क्या राहुल गांधी का जीएसटी पर बयान औद्योगिक अर्थशास्त्र की समझ में कमी को दर्शाता है?
सारांश
Key Takeaways
- राहुल गांधी का बयान राजनीतिक लाभ की दृष्टि से है।
- भाजपा ने इसे औद्योगिक अर्थशास्त्र की समझ की कमी बताया।
- जीएसटी को प्रो-कंज्यूमर और एंटी-प्रोड्यूसर कहा गया।
- कम जीएसटी दरें उपभोक्ताओं और उत्पादकों दोनों के लिए फायदेमंद हैं।
- कांग्रेस शासित राज्यों ने जीएसटी दरों में कमी का विरोध किया।
नई दिल्ली, २४ दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी की जीएसटी संबंधी टिप्पणी पर निशाना साधा है। भाजपा आईटी सेल के प्रमुख अमित मालवीय ने इस पर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त की।
मालवीय ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'एक्स' पर कहा कि वर्षों तक राहुल गांधी ने जीएसटी को 'गब्बर सिंह टैक्स' कहा और इसे उपभोक्ताओं को नुकसान पहुंचाने के लिए जिम्मेदार ठहराया। अब, बर्लिन से बोलते हुए उन्होंने उसे 'प्रो-कंज्यूमर' और 'एंटी-प्रोड्यूसर' बताया है।
उन्होंने यह भी कहा कि ये दोनों बातें एक साथ सच नहीं हो सकतीं। एक ही समय में किसी टैक्स सिस्टम पर उपभोक्ताओं को हानि और उत्पादकों की कीमत पर लाभ पहुंचाने का आरोप नहीं लगाया जा सकता। इस भाषा का बदलाव पूरी तरह से राजनीतिक लाभ के लिए किया गया है।
मालवीय ने आगे कहा कि यह पलटना आर्थिक ज्ञान की कमी को दर्शाता है। अर्थशास्त्र की उनकी बुनियादी समझ गलत है।
वे कहते हैं कि जब अप्रत्यक्ष कर की दरें कम की जाती हैं, तो उपभोक्ताओं और उत्पादकों दोनों को लाभ होता है। उपभोक्ताओं को कम कीमतों और अधिक खरीदने की क्षमता मिलती है, जबकि उत्पादकों को बढ़ी हुई मांग और बेहतर क्षमता उपयोग से लाभ होता है। यह भ्रम कांग्रेस की सोच में गहराई से बसा हुआ लगता है।
जब घरों पर बोझ कम करने के लिए जीएसटी दरें कम की जा रही थीं, तो कर्नाटक और झारखंड जैसे कांग्रेस शासित राज्यों ने इसका विरोध किया था।
मालवीय ने कहा कि राहुल गांधी का यह दावा कि भाजपा ने मैन्युफैक्चरिंग को हतोत्साहित किया है, तथ्यात्मक रूप से गलत है। प्रोडक्शन और इन्वेस्टमेंट डेटा एक अलग कहानी बताते हैं। आज मैन्युफैक्चरिंग को पीएलआई स्कीम के जरिए सपोर्ट किया जा रहा है। इस स्कीम ने पहले ही १.७६ लाख करोड़ रुपए का निवेश आकर्षित किया है, लाखों नौकरियां पैदा की हैं, और उत्पादकों को प्रोत्साहन दिया है।
उनका यह दावा कि बड़ी भारतीय कंपनियां सिर्फ 'चीनी प्रोडक्ट्स का व्यापार करती हैं' भी खोखला है। इलेक्ट्रॉनिक्स और मोबाइल मैन्युफैक्चरिंग में प्रोडक्शन २०१४-१५ में १.९ लाख करोड़ रुपए से बढ़कर २०२४-२५ में ११.३ लाख करोड़ रुपए हो गया है।
स्वदेशी रक्षा प्रोडक्शन वित्त वर्ष २०२४-२५ में १.५ लाख करोड़ रुपए तक पहुंच गया है, जो २०१४-१५ के स्तर से २२४ प्रतिशत ज्यादा है।
विदेशी डायरेक्ट इन्वेस्टमेंट के ट्रेंड्स उनकी कहानी में विश्वसनीयता की कमी को उजागर करते हैं। मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर ने २०१४ से अब तक १८४ बिलियन डॉलर का एफडीआई आकर्षित किया है।
राहुल गांधी का बयान आर्थिक तर्क के बजाय बदलते नारों पर आधारित है। जब जीएसटी 'जन-विरोधी' नहीं बैठता, तो उसे 'उत्पादक-विरोधी' के रूप में पेश किया जाता है। उनकी टिप्पणियां औद्योगिक अर्थशास्त्र की गंभीर समझ की कमी को दर्शाती हैं।