क्या एक्सपोर्ट प्रमोशन मिशन से एमएसएमई को मिलेगा बढ़ावा और देश की निर्यात प्रतिस्पर्धात्मक क्षमता बढ़ेगी?
सारांश
Key Takeaways
- एक्सपोर्ट प्रमोशन मिशन से एमएसएमई को वित्तीय सहायता मिलेगी।
- यह योजना 2025-26 से 2030-31 तक चलेगी।
- इसका बजट 25,060 करोड़ रुपए है।
- यह निर्यात प्रतिस्पर्धात्मकता को बढ़ाएगा।
- यह आत्मनिर्भरता को प्रोत्साहित करेगा।
नई दिल्ली, १३ नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को बताया कि एक्सपोर्ट प्रमोशन मिशन (ईपीएम) से सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम (एमएसएमई) को सहायता मिलेगी और यह देश की निर्यात प्रतिस्पर्धात्मक क्षमता को भी सुदृढ़ करेगा।
सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'एक्स' पर एक पोस्ट में पीएम मोदी ने कहा, "केंद्रीय कैबिनेट ने एक्सपोर्ट प्रमोशन मिशन (ईपीएम) को मंजूरी दी है, जो देश की निर्यात प्रतिस्पर्धात्मक क्षमता को बढ़ाएगा और एमएसएमई, पहले बार के निर्यातकों और उच्च श्रम उपयोग वाले क्षेत्रों को समर्थन करेगा। यह प्रमुख पक्षकारों को एक साथ लाकर एक ऐसा ढांचा तैयार करता है जो परिणाम आधारित और प्रभावी हो।"
उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि इससे ‘मेड इन इंडिया’ की पहचान विश्व बाजार में और अधिक मजबूत होगी।
यह मिशन एक्सपोर्ट प्रमोशन के लिए एक व्यापक, लचीला और डिजिटल संचालित ढांचा प्रदान करेगा। यह योजना वित्त वर्ष २०२५-२६ से लेकर वित्त वर्ष २०३०-३१ तक चलेगी और इसका परिव्यय २५,०६० करोड़ रुपए है।
निर्यातकों के लिए लाई गई क्रेडिट गारंटी स्कीम पर पीएम मोदी ने एक अन्य पोस्ट में कहा कि यह स्कीम, जिसे कैबिनेट द्वारा मंजूरी दी गई है, वैश्विक प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा देगी, सुचारू व्यावसायिक संचालन सुनिश्चित करेगी और आत्मनिर्भर भारत के हमारे सपने को साकार करने में मदद करेगी।
क्रेडिट गारंटी स्कीम को मंजूरी मिलने से नेशनल क्रेडिट गारंटी ट्रस्टी कंपनी लिमिटेड (एनसीजीटीसी) द्वारा सदस्य क्रेडिट संस्थानों (एमएलआई) को १०० प्रतिशत क्रेडिट गारंटी कवरेज प्रदान किया जाएगा, जिससे पात्र निर्यातकों, जिनमें एमएसएमई भी शामिल हैं, को २०,००० करोड़ रुपए तक की अतिरिक्त ऋण सुविधाएं मिलेंगी।
पीएम मोदी ने कहा कि कैबिनेट के इन निर्णयों से स्थिरता और आत्मनिर्भरता को बढ़ावा मिलेगा। इससे आपूर्ति श्रृंखलाएं मजबूत होंगी और रोजगार के अवसर भी पैदा होंगे।