क्या इंदौर में दूषित पानी पीने से हुई मौतों के मामले में अधिकारियों पर कार्रवाई हुई?
सारांश
Key Takeaways
- इंदौर के भागीरथपुरा में दूषित पानी पीने से तीन मौतें हुईं।
- मुख्यमंत्री ने अधिकारियों पर सख्त कार्रवाई की।
- बिमार लोगों को आर्थिक सहायता देने का निर्देश।
- जांच के लिए एक समिति गठित की गई है।
- पानी की गुणवत्ता पर ध्यान देने की आवश्यकता है।
इंदौर/भोपाल, 31 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। मध्य प्रदेश की व्यापारिक नगरी इंदौर के भागीरथपुरा क्षेत्र में दूषित पानी पीने से हुई मौतों के मामले में मुख्यमंत्री मोहन यादव ने कड़े कदम उठाए हैं और तीन अधिकारियों पर कार्रवाई की है।
भागीरथपुरा में दूषित पानी पीने के बाद कई लोगों को उल्टी की समस्या हुई, जिनमें से कुछ को अस्पताल में भर्ती कराया गया। अब तक तीन लोगों की मौत की पुष्टि हो चुकी है।
इस घटना पर मुख्यमंत्री मोहन यादव ने त्वरित कार्रवाई की है और बीमार मरीजों के उपचार के साथ-साथ मृतकों के परिजनों को आर्थिक सहायता देने के लिए भी निर्देश जारी किए हैं।
मुख्यमंत्री मोहन यादव ने कहा कि भागीरथपुरा क्षेत्र में घटित यह घटना अत्यंत दुखद है। उन्होंने मृतकों को श्रद्धांजलि अर्पित की और इलाजरत मरीजों के शीघ्र स्वस्थ होने की कामना की। इसके साथ ही, सीएम ने इस मामले में जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई के निर्देश दिए हैं।
कलेक्टर शिवम वर्मा ने बताया कि भागीरथपुरा मामले में जोनल अधिकारी शालिग्राम सितोले और सहायक यंत्री योगेश जोशी को तात्कालिक प्रभाव से निलंबित किया गया है, तथा प्रभारी उपयंत्री पीएचई शुभम श्रीवास्तव को सेवा से पृथक किया गया है।
इसके अलावा, इस पूरे मामले की जांच के लिए तीन सदस्यों की एक समिति का गठन किया गया है। यह समिति आईएएस नवजीवन पंवार के नेतृत्व में जांच करेगी और इसमें प्रदीप निगम, सुपरिटेंडेंट इंजीनियर, और मेडिकल कॉलेज के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. शैलेश राय भी शामिल हैं।
सूचना दी गई है कि इंदौर में पानी की आपूर्ति खरगोन जिले के जलुद स्थित नर्मदा पंपिंग स्टेशन से की जाती है और आशंका है कि पाइपलाइन में कहीं दूषित पानी मिल गया था, जिसके कारण लोगों की तबीयत बिगड़ गई।