क्या कुब्जा मंदिर 500 साल से ज्यादा पुराना और खास है, जहाँ श्रीकृष्ण कुब्जा संग हैं?

सारांश
Key Takeaways
- कुब्जा मंदिर 500 साल पुराना है।
- यह श्रीकृष्ण और कुब्जा की कथा का प्रतीक है।
- श्रद्धालु यहां बीमारियों से मुक्ति के लिए आते हैं।
- राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू का दौरा इस मंदिर की महत्ता को दर्शाता है।
- ड्रोन से सुरक्षा व्यवस्था की गई है।
नई दिल्ली, २५ सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। आज भारत की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू मथुरा-वृंदावन के दौरे पर हैं। राष्ट्रपति मथुरा-वृंदावन की पावन भूमि पर विभिन्न मंदिरों में दर्शन करने का कार्यक्रम बना रही हैं।
राष्ट्रपति निधिवन, बांके बिहारी मंदिर, सुदामा कुटी, कुब्जा कृष्ण मंदिर और श्रीकृष्ण जन्मस्थान में दर्शन करेंगी। खास बात यह है कि राष्ट्रपति मुर्मू कुब्जा कृष्ण मंदिर जाएंगी, जो यमुना के किनारे स्थित अंतरपाड़ा में है।
यह मंदिर श्री कृष्ण की कृपा का एक अद्भुत उदाहरण है, क्योंकि यहां आज भी भक्त अपनी बीमारियों से मुक्ति पाने के लिए आते हैं। यह मंदिर ५०० साल से अधिक पुराना है और यहां श्रीकृष्ण कुब्जा के साथ भक्तों को दर्शन देते हैं।
कहा जाता है कि इसी स्थान पर कंस की दासी कुब्जा निवास करती थी और चंदन को अपने हाथों से पीसकर कंस को भेजती थी। जब कंस और भगवान श्रीकृष्ण के बीच मलयुद्ध होने वाला था, तब श्रीकृष्ण खुद आकर कुब्जा से मिले और उनकी पीठ पर प्यार से हाथ फेरा।
श्रीकृष्ण के स्पर्श से कुब्जा के सारे रोग समाप्त हो गए और वह एक सुंदर महिला में परिवर्तित हो गई। इसी चमत्कार के कारण आज भी भक्त कुब्जा मंदिर में अपने रोगों से छुटकारा पाने आते हैं।
यह मान्यता है कि जो भी चर्म रोग से पीड़ित है, वह इस मंदिर में पूजा-अर्चना करता है तो उसे चर्म रोग से मुक्ति मिलती है।
कुब्जा मंदिर केवल शारीरिक उपचार के लिए नहीं है, बल्कि यह श्रीकृष्ण के प्रति कुब्जा की गहरी श्रद्धा को भी दर्शाता है। आज राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू दर्शन के लिए दोपहर के समय आने वाली हैं, जिसके कारण सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए हैं।
ड्रोन के माध्यम से मथुरा-वृंदावन के प्रमुख स्थानों की निगरानी की जा रही है। उल्लेखनीय है कि राष्ट्रपति ने पहले ही बांके बिहारी मंदिर और निधिवन के दर्शन कर लिए हैं। वह अपने पूरे परिवार के साथ श्रीकृष्ण के पावन स्थलों का दर्शन कर रही हैं।