क्या हिंदुस्तान जिंक ने ग्रीन लॉजिस्टिक्स के लिए ग्रीनलाइन मोबिलिटी के साथ साझेदारी की है?

सारांश
Key Takeaways
- 100 इलेक्ट्रिक ट्रकों की तैनाती
- बिजली और एलएनजी ट्रकों के माध्यम से डीकार्बनाइजेशन
- भारत का पहला बैटरी स्वैपिंग इन्फ्रास्ट्रक्चर
- कंपनी का 2050 तक नेट जीरो बनने का लक्ष्य
- सालाना 1,50,000 टन कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन में कमी
मुंबई/उदयपुर, 4 अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। दुनिया की सबसे बड़ी और भारत की एकमात्र एकीकृत जिंक उत्पादक कंपनी हिंदुस्तान जिंक लिमिटेड ने देश में हरित लॉजिस्टिक्स के सबसे बड़े परिवर्तनों में से एक की शुरुआत की है। यह पहल ग्रीनलाइन मोबिलिटी सॉल्यूशंस लिमिटेड, जो कि एस्सार समूह की एक इकाई है, और भारत के प्रमुख ग्रीन लॉजिस्टिक्स ऑपरेटर के साथ मिलकर की गई है।
यह साझेदारी हिंदुस्तान जिंक की आपूर्ति श्रृंखला को 100 प्रतिशत डीकार्बनाइज करने के लक्ष्य के प्रति एक महत्वपूर्ण कदम है, जिसमें अत्याधुनिक इलेक्ट्रिक (ईवी) और लिक्विफाइड नैचुरल गैस (एलएनजी) ट्रकों का समावेश होगा।
इस पहल के तहत, कंपनी की आपूर्ति श्रृंखला में ईवी और एलएनजी ट्रकों का व्यापक समावेश किया जाएगा, जो कि नेट जीरो उत्सर्जन प्राप्त करने की दिशा में हिंदुस्तान जिंक की प्रतिबद्धता को और मजबूत करेगा।
इस रणनीतिक सहयोग में, ग्रीनलाइन 400 करोड़ रुपए का निवेश करेगी, जिससे 100 इलेक्ट्रिक ट्रकों की तैनाती की जाएगी। ये ट्रक कंपनी के खदानों और स्मेल्टर्स के बीच खनिजों के अंतरिक आवागमन में डीजल वाहनों की जगह लेंगे।
इसके साथ ही, भारत का पहला वाणिज्यिक स्तर का बैटरी स्वैपिंग इन्फ्रास्ट्रक्चर स्थापित किया जाएगा, जिसमें 3 उच्च-क्षमता वाले स्टेशन होंगे, जो 24x7 संचालन में सक्षम होंगे। इसके अतिरिक्त, हिंदुस्तान जिंक के एलएनजी बेड़े में 100 नए एलएनजी ट्रकों को जोड़ा जाएगा, जिससे इसकी संख्या दोगुनी होकर 200 हो जाएगी, जिसका उपयोग तैयार उत्पादों के दीर्घ दूरी परिवहन के लिए किया जाएगा।
हिंदुस्तान जिंक लिमिटेड के सीईओ अरुण मिश्रा ने कहा, “हिंदुस्तान जिंक में हम सतत प्रथाओं को अपनाने के लिए दृढ़ संकल्पित हैं और मानते हैं कि निर्माण का भविष्य हरित है। ईवी और एलएनजी ट्रकों की इस बड़े पैमाने पर तैनाती के जरिए, हम नेट जीरो की दिशा में एक साहसिक कदम उठा रहे हैं, जिससे हमारी आपूर्ति श्रृंखला को अधिक स्थायी और पर्यावरण-अनुकूल बनाया जा सकेगा।”
यह पहल लागत कुशलता भी लाएगी, क्योंकि इससे रियायती माल भाड़ा दरें प्राप्त होंगी और अनुमानतः हर महीने लगभग 236 मीट्रिक टन कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन में कटौती होगी, जो लगभग 12,000 पेड़ लगाने के बराबर है। यह पहल सालाना लगभग 1,50,000 टन स्कोप 3 उत्सर्जन में कटौती कर सकेगी, जिससे कंपनी के 2050 या उससे पहले नेट जीरो बनने के लक्ष्य को बल मिलेगा और भारत के ग्रीन ग्रोथ एजेंडे को समर्थन मिलेगा।
ग्रीनलाइन के सीईओ आनंद मिमानी ने कहा, “स्वच्छ परिवहन अब भविष्य का विकल्प नहीं, बल्कि आज की जिम्मेदारी है। हिंदुस्तान जिंक के साथ यह संयुक्त तैनाती लॉजिस्टिक्स के बड़े पैमाने पर डीकार्बनाइजेशन की हमारी साझा तात्कालिकता को दर्शाती है। ब्लू एनर्जी मोटर्स द्वारा निर्मित हमारे एलएनजी और ईवी बेड़े के माध्यम से हम नवाचार, स्थिरता और व्यवहारिक प्रभाव का एक शक्तिशाली मॉडल प्रस्तुत कर रहे हैं।”
एसएंडपी ग्लोबल कॉर्पोरेट सस्टेनेबिलिटी असेसमेंट 2024 द्वारा विश्व की सबसे सतत कंपनी के रूप में मान्यता प्राप्त हिंदुस्तान जिंक ने हाल ही में अपने महत्वाकांक्षी 2030 सतत विकास लक्ष्य की घोषणा की थी। इसमें जलवायु परिवर्तन, जल प्रबंधन, जैव विविधता संरक्षण, जिम्मेदार सोर्सिंग, परिपत्र अर्थव्यवस्था, कार्यबल विविधता और सामाजिक प्रभाव जैसे विषयों में उच्च लक्ष्य शामिल हैं। कंपनी ने 2020 के आधार वर्ष से स्कोप 1 और 2 उत्सर्जनों में 50 प्रतिशत और स्कोप 3 उत्सर्जनों में 25 प्रतिशत की कटौती का संकल्प लिया है।
वर्तमान में, ग्रीनलाइन 650 से अधिक एलएनजी ट्रकों का संचालन करती है, जो एफएमसीजी, ई-कॉमर्स, धातु व खनन, सीमेंट, तेल व गैस और रसायन जैसे क्षेत्रों के ग्राहकों को सेवाएं प्रदान कर रही है। इसका बेड़ा 5 करोड़ किलोमीटर से अधिक की दूरी तय कर चुका है, जिससे 14,000 टन से अधिक कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन में कटौती हुई है।
कंपनी का लक्ष्य 10,000 से अधिक ट्रकों का नेटवर्क तैयार करना है, जो 100 एलएनजी रीफ्यूलिंग स्टेशन, ईवी चार्जिंग हब और बैटरी स्वैपिंग सुविधाओं के माध्यम से समर्थित होगा, एक ऐसा एकीकृत ग्रीन मोबिलिटी इकोसिस्टम, जो सालाना 1 मिलियन टन तक कार्बन उत्सर्जन में कटौती करने की क्षमता रखता है।