क्या स्वदेशी रक्षा क्षमताओं को 16,000 एमएसएमई सशक्त बना रहे हैं?
सारांश
Key Takeaways
- रक्षा उत्पादन में ऐतिहासिक वृद्धि
- 16,000 एमएसएमई का योगदान
- बजट में निरंतर वृद्धि
- 100 से अधिक देशों को निर्यात
- आत्मनिर्भर भारत की दिशा में कदम
नई दिल्ली, 20 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। केंद्र सरकार के अनुसार, भारत की 'रणनीतिक सहयोग' और साहसिक 'नीतिगत पहलें' अब रक्षा आत्मनिर्भरता और तकनीकी संप्रभुता के एक नए युग की नींव रख रही हैं। घरेलू उत्पादन और निर्यात में निरंतर वृद्धि के साथ कटिंग-एज टेक्नोलॉजी का औद्योगिक पारिस्थितिकी तंत्र में तेजी से समावेश भारत की प्रगति को दर्शाता है। भारत का ग्लोबल डिफेंस मैन्युफैक्चरिंग हब का विजन अब एक वास्तविकता बन रहा है।
आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, वित्तीय वर्ष 2024-25 में भारत का रक्षा उत्पादन 1.54 लाख करोड़ रुपए तक पहुंच गया है, जो कि अब तक का सर्वोच्च स्तर है। इसी तरह, देश का रक्षा निर्यात वित्तीय वर्ष 2024-25 में रिकॉर्ड 23,622 करोड़ रुपए तक पहुंच गया, जो 2014 में 1,000 करोड़ रुपए से भी कम था।
भारत वर्तमान में अमरीका, फ्रांस और आर्मेनिया सहित 100 से अधिक देशों को रक्षा उपकरणों का निर्यात कर रहा है। कुल रक्षा उत्पादन में रक्षा सार्वजनिक क्षेत्र उपक्रमों (डीपीएसयू) और अन्य सार्वजनिक उपक्रमों का योगदान लगभग 77 प्रतिशत है, जबकि निजी क्षेत्र का योगदान 23 प्रतिशत तक पहुंच गया है — जो वित्तीय वर्ष 2023-24 के 21 प्रतिशत से बढ़कर 2024-25 में दर्ज किया गया है। यह आंकड़ा भारत के डिफेंस इकोसिस्टम में निजी क्षेत्र की तेजी से बढ़ती भूमिका को स्पष्ट रूप से दर्शाता है।
देश रक्षा उत्पादन को 3 लाख करोड़ रुपए तक बढ़ाने और 2029 तक 50,000 करोड़ रुपए के निर्यात लक्ष्य को प्राप्त करने की दिशा में अग्रसर है।
वित्तीय वर्ष 2023-24 में भारत का स्वदेशी रक्षा उत्पादन रिकॉर्ड 1,27,434 करोड़ रुपए तक पहुंच गया, जो 2014-15 के 46,429 करोड़ रुपए की तुलना में 174 प्रतिशत की शानदार वृद्धि को दर्शाता है। यह ऐतिहासिक उपलब्धि पीएम मोदी की आत्मनिर्भर भारत नीति और रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देने वाली सशक्त नीतिगत पहलों का परिणाम है। लगभग 16,000 एमएसएमई स्वदेशी रक्षा क्षमताओं को सशक्त बनाते हुए देश की रक्षा आत्मनिर्भरता में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं।
बीते वर्षों में रक्षा बजट में भी निरंतर वृद्धि दर्ज की गई है, जो 2013-14 के 2.53 लाख करोड़ रुपए से बढ़कर 2025-26 में अनुमानित 6.81 लाख करोड़ रुपए तक पहुंच गया है। यह वृद्धि सरकार की राष्ट्रीय सुरक्षा और डिफेंस इंफ्रास्ट्रक्चर को मजबूत करने की दृढ़ प्रतिबद्धता को प्रदर्शित करती है।