क्या भारतीय अब घरेलू बचत के वित्तीयकरण में तेजी से निवेश कर रहे हैं? : एसबीआई

सारांश
Key Takeaways
- घरेलू बचत का वित्तीयकरण तेजी से बढ़ रहा है।
- इक्विटी में निवेश का प्रतिशत वित्त वर्ष 2024 में 5.1 प्रतिशत तक पहुंच गया है।
- सरकार की 4आर रणनीति सफल हो रही है।
- बैंक ऋण में वृद्धि के साथ नए बदलाव आ रहे हैं।
- निवेश के तरीके भविष्य में बदल सकते हैं।
नई दिल्ली, 30 जून (राष्ट्र प्रेस)। भारत में घरेलू बचत के वित्तीयकरण में उल्लेखनीय तेजी देखी जा रही है। वित्त वर्ष 2020 में घरेलू बचत का इक्विटी में निवेश 2.5 प्रतिशत से बढ़कर वित्त वर्ष 2024 में 5.1 प्रतिशत तक पहुंच गया है। यह जानकारी सोमवार को एसबीआई रिसर्च द्वारा जारी एक रिपोर्ट में दी गई।
घरेलू बचत को वित्तीय परिसंपत्तियों जैसे कि शेयर, बॉंड, म्यूचुअल फंड आदि में निवेश करना ही घरेलू बचत का वित्तीयकरण कहलाता है।
रिपोर्ट के अनुसार, भारतीय ऋण बाजार में बैंक ऋण में वृद्धि के साथ कुछ नए परिवर्तनों का सामना करना पड़ रहा है। भविष्य में, बैंक जमा (मुख्य रूप से बैंक जमा में घरेलू बचत) के माध्यम से ऋण उत्पत्ति के स्रोतों पर ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक/पीएसबी वित्त वर्ष 2025 में 12.2 प्रतिशत की स्थिर वृद्धि का प्रदर्शन कर रहे हैं, जबकि वित्त वर्ष 2024 में 13.6 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई थी। हालांकि, पीएसबी की वृद्धिशील ऋण हिस्सेदारी वित्त वर्ष 2018 के 20 प्रतिशत से बढ़कर वित्त वर्ष 2025 में 56.9 प्रतिशत तक पहुंच गई है।
रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि सरकार की 4आर रणनीति को निरंतर सफलता मिल रही है। बैंकिंग सिस्टम में परिसंपत्ति की गुणवत्ता अब वित्त वर्ष 2018 के 11.5 प्रतिशत से वित्त वर्ष 2025 की पहली छमाही में 2.6 प्रतिशत के रिकॉर्ड निचले स्तर पर पहुंच गई है। बकाया ऋण में पीएसबी की हिस्सेदारी वित्त वर्ष 2010 के 75.1 प्रतिशत से गिरकर वित्त वर्ष 2024 में 51.8 प्रतिशत तक पहुंच गई, और वित्त वर्ष 2025 में फिर से 52.3 प्रतिशत हो गई है।
क्षेत्रीय ऋण वृद्धि से संकेत मिलता है कि सेवा क्षेत्र और कृषि से संबंधित गतिविधियों के लिए ऋण वृद्धि में कमी आई है, जिससे अर्थव्यवस्था के विभिन्न क्षेत्रों में ऋण वृद्धि में नरमी आई है।
वृद्धिशील ऋण वृद्धि में व्यक्तिगत ऋण की हिस्सेदारी वित्त वर्ष 2025 में घटकर 37 प्रतिशत हो गई, जो वित्त वर्ष 2024 में 43 प्रतिशत थी, जबकि उद्योग की हिस्सेदारी वित्त वर्ष 2025 में बढ़कर 17 प्रतिशत हो गई, जो वित्त वर्ष 2024 में 11 प्रतिशत थी।
भारतीय स्टेट बैंक के मुख्य समूह आर्थिक सलाहकार डॉ. सौम्य कांति घोष ने कहा, "ऋण वृद्धि में एक्स फैक्टर एमएसएमई क्षेत्र को दिया जाने वाला ऋण है, जो सालाना आधार पर 17.8 प्रतिशत की दर से बढ़ रहा है।"
इसके अलावा, भारत के विभिन्न वर्गों की बढ़ती जरूरतों को पूरा करने के साथ वित्त वर्ष 2024 में निजी ऋण सौदों की कुल राशि 774 बिलियन रुपए रही, जो कि वर्ष 2023 की तुलना में 7 प्रतिशत अधिक है।