क्या झारखंड शराब घोटाले के आरोपियों को बचाने की साजिश हो रही है? सीबीआई जांच की मांग : बाबूलाल मरांडी

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क्या झारखंड शराब घोटाले के आरोपियों को बचाने की साजिश हो रही है? सीबीआई जांच की मांग : बाबूलाल मरांडी

सारांश

झारखंड में शराब घोटाले को लेकर पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी ने मुख्यमंत्री सोरेन को पत्र लिखकर घोटाले की जांच में लापरवाही का आरोप लगाया है। उन्होंने एसीबी में हालिया फेरबदल पर सवाल उठाते हुए सीबीआई जांच की मांग की है, जिससे राज्य की राजनीतिक स्थिति और भी विचलित हो गई है।

Key Takeaways

  • झारखंड शराब घोटाले में सरकारी खजाने को बड़ा नुकसान हुआ है।
  • बाबूलाल मरांडी ने सीबीआई जांच की मांग की है।
  • एसीबी की लापरवाही से आरोपियों को राहत मिली है।
  • राजनीतिक साजिश के आरोप सामने आए हैं।
  • निष्पक्षता और पारदर्शिता की आवश्यकता है।

रांची, २५ सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। झारखंड में शराब घोटाले को लेकर राजनीतिक माहौल काफी गरम है। पूर्व मुख्यमंत्री और झारखंड विधानसभा के नेता प्रतिपक्ष बाबूलाल मरांडी ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को पत्र लिखकर घोटाले की जांच में गंभीर लापरवाही के आरोप लगाए हैं। उन्होंने एंटी-करप्शन ब्यूरो (एसीबी) में हाल में हुए शीर्ष स्तर के फेरबदल पर सवाल उठाते हुए पूरे मामले की सीबीआई जांच कराने की मांग की है।

मरांडी ने पत्र में लिखा कि इस बहुचर्चित शराब घोटाले में सरकारी खजाने को सैकड़ों करोड़ रुपए का नुकसान हुआ। इस मामले में निलंबित आईएएस अधिकारी विनय कुमार चौबे, पूर्व आईएएस अमित प्रकाश, झारखंड स्टेट बेवरेज कॉरपोरेशन (जेएसबीसीएल) के तत्कालीन महाप्रबंधक सुधीर कुमार दास, कारोबारी सिद्धार्थ सिंघानिया और नकली होलोग्राम सप्लाई करने वाले विधु गुप्ता सहित कई बड़े लोगों को आरोपी बनाया गया था। इन्हें न्यायिक हिरासत में जेल भेजा गया, लेकिन एसीबी की लापरवाही से लगभग सभी मुख्य आरोपी जमानत पर बाहर आ गए।

बाबूलाल मरांडी ने आरोप लगाया कि एसीबी ने जानबूझकर इन आरोपियों के खिलाफ 90 दिनों की समयसीमा के भीतर अदालत में चार्जशीट दाखिल नहीं की। इसके चलते निलंबित आईएएस विनय कुमार चौबे, पूर्व आईएएस अमित प्रकाश, जेएसबीसीएल के पदाधिकारी, मार्शन कंपनी के कर्मचारी और छत्तीसगढ़ के कारोबारी सहित कई आरोपियों को राहत मिल गई। यह किसी सामान्य चूक का मामला नहीं, बल्कि आरोपियों को बचाने की सोची-समझी साजिश है।

मरांडी ने कहा कि जब जांच एजेंसी ही समय पर कार्रवाई नहीं करेगी, तो न्याय की उम्मीद करना कठिन है।

उन्होंने एसीबी में हालिया फेरबदल पर भी सवाल उठाए हैं। उनके अनुसार, एसीबी के शीर्ष नेतृत्व में बदलाव के साथ ही पाँच अधिकारियों का तबादला कर दिया गया।

मरांडी ने पूछा कि ये अधिकारी किन परिस्थितियों में एसीबी में पदस्थापित किए गए थे, फिर अचानक क्यों हटाए गए और अब वे कहाँ कार्यरत हैं। उन्होंने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से मांग की है कि पूरे घोटाले की निष्पक्ष जांच सीबीआई को सौंपी जाए। साथ ही एसीबी के उन अधिकारियों की भूमिका की जांच की जाए, जिन्होंने चार्जशीट दाखिल करने में लापरवाही बरती।

उन्होंने यह भी कहा कि एसीबी में हुए तबादलों के पीछे के कारणों और संबंधित अधिकारियों की बेनामी संपत्तियों की जांच होनी चाहिए। भाजपा नेता ने चेतावनी दी कि यदि राज्य सरकार ने इस मामले में तत्काल और ठोस कार्रवाई नहीं की तो यह माना जाएगा कि घोटाले को सरकारी संरक्षण प्राप्त है।

Point of View

NationPress
25/09/2025

Frequently Asked Questions

झारखंड शराब घोटाला क्या है?
यह एक बड़ा वित्तीय घोटाला है जिसमें सरकारी खजाने को सैकड़ों करोड़ रुपए का नुकसान हुआ है।
बाबूलाल मरांडी ने क्या आरोप लगाए हैं?
उन्होंने एसीबी पर लापरवाही के आरोप लगाते हुए सीबीआई जांच की मांग की है।
इस मामले में एसीबी की भूमिका क्या है?
एसीबी ने आरोपियों के खिलाफ समय पर चार्जशीट दाखिल नहीं की, जिससे उन्हें जमानत मिल गई।