क्या सरकार बेसिक सैलरी और डीए के विलय पर विचार कर रही है?
सारांश
Key Takeaways
- सरकार ने डीए और बेसिक सैलरी के विलय का कोई प्रस्ताव नहीं रखा।
- सरकार की ओर से बयान उच्च मुद्रास्फीति के संदर्भ में आया है।
- कर्मचारी संघ बेसिक सैलरी में 50 प्रतिशत डीए के विलय की मांग कर रहे हैं।
- सोशल मीडिया पर फैली अफवाहें खारिज की गई हैं।
नई दिल्ली, 1 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। सरकार बेसिक सैलरी और महंगाई भत्ते (डीए) के विलय के किसी भी प्रस्ताव पर विचार नहीं कर रही है। यह जानकारी सरकार ने संसद में सोमवार को दी।
यह बयान उस समय आया है जब 8वें वेतन आयोग के लागू होने को लेकर विभिन्न अटकलें चल रही हैं। सरकार का ये बयान स्पष्टता लाएगा।
लोकसभा में एक प्रश्न के उत्तर में केंद्रीय राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने बताया कि केंद्र सरकार मौजूदा डीए को बेसिक सैलरी में विलय करने की किसी योजना पर विचार नहीं कर रही है।
चौधरी ने उन प्रश्नों का उत्तर दिया, जिसमें बताया गया कि केंद्र सरकार के कर्मचारी और पेंशनभोगी पिछले तीन दशकों में देखी गई उच्चतम मुद्रास्फीति का सामना कर रहे हैं, और डीए एवं डीआर संशोधन वर्तमान खुदरा मुद्रास्फीति के अनुरूप नहीं हैं।
नवंबर में सरकार द्वारा 8वें वेतन आयोग की शर्तों की घोषणा के बाद से कर्मचारी संघ बेसिक सैलरी में 50 प्रतिशत डीए के विलय की मांग कर रहे हैं।
सरकार ने हाल ही में एक वायरल सोशल मीडिया पोस्ट को खारिज कर दिया, जिसमें कहा गया था कि सेवानिवृत्त सरकारी कर्मचारियों को वित्त अधिनियम 2025 के तहत महंगाई भत्ते (डीए) में बढ़ोतरी और भविष्य के वेतन आयोग के लाभ नहीं मिलेंगे।
सरकार ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'एक्स' पर एक पोस्ट में कहा, "यह दावा फर्जी है। सीसीएस (पेंशन) नियम, 2021 के नियम 37 में संशोधन किया गया है, जिसमें कहा गया है कि यदि किसी पीएसयू कर्मचारी को कदाचार के लिए बर्खास्त किया जाता है, तो उनके सेवानिवृत्ति लाभ जब्त कर लिए जाएंगे।"
हालिया संशोधन केवल सीसीएस (पेंशन) नियम, 2021 के अंतर्गत एक छोटे समूह से संबंधित है, जहां पेंशन और पेंशनभोगी कल्याण विभाग और वित्त मंत्रालय के परामर्श से नियम 37 (29 सी) में संशोधन किया गया था।