क्या भारत में मेनबोर्ड आईपीओ लिस्टिंग 28 वर्षों की ऊंचाई पर पहुंच गई है? एसएमई ने नया रिकॉर्ड स्थापित किया

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क्या भारत में मेनबोर्ड आईपीओ लिस्टिंग 28 वर्षों की ऊंचाई पर पहुंच गई है? एसएमई ने नया रिकॉर्ड स्थापित किया

सारांश

सितंबर का महीना भारतीय प्राइमरी मार्केट के लिए एक ऐतिहासिक मोड़ साबित हुआ है। 25 कंपनियों की लिस्टिंग ने 28 वर्षों का रिकॉर्ड तोड़ा है, जबकि एसएमई ने भी एक नई ऊँचाई छुई है। क्या यह ट्रेंड आगे भी जारी रहेगा? जानें इस रिपोर्ट में!

Key Takeaways

  • सितंबर 2023 में 25 कंपनियों की लिस्टिंग हुई।
  • एसएमई ने 2,309 करोड़ रुपए जुटाए।
  • सेबी ने एमपीएस मानदंडों में बदलाव किया।

नई दिल्ली, 26 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। भारतीय प्राइमरी मार्केट के लिए सितंबर का महीना पिछले 28 वर्षों में सबसे व्यस्त साबित हुआ है। इस दौरान 25 कंपनियों की लिस्टिंग हुई, जो कि जनवरी 1997 के बाद का सबसे बड़ा आंकड़ा है, जब 28 कंपनियां सूचीबद्ध हुई थीं।

स्टॉक एक्सचेंज के अनुसार, इस महीने एसएमई आईपीओ की गतिविधियाँ भी रिकॉर्ड स्तर पर रहीं, जहाँ छोटी कंपनियों ने 53 आईपीओ के माध्यम से 2,309 करोड़ रुपए जुटाने में सफलता प्राप्त की। यह एक ही महीने में एसएमई कंपनियों द्वारा जुटाई गई अब तक की सबसे अधिक राशि है।

साथ ही, कुल 25 मेनबोर्ड आईपीओ ने 13,300 करोड़ रुपए से अधिक की राशि प्राप्त की है।

विश्लेषकों का मानना है कि इस वृद्धि का श्रेय मजबूत विदेशी संस्थागत निवेश और सेकेंडरी बाजारों में उतार-चढ़ाव के बावजूद खुदरा निवेशकों और म्यूचुअल फंडों की निरंतर मांग को दिया जा सकता है। सेकेंडरी बाजार में मूल्यांकन संबंधी चिंताओं के बीच, म्यूचुअल फंड, बीमा कंपनियां, पेंशन फंड और खुदरा निवेशक लगातार नए इश्यू की तलाश कर रहे हैं।

महीने के दौरान सेंसेक्स 80,364 से बढ़कर 80,795 पर पहुँच गया है और बीएसई मिडकैप और बीएसई स्मॉलकैप ने बेंचमार्क सूचकांकों से बेहतर प्रदर्शन किया है।

इसके अतिरिक्त, टेक स्टार्टअप्स को फंडिंग देने के मामले में भारत वैश्विक स्तर पर तीसरे स्थान पर पहुँच गया है। देश केवल अमेरिका और यूके से पीछे है, लेकिन जर्मनी और फ्रांस जैसे विकसित देशों से आगे निकल गया है।

सेबी ने अपनी हालिया बोर्ड बैठक में आरंभिक सार्वजनिक निर्गम (आईपीओ) की योजना बना रही बड़ी कंपनियों के लिए न्यूनतम सार्वजनिक शेयरधारिता (एमपीएस) मानदंडों में संशोधन करने का निर्णय लिया। नए मानदंडों के तहत, 50,000 करोड़ रुपए से 1 लाख करोड़ रुपए के बाजार पूंजीकरण वाली कंपनियों को अब सार्वजनिक शेयरधारिता की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए अधिक समय मिलेगा।

उन्हें सूचीबद्ध होने के पाँच वर्षों के भीतर 15 प्रतिशत एमपीएस और 10 वर्षों के भीतर 25 प्रतिशत एमपीएस प्राप्त करना होगा। वर्तमान में, कंपनियों को तीन वर्षों के भीतर 25 प्रतिशत की सीमा पूरी करनी होती है।

Point of View

जो देश की आर्थिक मजबूती का प्रतीक है। हमें उम्मीद है कि यह ट्रेंड न केवल निवेशकों के लिए, बल्कि देश की आर्थिक विकास के लिए भी लाभदायक रहेगा।
NationPress
26/09/2025

Frequently Asked Questions

भारत में सबसे अधिक आईपीओ लिस्टिंग कब हुई?
जनवरी 1997 में 28 कंपनियों की लिस्टिंग हुई थी, जो कि अब तक का सबसे बड़ा आंकड़ा था।
एसएमई आईपीओ द्वारा कितनी राशि जुटाई गई?
इस महीने एसएमई कंपनियों ने 2,309 करोड़ रुपए जुटाए।
सेबी ने नए एमपीएस मानदंडों में क्या बदलाव किया है?
बड़ी कंपनियों को अब सार्वजनिक शेयरधारिता की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए अधिक समय मिलेगा।