क्या रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंचने के बावजूद दिवाली पर सोने-चांदी की मांग बनी रहेगी?

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क्या रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंचने के बावजूद दिवाली पर सोने-चांदी की मांग बनी रहेगी?

सारांश

दिवाली के इस सीजन में सोने और चांदी की मांग में तेजी बनी रहेगी, भले ही सोने की कीमतें नए रिकॉर्ड पर पहुंच गई हों। रिपोर्ट के अनुसार, सांस्कृतिक मांग और चांदी की औद्योगिक भूमिका कीमतों को प्रभावित कर सकती है। जानें इस साल दिवाली पर सोने-चांदी की संभावनाएं क्या हैं।

Key Takeaways

  • दिवाली पर सोने और चांदी की मांग बनी रहेगी।
  • चांदी की कीमतें औद्योगिक मांग के कारण बढ़ सकती हैं।
  • सोने की कीमतें 3,850 डॉलर प्रति औंस तक पहुंच सकती हैं।
  • भारतीय उपभोक्ता डिज़ाइन और डिजिटल गोल्ड पसंद कर रहे हैं।
  • भारत का स्वर्ण भंडार 880 टन है।

नई दिल्ली, 16 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। सोने की कीमतों के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंचने के बावजूद, भारत में पीली धातु के स्वामित्व को बनाए रखने में संस्कृतिक मांग की महत्वपूर्ण भूमिका रहेगी, और चांदी की औद्योगिक भूमिका इसकी कीमत को 50 डॉलर प्रति औंस से ऊपर ले जा सकती है। यह जानकारी गुरुवार को एक रिपोर्ट में दी गई।

एमपी फाइनेंशियल एडवाइजरी सर्विसेज की रिपोर्ट में कहा गया है, "हमारा मानना ​​है कि सोना 2025 के शानदार प्रदर्शन को दोहरा न पाए, लेकिन इसकी ऊपर की गति अभी खत्म नहीं हुई है।"

फाइनेंशियल कंसल्टेंसी फर्म ने कहा, "औद्योगिक मांग के कारण, चांदी में इस बार 50 डॉलर के स्तर को पार करने की क्षमता है।"

रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत के दिवाली सीजन में सोने और चांदी की मांग में तेजी बनी हुई है क्योंकि ग्राहक अपना खरीद पैटर्न बदलकर रिकॉर्ड कीमतों के साथ तालमेल बिठा रहे हैं।

इसमें कहा गया है कि उपभोक्ता हल्के, कम कैरेट वाले डिजाइन, लीवरेज्ड एक्सचेंज और पुराने सोने के कार्यक्रमों को पसंद कर रहे हैं और उन्होंने डिजिटल गोल्ड और सॉवरेन गोल्ड बॉंड के साथ प्रयोग किया है।

नवंबर 2022 में सोने की कीमतें लगभग 1,900 डॉलर प्रति औंस से बढ़कर अक्टूबर 2025 तक लगभग 3,850 डॉलर हो गईं और घरेलू कीमतें 1 लाख रुपए प्रति 10 ग्राम से अधिक हो गईं। औद्योगिक मांग से चांदी की कीमतें 24 डॉलर प्रति औंस से बढ़कर लगभग 47 डॉलर हो गईं।

फर्म ने बताया कि अमेरिकी ब्याज दरों में कटौती, केंद्रीय बैंकों की निरंतर खरीदारी और सोलर एवं इलेक्ट्रॉनिक्स सप्लाई चेन में औद्योगिक पुनःभंडारण से बढ़ी उम्मीदों के कारण सोने में तेजी आई। सोने ने वृहद आर्थिक उतार-चढ़ाव के बीच मूल्य के एक स्थिर भंडार के रूप में अपनी स्थिति की पुष्टि की, जबकि चांदी ने औद्योगिक पुनरुद्धार के चक्रीय संकेतक के रूप में इस प्रक्रिया को बढ़ाया।

रिपोर्ट में कहा गया है कि इस वर्ष जून तक अमेरिका के पास 8,133 टन स्वर्ण भंडार था, उसके बाद जर्मनी का स्थान था, जिसके पास 3,350 टन हैं। उभरते बाजारों में, चीन 2,299 टन के साथ, भारत 880 टन के साथ और तुर्की 635 टन के साथ सक्रिय संचयक रहे हैं, जो अमेरिकी डॉलर से धीरे-धीरे दूर होते विविधीकरण को दर्शाता है।

Point of View

हम यह मानते हैं कि सोने और चांदी की मांग में वृद्धि भारतीय संस्कृति का एक अभिन्न हिस्सा है। दिवाली के अवसर पर, यह मांग और भी अधिक प्रबल हो जाती है, जो दर्शाता है कि भारतीय उपभोक्ता अपनी परंपराओं को महत्व देते हैं। बाजार की स्थिति का विश्लेषण करते हुए, हमें यह स्वीकार करना चाहिए कि कीमतों में उतार-चढ़ाव के बावजूद, भारतीयों का सोने और चांदी के प्रति प्रेम कभी कम नहीं होगा।
NationPress
16/10/2025

Frequently Asked Questions

क्या दिवाली पर सोने और चांदी की मांग बढ़ेगी?
हाँ, दिवाली पर सोने और चांदी की मांग बढ़ने की संभावना है, भले ही कीमतें रिकॉर्ड ऊंचाई पर हों।
चांदी की कीमतें क्यों बढ़ सकती हैं?
चांदी की औद्योगिक मांग के कारण, इसकी कीमतें 50 डॉलर प्रति औंस के स्तर को पार कर सकती हैं।
सोने की कीमतें कब बढ़ी थीं?
सोने की कीमतें नवंबर 2022 में लगभग 1,900 डॉलर प्रति औंस से बढ़कर अक्टूबर 2025 तक लगभग 3,850 डॉलर हो गईं।
भारतीय उपभोक्ता क्या खरीदने की योजना बना रहे हैं?
भारतीय उपभोक्ता हल्के, कम कैरेट वाले डिज़ाइन और डिजिटल गोल्ड में रुचि दिखा रहे हैं।
क्या भारत में सोने के भंडार में वृद्धि हो रही है?
जी हां, भारत के पास 880 टन का स्वर्ण भंडार है, जो इसकी बढ़ती मांग को दर्शाता है।