यही सशक्तिकरण का असली अनुभव है और इससे उद्यमिता की क्षमता विकसित होती है।"