क्या साल के अंत में सोना-चांदी की कीमतों में गिरावट आई है?
सारांश
Key Takeaways
- चांदी की कीमत में 16,000 रुपए से अधिक की गिरावट हुई।
- सोने की कीमत में 900 रुपए की कमी आई।
- दिसंबर में चांदी की कीमत में 24% की वृद्धि हुई।
- इस साल सोने की कीमत 76% से अधिक बढ़ी।
- अंतरराष्ट्रीय तनावों ने निवेशकों की मांग को प्रभावित किया।
मुंबई, 31 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। वर्ष 2025 के अंतिम कारोबारी दिन, बुधवार को कीमती धातुओं, विशेष रूप से चांदी की कीमतों में महत्वपूर्ण गिरावट आई। इसके पहले चांदी ने रिकॉर्ड ऊंचाई को छुआ था, जिसके बाद निवेशकों ने लाभ कमाने के लिए बिकवाली की।
घरेलू वायदा बाजार में शुरुआती कारोबार के दौरान चांदी की कीमत 16,000 रुपए से अधिक गिर गई और यह 2,32,228 रुपए के दिन के निचले स्तर पर पहुँच गई। हालाँकि, इसके बाद इसमें थोड़ी रिकवरी देखने को मिली। वहीं, सोने की कीमतों में भी 900 रुपए से अधिक की कमी दर्ज की गई।
खबर लिखे जाने तक मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज (एमसीएक्स) पर मार्च डिलीवरी वाली चांदी 14,124 रुपए यानी 5.63 प्रतिशत की गिरावट के साथ 2,36,888 रुपए प्रति किलोग्राम पर पहुँच गई। जबकि फरवरी डिलीवरी वाला सोना 782 रुपए यानी 0.57 प्रतिशत गिरकर 1,35,884 रुपए प्रति 10 ग्राम हो गया। कारोबारी सत्र के दौरान चांदी 2,32,228 रुपए और सोना 1,35,618 रुपए के इंट्रा-डे लो तक पहुँच गया।
यह गिरावट 2025 में की गई तेज वृद्धि के बाद आई है। अमेरिका द्वारा वेनेजुएला के बंदरगाहों पर हमले और चीन के नौसैनिक अभ्यास जैसे अंतरराष्ट्रीय तनावों के कारण सप्ताह की शुरुआत में सुरक्षित निवेश (सेफ-हेवन) की मांग तेजी से बढ़ी, जिससे कीमती धातुओं की कीमतों में रिकॉर्ड वृद्धि हुई।
विश्लेषकों का मानना है कि दिसंबर में चांदी की कीमत में 24 प्रतिशत की वृद्धि हुई और पिछले एक वर्ष में इसमें 135 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई। इसका प्रमुख कारण मांग का बढ़ना और सुरक्षित निवेश की ओर लोगों का झुकाव है।
घरेलू स्पॉट गोल्ड (तुरंत खरीदा-बेचा जाने वाला सोना) की कीमत इस वर्ष अब तक 76 प्रतिशत से अधिक बढ़ी, जबकि अंतरराष्ट्रीय बाजार में सोने की कीमत 70 प्रतिशत से अधिक बढ़ी है। यह 1979 के बाद सबसे अच्छी सालाना बढ़त मानी जा रही है।
मेहता इक्विटी लिमिटेड के कमोडिटी उपाध्यक्ष राहुल कलंत्री ने बताया कि मंगलवार को सोने और चांदी की कीमतों में काफी उतार-चढ़ाव देखा गया। अंतरराष्ट्रीय तनाव के बढ़ने से सुरक्षित निवेश की मांग बढ़ी। रूस और यूक्रेन के बीच शांति वार्ता में भी रुकावट आई, जब रूस ने यूक्रेन पर राष्ट्रपति के आवास पर ड्रोन हमले का आरोप लगाया।
इस दौरान, अमेरिका द्वारा वेनेजुएला के बंदरगाहों पर हमलों और चीन के नौसैनिक अभ्यासों ने अमेरिका-ताइवान तनाव को बढ़ा दिया, जिससे कीमती धातुओं को समर्थन मिला। लेकिन बाद में अमेरिकी फेडरल रिजर्व की बैठक के विवरण आने के बाद कीमतों में बढ़त सीमित हो गई, क्योंकि अगले वर्ष ब्याज दरों में अधिक कटौती की उम्मीद कम हो गई।
विशेषज्ञों का कहना है कि चांदी को 2,45,150 से 2,42,780 रुपए के स्तर पर समर्थन प्राप्त हो सकता है, जबकि 2,54,810 से 2,56,970 रुपए के बीच रजिस्टेंस का सामना करना पड़ सकता है।
इस वर्ष सोने और चांदी की कीमतों में बढ़ोतरी के पीछे कई कारण रहे हैं, जैसे केंद्रीय बैंकों द्वारा अधिक खरीद, अमेरिकी ब्याज दरों में कटौती की उम्मीद, अमेरिकी टैरिफ को लेकर चिंताएं, भू-राजनीतिक तनाव और गोल्ड-सिल्वर ईटीएफ में मजबूत निवेश।
मोतीलाल ओसवाल फाइनेंशियल सर्विसेज लिमिटेड की एक हालिया रिपोर्ट के अनुसार, दुनिया के बड़े बाजारों में चांदी का भंडार लगातार कम हो रहा है। शंघाई और कॉमेक्स बाजारों के बीच कीमतों का अंतर भी घट रहा है, जिससे यह स्पष्ट होता है कि चांदी की उपलब्धता सीमित होती जा रही है।