क्या 2एनएम चिप उत्पादन भारत की तकनीकी आत्मनिर्भरता में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा?

सारांश
Key Takeaways
- 2एनएम चिप उत्पादन तकनीकी आत्मनिर्भरता की दिशा में महत्वपूर्ण है।
- यह राष्ट्रीय सुरक्षा और अंतरिक्ष अन्वेषण में योगदान देगा।
- भारत का सेमीकंडक्टर मिशन इकोसिस्टम को मजबूत कर रहा है।
- छात्र नवाचार से 278 संस्थान जुड़े हुए हैं।
- ग्लोबल सेमीकंडक्टर इंडस्ट्री में भारत का बाजार 2030 तक 100-110 बिलियन डॉलर तक पहुंचने की उम्मीद है।
नई दिल्ली, 20 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। केंद्र सरकार के अनुसार, भारत 'डिवाइस असेंबली' से उन्नत डिज़ाइन और चिप निर्माण की दिशा में बढ़ रहा है। आगामी 2एनएम चिप उत्पादन को 'मील का पत्थर' माना जा रहा है, जो तकनीकी आत्मनिर्भरता की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने इस सप्ताह बेंगलुरु में एआरएम के नए सेमीकंडक्टर डिज़ाइन कार्यालय का उद्घाटन किया। यह कार्यालय नेक्स्ट-जेनेरेशन 2 नैनोमीटर चिप तकनीक पर ध्यान केंद्रित करेगा, जो भारत की सेमीकंडक्टर यात्रा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
भारत में पहली बार 2एनएम चिप का डिज़ाइन किया जा रहा है। यह तकनीक एआई, मोबाइल कंप्यूटिंग और उच्च प्रदर्शन प्रणाली में अगली पीढ़ी के उपकरणों का समर्थन करेगी।
एक आधिकारिक बयान के अनुसार, 'पतली चिप्स' का मतलब कम जगह में अधिक प्रोसेसिंग क्षमता और हल्के उत्पाद हैं। छोटे ट्रांजिस्टर बेहतर दक्षता और कम बिजली खपत की अनुमति देते हैं। ये राष्ट्रीय सुरक्षा, अंतरिक्ष अन्वेषण, और रक्षा अनुप्रयोगों के लिए रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण हैं।
बयान के अनुसार, इंडिया सेमीकंडक्टर मिशन के अंतर्गत स्वीकृत कुल परियोजनाओं की संख्या अब छह राज्यों में 10 हो गई है, जिसमें कुल 1.6 लाख करोड़ रुपए का निवेश हुआ है। इकोसिस्टम को मजबूत करने के लिए इंडिया सेमीकंडक्टर मिशन में 76,000 करोड़ रुपए का प्रावधान है।
मई 2025 में केंद्रीय मंत्री वैष्णव ने नोएडा और बेंगलुरु में दो स्टेट-ऑफ-द-आर्ट सेमीकंडक्टर डिज़ाइन सेंटर का उद्घाटन किया। ये एडवांस्ड 3-नैनोमीटर चिप डिज़ाइन पर केंद्रित भारत के पहले सेंटर हैं।
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि पहले भारत ने 7एनएम और 5एनएम डिज़ाइन को हासिल कर लिया था, लेकिन 3एनएम तक पहुंचना इनोवेशन में एक नया मोड़ है। भारत अब 2एनएम चिप तकनीक की ओर बढ़ रहा है।
ग्लोबल सेमीकंडक्टर इंडस्ट्री के 2030 तक 1 ट्रिलियन डॉलर तक पहुंचने का अनुमान है, जबकि भारत का घरेलू बाजार 2030 तक 100-110 बिलियन डॉलर तक पहुंचने की उम्मीद है।
डिज़ाइन लिंक्ड इंसेंटिव (डीएलआई) योजना के तहत समर्थित घरेलू स्टार्टअप चिप डिज़ाइन को गति दे रहे हैं। कम से कम 23 चिप डिज़ाइन परियोजनाओं को मंजूरी दी गई है और 72 कंपनियां अब एडवांस्ड डिज़ाइन टूल्स का उपयोग कर रही हैं।
25 संस्थानों की टीमों द्वारा 28 चिप्स के टेप आउट होने के साथ छात्र नवाचार भी बढ़ रहा है। लगभग 278 संस्थान और विश्वविद्यालय सेमीकंडक्टर डिज़ाइन और रिसर्च में लगे हुए हैं, जिससे एक बड़े टैलेंट पूल का निर्माण हो रहा है।