क्या भारतीय एनबीएफसी कंपनियों के वाहन लोन सेगमेंट का एयूएम सालाना 17 प्रतिशत बढ़ेगा?
सारांश
Key Takeaways
- एनबीएफसी का एयूएम 11 लाख करोड़ रुपए तक पहुंच सकता है।
- सेकंड हैंड वाहनों के लोन में वृद्धि दर नए वाहनों की तुलना में अधिक है।
- भारतीय अर्थव्यवस्था की मजबूती का संकेत है।
नई दिल्ली, 10 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। भारत की नॉन-बैंकिंग फाइनेंशियल कंपनियों (एनबीएफसी) का एसेट्स अंडर मैनेजमेंट (एयूएम) इस वित्त वर्ष और अगले वित्त वर्ष में सालाना 16-17 प्रतिशत की दर से बढ़कर मार्च 2027 तक 11 लाख करोड़ रुपए तक पहुंचने का अनुमान है। यह जानकारी बुधवार को एक रिपोर्ट में साझा की गई।
रिपोर्ट में उल्लेख किया गया है कि वाहन लोन के सब-सेगमेंट में विभिन्न ग्रोथ ट्रेंड देखे जा रहे हैं और सेकंड हैंड वाहनों के लोन की वृद्धि नए वाहनों के मुकाबले अधिक मजबूत है।
क्रिसिल रेटिंग्स की रिपोर्ट में कहा गया है, "वाहन फाइनेंस का व्यापार चक्रीय होता है और व्यापक अर्थव्यवस्था के ट्रेंड से काफी प्रभावित होता है। भारत का सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) इस वित्त वर्ष में 7 प्रतिशत की दर से बढ़ने का अनुमान है, जो पिछले साल 6.5 प्रतिशत था।"
इसके साथ ही, अगले वित्त वर्ष में भी वृद्धि दर 6.7 प्रतिशत रहने की उम्मीद है।
रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि भारत की अर्थव्यवस्था की मजबूती के साथ गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स (जीएसटी) में सुधार और ब्याज दरों में कमी से भी वाहनों की बिक्री को बढ़ावा मिलेगा।
क्रिसिल रेटिंग्स की निदेशक मालविका भोटिका ने कहा, “अधिकांश बड़ी एनबीएफसी के लिए सेकंड हैंड वाहनों के लोन की वृद्धि दर नए वाहन लोन की तुलना में अधिक रहने की संभावना है। हमारे विश्लेषण के अनुसार, वित्त वर्ष 2020 से 2025 के बीच उनके सेकंड हैंड वाहनों के एयूएम में 15 प्रतिशत की चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर देखी गई है, जबकि नए वाहन लोन में यह दर 11 प्रतिशत रही है।”
यह वृद्धि का ट्रेंड मध्यम अवधि में भी जारी रहने की उम्मीद है, क्योंकि इस्तेमाल किए गए वाहन की स्वामित्व लागत नए वाहन की स्वामित्व लागत से कम है।
रिपोर्ट में बताया गया है कि सब-सेगमेंट में सेकंड हैंड कमर्शियल वाहनों का बाजार अधिक स्थापित है, जहां करों और यूटिलिटी वाहनों के लिए ट्रेंड तेजी से बढ़ रहा है।