क्या भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 4.03 अरब डॉलर बढ़कर 698.26 अरब डॉलर हुआ?

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क्या भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 4.03 अरब डॉलर बढ़कर 698.26 अरब डॉलर हुआ?

सारांश

भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 4.03 अरब डॉलर की वृद्धि के साथ 698.26 अरब डॉलर तक पहुँच गया है, जो आरबीआई की रिपोर्ट के अनुसार एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है। इस वृद्धि के पीछे कई आर्थिक कारक काम कर रहे हैं। जानिए इस विषय में और क्या जानकारी है।

Key Takeaways

  • विदेशी मुद्रा भंडार में 4.03 अरब डॉलर की वृद्धि हुई।
  • गोल्ड रिजर्व ने भी महत्वपूर्ण वृद्धि दिखाई।
  • आरबीआई की नीतियाँ आर्थिक स्थिरता को बढ़ा रही हैं।
  • विशेष आहरण अधिकार की वैल्यू स्थिर रही।
  • भारत की रिजर्व पोजीशन में बढ़ोतरी हुई है।

नई दिल्ली, 12 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 5 सितंबर को समाप्त हुए हफ्ते में सालाना आधार पर 4.03 अरब डॉलर की वृद्धि के साथ 698.26 अरब डॉलर तक पहुँच गया है। यह जानकारी भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने शुक्रवार को साझा की।

देश में विदेशी मुद्रा भंडार में निरंतर बढ़ोतरी देखी जा रही है। पिछले महीने, यह विदेशी मुद्रा भंडार 3.51 अरब डॉलर बढ़कर 694.2 अरब डॉलर हो गया था।

आरबीआई के आंकड़ों के अनुसार, विदेशी मुद्रा आस्तियां (एफसीए) का मूल्य 54 करोड़ डॉलर बढ़कर 584.47 अरब डॉलर हो गया है।

विदेशी मुद्रा आस्तियों में विदेशी मुद्रा भंडार में रखे गए यूरो, पाउंड और येन जैसी गैर-अमेरिकी इकाइयों के मूल्यवृद्धि या मूल्यह्रास का प्रभाव डॉलर के रूप में समाहित होता है।

समीक्षा अवधि में, गोल्ड रिजर्व 3.53 अरब डॉलर बढ़कर 90.29 अरब डॉलर हो गया। वैश्विक भू-राजनीतिक तनावों के चलते, केंद्रीय बैंक अपने विदेशी मुद्रा भंडार में सुरक्षित निवेश के रूप में सोने के रिजर्व को तेजी से बढ़ा रहे हैं।

भारतीय रिजर्व बैंक ने 2021 से अपने विदेशी मुद्रा भंडार में सोने के हिस्से को लगभग दोगुना कर लिया है।

केंद्रीय बैंक के आंकड़ों के अनुसार, समीक्षा अवधि में विशेष आहरण अधिकार (एसडीआर) की वैल्यू 18.74 अरब डॉलर रही है।

अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) में भारत की रिजर्व पोजीशन भी 20 लाख डॉलर बढ़कर 4.75 अरब डॉलर हो गई है।

मजबूत विदेशी मुद्रा भंडार आरबीआई को रुपए को तेजी से गिरने से रोकने और उसकी अस्थिरता को कम करने में सहायक बनाता है।

आरबीआई के गवर्नर संजय मल्होत्रा ने अगस्त में कहा था कि भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 11 महीने से अधिक के माल आयात और लगभग 96 प्रतिशत बकाया विदेशी ऋण के लिए पर्याप्त है।

वाणिज्य सचिव सुनील बर्थवाल ने बताया कि अनिश्चित वैश्विक नीतिगत माहौल के बावजूद, जुलाई और वित्त वर्ष 2026 में भारत के सेवा और व्यापारिक निर्यात में मजबूत वृद्धि हुई है।

Point of View

यह स्पष्ट है कि भारत की वित्तीय स्थिरता में सुधार हो रहा है।
NationPress
12/09/2025

Frequently Asked Questions

भारत के विदेशी मुद्रा भंडार में वृद्धि के मुख्य कारण क्या हैं?
मुख्य कारणों में वैश्विक आर्थिक स्थिति, केंद्रीय बैंक की नीतियाँ, और सोने के भंडार का बढ़ता महत्व शामिल हैं।
विदेशी मुद्रा भंडार के बढ़ने से अर्थव्यवस्था पर क्या प्रभाव पड़ता है?
यह रुपये की स्थिरता को बनाए रखने और विदेशी ऋण चुकाने में मदद करता है।