क्या मजबूत घरेलू संकेतों के चलते भारतीय शेयर बाजार हरे निशान में खुला?

सारांश
Key Takeaways
- भारतीय शेयर बाजार ने मजबूत घरेलू संकेतों के कारण हरे निशान में खुला।
- सेंसेक्स में 78 अंक और निफ्टी में 30 अंक की बढ़त हुई।
- विदेशी निवेशकों ने बिकवाली जारी रखी, जबकि घरेलू निवेशकों ने खरीदी की।
- जून में सीपीआई 2.10 प्रतिशत पर गिरा, जो मुद्रास्फीति के लिए सकारात्मक है।
- ब्याज दरों में संभावित कटौती की उम्मीद।
मुंबई, 15 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। मजबूत घरेलू संकेतों के चलते भारतीय शेयर बाजार ने मंगलवार को हरे निशान में शुरुआत की। सुबह 9:43 बजे सेंसेक्स 78 अंक या 0.09 प्रतिशत की वृद्धि के साथ 82,331 पर और निफ्टी 30 अंक या 0.12 प्रतिशत बढ़कर 25,113 पर पहुंच गया।
लार्जकैप के साथ-साथ मिडकैप और स्मॉलकैप में भी खरीदारी की जाती दिख रही है। निफ्टी मिडकैप 100 इंडेक्स 121 अंक या 0.21 प्रतिशत के साथ 59,173 पर और निफ्टी स्मॉलकैप 100 इंडेक्स 81 अंक या 0.43 प्रतिशत की तेजी के साथ 19,036 पर था।
सेक्टोरल आधार पर ऑटो, पीएसयू बैंक, फाइनेंशियल सर्विसेज, एफएमसीजी, रियल्टी, मीडिया, एनर्जी, इन्फ्रा और प्राइवेट बैंक के शेयरों में सबसे ज्यादा लाभ देखने को मिला। आईटी और फार्मा में मामूली गिरावट देखी गई।
सेंसेक्स पैक में सन फार्मा, बीईएल, भारती एयरटेल, एमएंडएम, टाटा मोटर्स, बजाज फिनसर्व, इन्फोसिस, मारुति सुजुकी, टेक महिंद्रा, ट्रेंट, एसबीआई, टीसीएस और बजाज फाइनेंस शीर्ष लाभार्थी रहे। एचसीएल टेक, इटरनल (जोमैटो), टाटा स्टील, अल्ट्राटेक सीमेंट, एचडीएफसी बैंक, आईसीआईसीआई बैंक और एक्सिस बैंक टॉप लूजर्स रहे।
खबर लिखे जाने तक एशियाई बाजारों में मिला-जुला कारोबार हो रहा था। टोक्यो, हांगकांग और जकार्ता हरे निशान में थे, जबकि शंघाई, बैंकॉक और सियोल लाल निशान में थे। अमेरिकी बाजार सोमवार को हरे निशान में बंद हुआ।
विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) ने 14 जुलाई को लगातार दूसरे दिन अपनी बिकवाली जारी रखी और 1,614 करोड़ रुपए के शेयर बेचे। इसके विपरीत, घरेलू संस्थागत निवेशकों (डीआईआई) ने छठे दिन भी खरीदारी जारी रखी और 1,787 करोड़ रुपए के शेयर खरीदे।
सोमवार को सरकार द्वारा उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) के आंकड़े जारी किए गए थे। जून में सीपीआई छह साल के निचले स्तर 2.10 प्रतिशत पर आ गया था।
जियोजित इन्वेस्टमेंट्स लिमिटेड के मुख्य निवेश रणनीतिकार डॉ. वीके विजयकुमार ने कहा, "जून में सीपीआई मुद्रास्फीति में गिरावट होना और इसका 2.10 प्रतिशत पर आना दिखाता है कि मुद्रास्फीति वित्त वर्ष 26 के लिए आरबीआई के 3.7 प्रतिशत सीपीआई मुद्रास्फीति के अनुमान से कम रहेगी। इससे ब्याज दरों में कटौती की उम्मीदें बढ़ गई हैं।"