क्या भारत-यूके सीईटीए में बैलेंस्ड आईपी फ्रेमवर्क स्टार्टअप्स, एमएसएमई और पारंपरिक उत्पादकों का समर्थन करेगा?

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क्या भारत-यूके सीईटीए में बैलेंस्ड आईपी फ्रेमवर्क स्टार्टअप्स, एमएसएमई और पारंपरिक उत्पादकों का समर्थन करेगा?

सारांश

भारत-यूके सीईटीए में बौद्धिक संपदा अधिकार (आईपीआर) के प्रावधानों पर सेमिनार में विशेषज्ञों ने नवाचार को बढ़ावा देने और पहुंच सुनिश्चित करने के बीच संतुलन की आवश्यकता पर जोर दिया। जानें कैसे यह भारतीय स्टार्टअप्स, एमएसएमई और पारंपरिक उत्पादकों के लिए फायदेमंद साबित होगा।

Key Takeaways

  • बौद्धिक संपदा अधिकार (आईपीआर) अध्याय नवाचार को बढ़ावा देता है।
  • यह स्टार्टअप्स और एमएसएमई के लिए अवसर खोलेगा।
  • भारत की नियामक स्वायत्तता को बनाए रखते हुए प्रक्रियात्मक सुधार करेगा।
  • भारतीय भौगोलिक संकेतकों के लिए मजबूत संरक्षण पर जोर।
  • यह भारत की कानूनी व्यवस्था को सुदृढ़ बनाएगा।

नई दिल्ली, २४ सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय ने बुधवार को बताया कि नीति निर्माताओं, क्षेत्र विशेषज्ञों, शिक्षाविदों और उद्योग के प्रतिनिधियों ने एक सेमिनार में भारत-यूके के व्यापक आर्थिक एवं व्यापार समझौते (सीईटीए) के बौद्धिक संपदा अधिकार (आईपीआर) प्रावधानों से जुड़े अवसरों और चिंताओं पर चर्चा की।

केंद्र के अनुसार, उद्योग एवं आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग (डीपीआईआईटी) तथा वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के वाणिज्य विभाग ने सेंटर फॉर ट्रेड एंड इंवेस्टमेंट लॉ (सीटीआईएल) के सहयोग से वाणिज्य भवन में भारत-यूके सीईटीए में बौद्धिक संपदा अधिकार (आईपीआर) अध्याय के रहस्य उजागर करने के विषय पर एक सेमिनार का आयोजन किया।

सेमिनार में विशेषज्ञों ने कहा कि बौद्धिक संपदा अधिकार (आईपीआर) अध्याय नवाचार को बढ़ावा देने और पहुँच सुनिश्चित करने के बीच एक संतुलित संतुलन बनाता है। साथ ही, यह भी बताया गया कि ये प्रावधान भारत के आईपी फ्रेमवर्क का आधुनिकीकरण करते हुए जन स्वास्थ्य के लिए सुरक्षा उपायों को मजबूत करते हैं।

इस सेमिनार में पेटेंट प्रक्रियाओं के सामंजस्य पर उठाई गई चिंताओं का समाधान किया गया, और विशेषज्ञों ने कहा कि ये प्रक्रियात्मक सुधार भारत की नियामक स्वायत्तता को प्रभावित नहीं करते।

उद्योग प्रतिनिधियों ने कहा कि इससे स्टार्टअप्स, एमएसएमई और पारंपरिक उत्पादक सभी को समान रूप से लाभ होगा।

सेमिनार में भारत-ब्रिटेन व्यापार वार्ता में भारतीय भौगोलिक संकेतकों के लिए मजबूत संरक्षण पर भी जोर दिया गया।

पैनल ने समझौते से जुड़ी कई भ्रांतियों को दूर करते हुए कहा कि आईपीआर अध्याय भारत की नीतिगत संभावनाओं को सीमित नहीं करता। बल्कि, यह भारत की विकासात्मक प्राथमिकताओं के अनुरूप नियम बनाने की क्षमता को मजबूत करता है।

साथ ही कहा गया कि यह अध्याय भारत के मौजूदा कानूनी ढांचे को दर्शाता है और वैश्विक साझेदारों और निवेशकों को एक मजबूत और दूरदर्शी बौद्धिक संपदा व्यवस्था के प्रति देश की प्रतिबद्धता का सकारात्मक संकेत देता है।

Point of View

बल्कि यह भारतीय उद्योगों की स्वायत्तता को भी बनाए रखेगा। यह भारत की विकासात्मक प्राथमिकताओं के अनुरूप नियम बनाने की क्षमता को मजबूत करते हुए वैश्विक साझेदारों के साथ एक सकारात्मक संकेत प्रदान करेगा।
NationPress
24/09/2025

Frequently Asked Questions

भारत-यूके सीईटीए क्या है?
भारत-यूके सीईटीए एक व्यापक आर्थिक और व्यापार समझौता है जो दोनों देशों के बीच व्यापार को बढ़ावा देने के लिए बनाया गया है।
आईपीआर अध्याय का क्या महत्व है?
आईपीआर अध्याय नवाचार को प्रोत्साहित करता है और भारत के बौद्धिक संपदा ढांचे को आधुनिक बनाता है।
क्या यह स्टार्टअप्स के लिए लाभकारी होगा?
हाँ, यह स्टार्टअप्स, एमएसएमई और पारंपरिक उत्पादकों को समान रूप से लाभ देने का वादा करता है।