क्या 2025 का फेस्टिव सीजन 2 लाख तक रोजगार के अवसर पैदा करेगा?

सारांश
Key Takeaways
- 2025 का फेस्टिव सीजन 2 लाख तक नौकरियों का सृजन करेगा।
- 70 प्रतिशत नौकरियां गिग वर्क होंगी।
- भर्ती में 20-25 प्रतिशत की वृद्धि होगी।
- टियर 2 और टियर 3 शहरों में वृद्धि की उम्मीद है।
- कंपनियों की दीर्घकालिक प्रतिभा रणनीति में बदलाव हो रहा है।
नई दिल्ली, 25 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। 2025 का फेस्टिव सीजन 2 लाख तक नए रोजगार के अवसर उत्पन्न कर सकता है, जिनमें से 70 प्रतिशत गिग वर्क होने की संभावना है। यह जानकारी एक रिपोर्ट में प्रस्तुत की गई है।
एनएलबी सर्विसेज की रिपोर्ट में बताया गया है कि भारत की फेस्टिव इकोनॉमी हमेशा से उपभोक्ता खर्च को बढ़ाने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती रही है। 2025 में सीजनल डिमांड के कारण रोजगार मॉडल में एक संरचनात्मक परिवर्तन देखने को मिल रहा है।
इस वर्ष की शुरुआत में शुरू हुआ फेस्टिव सीजन रिटेल, ई-कॉमर्स, लॉजिस्टिक्स और कंज्यूमर सर्विसेज जैसे प्रमुख क्षेत्रों में 2 लाख तक नई नौकरियों का सृजन कर सकता है।
त्योहारी अवधि के दौरान भर्ती पिछले साल की तुलना में लगभग 20-25 प्रतिशत बढ़ सकती है।
सप्लाई चेन और लास्ट-माइल डिलीवरी इंफ्रास्ट्रक्चर में बड़े निवेश के चलते क्विक कॉमर्स और थर्ड-पार्टी लॉजिस्टिक्स जैसे क्षेत्रों में यह बढ़त देखने को मिल रही है।
नई नौकरियों में से 70 प्रतिशत गिग वर्क होने की उम्मीद है, जबकि 30 प्रतिशत स्थायी नौकरियां होंगी। यह दर्शाता है कि कंपनियां फ्लेक्सिबिलिटी और स्केल को संतुलित करने के लिए एक ब्लेंडेड वर्कफोर्स मॉडल अपना रही हैं।
एनएलबी सर्विसेज के सीईओ सचिन अलुग ने कहा, "35 प्रतिशत से अधिक व्यवसाय अब अपनी दीर्घकालिक प्रतिभा रणनीति के एक घटक के रूप में फेस्टिव हायरिंग पर फिर से विचार कर रहे हैं। हम देख रहे हैं कि कंपनियां प्री-फेस्टिव स्किलिंग पहल में निवेश कर रही हैं, और अपने वर्कफोर्स डायवर्सिटी के लक्ष्यों पर फिर से विचार कर रही हैं।"
इसके अलावा, रिपोर्ट में यह भी उल्लेख किया गया है कि कई बड़े क्यू-कॉमर्स और ई-कॉमर्स प्लेयर्स फेस्टिव सीजन के बाद भी इस बढ़े हुए वर्कफोर्स का 26 प्रतिशत हिस्सा बनाए रखेंगे, जो एक संरचनात्मक बदलाव की ओर संकेत करता है।
टियर 2 और टियर 3 शहरों में भी भर्ती में उल्लेखनीय वृद्धि होने की उम्मीद है, जिससे ये एक्टिव ग्रोथ सेंटर के रूप में अपनी भूमिका को और मजबूत कर सकते हैं।
भुवनेश्वर, कोच्चि, इंदौर, सूरत और नागपुर जैसे शहरों में गिग वर्क में 30-40 प्रतिशत की वृद्धि होने की संभावना है।
इन शहरों में रिटेल और ई-कॉमर्स कंपनियों के लिए माइक्रो-फुलफिलमेंट हब के रूप में उभरने के साथ, पिछले फेस्टिव सीजन में टियर 2 शहरों में कुल गिग हायरिंग का 47 प्रतिशत हिस्सा था। इस आंकड़े में वित्त वर्ष 26 में 50 प्रतिशत तक वृद्धि होने की उम्मीद है।
अलुग ने कहा, "हालांकि, बेंगलुरु, मुंबई और दिल्ली जैसे मेट्रो शहर, वॉल्यूम के मामले में मांग में आगे बने हुए हैं, असली वृद्धि का रुझान स्पष्ट रूप से टियर 2 और टियर 3 शहरों की ओर बढ़ रहा है, जहां टैलेंट की सप्लाई मजबूत है और ऑपरेशनल लागत कम है।"