क्या सरकार ने 1 जनवरी से कुछ अंतरराष्ट्रीय पत्र डाक सेवाओं में बदलाव किया है?
सारांश
Key Takeaways
- 1 जनवरी, 2026 से कुछ अंतरराष्ट्रीय पत्र डाक सेवाएँ समाप्त होंगी।
- सेवाओं की गुणवत्ता को सुधारने के लिए बदलाव किए गए हैं।
- ग्राहकों को इंटरनेशनल ट्रैक्ड पैकेट सर्विस का उपयोग करने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा।
- रजिस्टर्ड स्मॉल पैकेट और सरफेस लेटर मेल सेवाएँ बंद की जाएंगी।
- ब्लाइंड लिटरेचर पर डाक शुल्क नहीं लगेगा।
नई दिल्ली, 31 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। डाक विभाग ने कुछ अंतरराष्ट्रीय पत्र डाक सेवाओं में महत्वपूर्ण बदलाव करने की घोषणा की है। यह बदलाव विशेष रूप से उन सेवाओं के लिए किया गया है जिनमें ट्रैकिंग की सुविधा या तो बहुत कम है या बिल्कुल नहीं है। इसके साथ ही, बेहतर, भरोसेमंद और ग्राहक-केंद्रित सेवाओं को प्राथमिकता दी जाएगी।
दुनिया भर में अपनाई जा रही सर्वोत्तम प्रक्रियाओं और यूनिवर्सल पोस्टल यूनियन (यूपीयू) के निर्णयों के अनुरूप, डाक विभाग ने अंतरराष्ट्रीय पत्र डाक सेवाओं को आधुनिक और मजबूत बनाने के लिए यह कदम उठाया है।
इसके तहत 1 जनवरी, 2026 से विदेश भेजे जाने वाली कुछ अंतरराष्ट्रीय पत्र डाक सेवाओं को समाप्त किया जाएगा, जिसमें रजिस्टर्ड स्मॉल पैकेट सेवा भी शामिल है।
इसमें आउटवर्ड स्मॉल पैकेट सेवा आती है, जिसमें समुद्र, एसएएल या हवाई मार्ग से भेजे जाने वाले सामान वाले पत्र शामिल होते हैं। वहीं, सरफेस लेटर मेल सेवा और सरफेस एयर लिफ्टेड (एसएएल) लेटर मेल सेवा को भी बंद किया जा रहा है, जो बाहर भेजे जाने वाले पत्रों के लिए थीं।
संचार मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि यह कदम इसलिए उठाया गया है क्योंकि स्मॉल पैकेट सेवाओं में ट्रैकिंग की सुविधा बहुत कम या बिल्कुल नहीं होती है, डिलीवरी में ज्यादा समय लगता है, दूसरे देशों में कस्टम और सुरक्षा नियम सख्त हो गए हैं, और कई विदेशी डाक विभाग ऐसे पैकेट स्वीकार नहीं कर रहे हैं।
मंत्रालय ने यह भी कहा कि यह बदलाव सेवाओं की गुणवत्ता सुधारने के लिए किया गया है और इससे निर्यातकों या ग्राहकों के विकल्पों पर कोई असर नहीं पड़ेगा।
इन बदलावों के बाद केवल दस्तावेजों के लिए रजिस्ट्रेशन सुविधा जारी रहेगी, जो हवाई मार्ग से भेजे जाएंगे। इनमें पत्र, पोस्टकार्ड, प्रिंटेड पेपर, एरोग्राम, ब्लाइंड लिटरेचर और एम-बैग शामिल हैं।
डाक विभाग ने बताया कि ब्लाइंड लिटरेचर और एम-बैग से जुड़े यूपीयू के नियम पहले की तरह ही लागू रहेंगे। नेत्रहीन व्यक्ति या उनके संगठनों को भेजी जाने वाली ब्लाइंड लिटरेचर पर डाक शुल्क नहीं लगेगा, केवल हवाई शुल्क लगेगा, और वह भी गंतव्य देश के नियमों के अनुसार।
एम-बैग पर भी यूपीयू के नियम लागू रहेंगे, जिनमें वजन सीमा और देश के अनुसार स्वीकार करने की शर्तें शामिल हैं।
निर्यातकों, एमएसएमई और आम ग्राहकों की सहायता के लिए डाक विभाग पहले से ही विदेश में सामान भेजने के लिए भरोसेमंद विकल्प उपलब्ध करा रहा है। ग्राहकों को इंटरनेशनल ट्रैक्ड पैकेट सर्विस (आईआईपीएस) और अन्य अंतरराष्ट्रीय पार्सल सेवाओं का उपयोग करने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है।