क्या मुंबई-अहमदाबाद बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट का गुजरात सेक्शन दिसंबर 2027 तक पूरा होगा?

सारांश
Key Takeaways
- गुजरात सेक्शन का कार्य दिसंबर 2027 तक पूरा होगा।
- इसकी कुल लागत लगभग 1,08,000 करोड़ रुपए है।
- बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट में 12 स्टेशन शामिल हैं।
- जापान द्वारा वित्तीय सहायता प्राप्त है।
- सुरंग निर्माण का कार्य भी चल रहा है।
नई दिल्ली, 23 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बुधवार को संसद में बताया कि वापी और साबरमती के बीच मुंबई-अहमदाबाद हाई स्पीड रेल (एमएएचएसआर) प्रोजेक्ट का गुजरात सेक्शन दिसंबर 2027 तक पूरा होने की उम्मीद है। इस प्रोजेक्ट की कुल लंबाई 508 किलोमीटर है, जिसका पूरा कार्य दिसंबर 2029 तक संपन्न होने की संभावना है।
केंद्रीय मंत्री ने बताया कि यह बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट अत्यंत जटिल और तकनीकी दृष्टि से गहन है। इसके पूर्ण होने का सही समय तभी पता चलेगा जब सभी निर्माण कार्य जैसे सिविल स्ट्रक्चर, ट्रैक, इलेक्ट्रिकल, सिग्नलिंग और दूरसंचार का काम पूरा हो जाएगा।
यह प्रोजेक्ट जापान सरकार की तकनीकी और वित्तीय सहायता से चलाया जा रहा है और यह गुजरात, महाराष्ट्र और दादरा और नगर हवेली से होकर गुजरता है।
इस प्रोजेक्ट में मुंबई, ठाणे, विरार, बोईसर, वापी, बिलिमोरा, सूरत, भरूच, वडोदरा, आणंद, अहमदाबाद और साबरमती में 12 स्टेशनों का निर्माण किया जाएगा।
उन्होंने कहा कि इस प्रोजेक्ट पर 30 जून, 2025 तक कुल 78,839 करोड़ रुपए खर्च किए जा चुके हैं।
इसकी कुल अनुमानित लागत लगभग 1,08,000 करोड़ रुपए है, जिसमें से 81 प्रतिशत यानी 88,000 करोड़ रुपए की फंडिंग जापान इंटरनेशनल कॉरपोरेशन एजेंसी (जेआईसीए) द्वारा की जा रही है। शेष 19 प्रतिशत यानी 20,000 करोड़ रुपए की फंडिंग रेल मंत्रालय (50 प्रतिशत) और महाराष्ट्र एवं गुजरात राज्य सरकारों (प्रत्येक 25 प्रतिशत) के सहयोग से की जाएगी।
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि महाराष्ट्र में भूमि अधिग्रहण में देरी के कारण परियोजना 2021 तक प्रभावित रही। हालाँकि, अब तक इस प्रोजेक्ट के लिए पूरी भूमि (1389.5 हेक्टेयर) अधिग्रहित कर ली गई है। अंतिम स्थान सर्वेक्षण और भू-तकनीकी जांच पूर्ण हो चुकी है और संरेखण को अंतिम रूप दिया जा चुका है।
बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट के बारे में जानकारी देते हुए केंद्रीय मंत्री ने बताया कि 392 किलोमीटर पियर निर्माण, 329 किलोमीटर गर्डर कास्टिंग और 308 किलोमीटर गर्डर लॉन्चिंग का काम पूरा हो चुका है। समुद्र के नीचे लगभग 21 किलोमीटर की सुरंग का कार्य भी आरंभ हो चुका है। एमएएचएसआर कॉरिडोर के माध्यम से भारत में हाई-स्पीड रेल नेटवर्क का विस्तार किया जा रहा है।