क्या आईबीसी ने 9 वर्षों में भारत में 26 लाख करोड़ रुपए के ऋण का समाधान करने में मदद की?

Click to start listening
क्या आईबीसी ने 9 वर्षों में भारत में 26 लाख करोड़ रुपए के ऋण का समाधान करने में मदद की?

सारांश

आईबीसी के लागू होने के बाद से भारत ने 26 लाख करोड़ रुपए से अधिक के ऋण का समाधान किया है। इस रिपोर्ट में जानिए कि कैसे आईबीसी ने कर्ज वसूलने की प्रक्रिया में सुधार किया है और इसका प्रभाव क्या है।

Key Takeaways

  • आईबीसी ने 26 लाख करोड़ रुपए से अधिक के ऋण का समाधान किया है।
  • ऋण वसूली की औसत दर 30-35% है।
  • छोटी और मध्यम आकार की संपत्तियों के लिए 60% समाधान छोटे मामलों के लिए हैं।
  • आईबीसी ने डेटर-फ्रेंडली अप्रोच को बदल दिया है।
  • यह ऋणदाताओं के लिए पसंदीदा मार्ग बना हुआ है।

मुंबई, 22 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। दिवाला एवं शोधन अक्षमता संहिता (आईबीसी) के लागू होने के नौ साल बाद, भारत ने प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से 26 लाख करोड़ रुपए से अधिक के ऋण का समाधान करने में सफलता प्राप्त की है। यह जानकारी मंगलवार को आई एक रिपोर्ट में प्राप्त हुई।

क्रिसिल रेटिंग्स द्वारा संकलित आंकड़ों के अनुसार, कुल राशि में से लगभग 12 लाख करोड़ रुपए का ऋण नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (एनसीएलटी) में दाखिल किए गए लगभग 1,200 स्ट्रेस्ड कर्जदारों के मामलों के माध्यम से हल किया गया है।

हालांकि, आईबीसी ने डिफॉल्टिंग कर्जदारों में भय उत्पन्न किया है, जिससे 14 लाख करोड़ रुपए के कर्ज से जुड़े लगभग 30,000 मामलों का निपटारा एनसीएलटी द्वारा औपचारिक रूप से स्वीकार किए जाने से पहले ही हो गया।

आईबीसी ने 2016 में अपनी शुरुआत के बाद से पहले की डेटर-फ्रेंडली अप्रोच को क्रेडिटर-इन-कंट्रोल से बदल दिया है।

इस महत्वपूर्ण परिवर्तन ने आईबीसी को ऋण वसूली न्यायाधिकरण (डीआरटी), लोक अदालतों और एसएआरएफएईएसआई जैसी पुरानी ऋण वसूली विधियों की तुलना में अधिक सफल बना दिया है।

आंकड़ों के अनुसार, आईबीसी के तहत औसत रिकवरी 30-35 प्रतिशत रही है, जो एसएआरएफएईएसआई के तहत 22 प्रतिशत, डीआरटी के तहत 7 प्रतिशत और लोक अदालतों के माध्यम से केवल 3 प्रतिशत से कहीं अधिक है।

विशेषज्ञों का मानना है कि आईबीसी के तहत लेनदारों को दी गई फ्लेक्सिबिलिटी ने हाल के वर्षों में छोटी और मध्यम आकार की संकटग्रस्त संपत्तियों के समाधान में सहायता की है।

वास्तव में, पिछले तीन वर्षों में सभी आईबीसी समाधान स्वीकृतियों में से लगभग 60 प्रतिशत छोटे मामलों के लिए थीं, हालांकि वे कुल ऋण का केवल 40 प्रतिशत ही थे।

क्रिसिल रेटिंग्स के वरिष्ठ निदेशक मोहन मखीजा के अनुसार, 2016 से अब तक कुल निपटाए गए ऋणों का लगभग एक-चौथाई आईबीसी के तहत निपटाया गया था।

उन्होंने कहा कि आईबीसी न केवल सबसे ज्यादा रिकवरी दर प्रदान करता है, बल्कि कुल रिकवरी में लगभग आधे का योगदान भी देता है।

इंफ्रास्ट्रक्चर और मैन्युफैक्चरिंग एसेट्स में निवेशकों की बढ़ती रुचि के साथ, मखीजा का मानना है कि आईबीसी ऋणदाताओं के लिए पसंदीदा मार्ग बना रहेगा।

Point of View

मैं यह कह सकता हूं कि आईबीसी ने भारत के आर्थिक परिदृश्य में महत्वपूर्ण बदलाव लाए हैं। यह न केवल कर्जदाताओं के लिए एक मजबूत ढांचा प्रदान करता है, बल्कि संकटग्रस्त संपत्तियों के समाधान में भी सहायता करता है।
NationPress
09/09/2025

Frequently Asked Questions

आईबीसी का मतलब क्या है?
आईबीसी का मतलब दिवाला एवं शोधन अक्षमता संहिता है, जो कर्जदाताओं और कर्जदारों के बीच ऋण वसूली की प्रक्रिया को विनियमित करता है।
आईबीसी के द्वारा कितने ऋण का समाधान हुआ है?
आईबीसी के लागू होने के बाद से, भारत ने 26 लाख करोड़ रुपए से अधिक के ऋण का समाधान किया है।