क्या नागार्जुन के पर्सनालिटी राइट्स केस पर दिल्ली हाईकोर्ट आज सुनाएगा फैसला?

सारांश
Key Takeaways
- नागार्जुन अक्किनेनी का पर्सनालिटी राइट्स मामला महत्वपूर्ण है।
- दिल्ली उच्च न्यायालय का फैसला कल आएगा।
- अश्लील वेबसाइटों का उपयोग चिंता का विषय है।
- अनधिकृत सामग्री की बिक्री पर रोक लगाई जा सकती है।
- पर्सनालिटी राइट्स का उल्लंघन गंभीर मुद्दा है।
नई दिल्ली, २५ सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। तेलुगु अभिनेता नागार्जुन अक्किनेनी के पर्सनालिटी राइट्स की सुरक्षा के लिए दायर की गई याचिका पर दिल्ली उच्च न्यायालय गुरुवार को अपने निर्णय की घोषणा करेगा। इस मामले की सुनवाई जस्टिस तेजस करिया की एकल पीठ कर रही है।
सुनवाई के दौरान, जस्टिस तेजस करिया ने मौखिक टिप्पणी में कहा, "जब आप यूआरएल की पहचान कर सकते हैं तो सबसे उपयुक्त यही होगा कि उन्हें हटाने का आदेश दिया जाए। हम इस पर निर्णय लेंगे।"
अभिनेता की तरफ से वकील प्रवीण आनंद ने अदालत में पेश होकर कहा कि वे तीन प्रमुख उल्लंघनों से चिंतित हैं—अश्लील वेबसाइटें, अभिनेता के व्यक्तित्व का अनधिकृत उपयोग करके सामान की बिक्री, और विभिन्न यूट्यूब वीडियो।
वकील प्रवीण ने बताया कि अश्लील सामग्री वाली वेबसाइट पर प्रतिवादी के पास ५-६ प्रॉक्सी रजिस्ट्रार हैं, दूसरी वेबसाइट पर उनके चित्र के साथ टी-शर्ट और अन्य सामान बेचे जा रहे हैं, और तीसरी एआई द्वारा जनरेट की गई सामग्री है। ये सभी पेड प्रमोशन हैं और इनमें नागार्जुन हैशटैग का भी उपयोग किया गया है।
नागार्जुन के वकील ने हाल ही में उच्च न्यायालय द्वारा पर्सनालिटी राइट्स पर दिए गए फैसलों का जिक्र किया जिसमें ऐश्वर्या राय बच्चन समेत अन्य अभिनेताओं के मामले शामिल हैं। वकील ने अदालत को बताया कि नागार्जुन तेलुगु फिल्म उद्योग का एक प्रमुख नाम हैं। उन्होंने ९५ फिल्मों में काम किया है और उन्हें दो नेशनल अवार्ड और तीन फिल्मफेयर अवार्ड प्राप्त हुए हैं।
नागार्जुन के वकील ने अदालत को बताया कि कई वेबसाइटें उनके नाम का गलत तरीके से उपयोग कर रही हैं।
गौरतलब है कि इससे पहले ऐश्वर्या राय बच्चन, करण जौहर और अभिषेक बच्चन भी पर्सनैलिटी राइट्स की सुरक्षा के लिए अदालत में जा चुके हैं। विभिन्न अदालतों ने इन तीनों को राहत देने के साथ-साथ उनकी तस्वीरों और आवाज़ का बिना अनुमति उपयोग करने पर रोक लगाई थी।
इसके साथ ही यह भी कहा गया था कि इन अभिनेताओं को भ्रामक या अपमानजनक तरीके से चित्रित करने के लिए एआई जैसी तकनीकों का उपयोग करना उनकी गोपनीयता और गरिमा का उल्लंघन है।
इन सबके मद्देनजर, यह संभावना है कि नागार्जुन के मामले में भी फैसला उनके पक्ष में आ सकता है।