क्या भारत में सीजीडी क्षेत्र की कंपनियों का मुनाफा चालू वित्त वर्ष में 8-12 प्रतिशत बढ़ेगा?
सारांश
Key Takeaways
- सीजीडी कंपनियों का मुनाफा 8-12 प्रतिशत बढ़ने की उम्मीद है।
- मार्जिन में सुधार के लिए कॉन्ट्रैक्टेड सप्लाई का सहारा।
- स्पॉट गैस मार्केट में उच्च लागत का प्रभाव।
- गैस खरीदने की लागत में कमी के फायदे सीमित रह सकते हैं।
- उपभोक्ताओं को उचित मूल्य पर गैस की आपूर्ति।
नई दिल्ली, 20 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। भारत में सिटी गैस डिस्ट्रीब्यूशन (सीजीडी) क्षेत्र की कंपनियों का ऑपरेटिंग मुनाफा चालू वित्त वर्ष में 7.2 से लेकर 7.5 प्रति स्टैंडर्ड क्यूबिक मीटर (एससीएम) हो सकता है, जो कि पिछले वित्त वर्ष की दूसरी छमाही के मुनाफे की तुलना में 8-12 प्रतिशत अधिक है। यह जानकारी एक रिपोर्ट में दी गई है।
पिछले वित्त वर्ष की दूसरी छमाही में सीएनजी सेगमेंट में एपीएम के तहत गैस आवंटन में बदलाव के कारण मार्जिन में बड़ी गिरावट आई थी।
इस दौरान सीजीडी कंपनियों को आपूर्ति के लिए स्पॉट गैस मार्केट का सहारा लेना पड़ा, जिससे लागत पर दबाव बढ़ गया। इसके बाद, कंपनियों ने कॉन्ट्रैक्टेड सप्लाई शुरू की है, जिससे मार्जिन में वृद्धि की उम्मीद जताई जा रही है।
क्रिसिल रेटिंग्स ने अपनी रिपोर्ट में कहा, "कंपनियों के प्रस्तावित पूंजीगत खर्च (कैपेक्स) के बावजूद अच्छी कमाई से लेवरेज नियंत्रण में रहेगा। पिछले वित्त वर्ष में कुल बिक्री मात्रा में 70 प्रतिशत हिस्सेदारी वाली सात सीजीडी कंपनियों का हमारा विश्लेषण इसी ओर संकेत करता है।"
सीजीडी कंपनियां एपीएम के तहत पुराने गैस फील्ड से कम कीमतों पर प्राथमिकता के साथ गैस लेती हैं जिससे घरेलू सीएनजी और पाइप्ड नेचुरल गैस-डोमेस्टिक (पीएनजी-जी) सेगमेंट को कम कीमतों पर सेवाएं दी जा सकें।
एपीएम के अलावा, कंपनियां कॉन्ट्रैक्टेड और स्पॉट परचेज मैकेनिज्म के तहत हाई-प्रेशर, हाई-टेम्परेचर (एचपीएचटी) गैस और इम्पोर्टेड रीगैसिफाइड लिक्विफाइड नेचुरल गैस (आर-एलएनजी) खरीदती हैं।
इससे गैस खरीदने की लागत में काफी बढ़ोतरी होती है। एपीएम से कम आवंटन के कारण पिछले साल कंपनियों ने आपूर्ति में रुकावट से बचने के लिए स्पॉट पर खरीदारी की थी, जिसकी कीमत एपीएम से 80-100 प्रतिशत अधिक थी।
इससे, वॉल्यूम के हिसाब से स्पॉट खरीदारी कुल आपूर्ति के 15 प्रतिशत से अधिक हो गई, जो पिछले वित्त वर्ष के पहले छह महीनों में 5 प्रतिशत थी।
रिपोर्ट में बताया गया है कि इस वित्त वर्ष में गैस खरीदने की लागत में कमी के कुछ फायदे दूसरे ऑपरेटिंग खर्चों में बढ़ोतरी से कम हो जाएंगे, क्योंकि कंपनियां वॉल्यूम ग्रोथ को सपोर्ट करने के लिए मौजूदा और नए ज्योमेट्रिकल एरिया में गैस इन्फ्रास्ट्रक्चर को बढ़ाने के लिए पूंजीगत व्यय करना जारी रखेंगी।