क्या केंद्र सरकार ने व्हाइट गुड्स के लिए पीएलआई स्कीम की आवेदन प्रक्रिया फिर से शुरू की?

सारांश
Key Takeaways
- पीएलआई योजना के लिए आवेदन प्रक्रिया फिर से शुरू हुई है।
- आवेदन की अवधि 15 सितंबर, 2025 से 14 अक्टूबर, 2025 तक है।
- सरकार ने 10,406 करोड़ रुपए का निवेश प्रतिबद्धता वाला 83 आवेदकों का चयन किया है।
- यह योजना 2021-22 से 2028-29 तक लागू होगी।
- उच्च निवेश श्रेणी के लिए अतिरिक्त आवेदन की आवश्यकता होगी।
नई दिल्ली, 14 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। केंद्र सरकार ने रविवार को पुष्टि की है कि व्हाइट गुड्स (जैसे कि एसी और एलईडी लाइट्स) के लिए बनाई गई प्रोडक्शन लिंक्ड स्कीम (पीएलआई) की आवेदन प्रक्रिया एक बार फिर से प्रारंभ कर दी गई है।
इसका मुख्य उद्देश्य व्हाइट गुड्स में और अधिक निवेश को आकर्षित करना है।
वाणिज्य मंत्रालय ने बताया कि इस स्कीम के लिए आवेदन की खिड़की 15 सितंबर, 2025 से लेकर 14 अक्टूबर, 2025 तक खुली रहेगी। इस अवधि के समाप्त होने के बाद कोई भी आवेदन स्वीकार नहीं किया जाएगा।
मंत्रालय ने यह भी कहा कि यह निर्णय भारत में एसी और एलईडी लाइटों के प्रमुख घटकों की मैन्युफैक्चरिंग में वृद्धि और उद्योग में विश्वास को देखते हुए लिया गया है।
सरकार ने जानकारी दी कि अब तक पीएलआई योजना के तहत 10,406 करोड़ रुपए के निवेश प्रतिबद्धता वाले 83 आवेदकों का चयन किया गया है। यह योजना 2021-222028-29 तक की सात वर्षों की अवधि में लागू की जाएगी, जिसका कुल बजट 6,238 करोड़ रुपए है।
मंत्रालय ने यह भी स्पष्ट किया, "नए आवेदकों और मौजूदा लाभार्थियों को एक समान अवसर देने के लिए, जो उच्च लक्ष्य खंड में स्विच करना चाहते हैं या उनकी समूह कंपनियां अलग लक्ष्य खंड के तहत आवेदन करती हैं, उन्हें योजना के दिशा-निर्देशों के अनुसार आवेदन करने की अनुमति होगी।"
आवेदक केवल योजना की शेष अवधि के लिए प्रोत्साहन के पात्र होंगे। प्रस्तावित चौथे दौर में स्वीकृत आवेदक अधिकतम दो वर्षों तक पीएलआई के लिए पात्र होंगे।
जो लाभार्थी उच्च निवेश श्रेणी में जाने का विकल्प चुनते हैं, उन्हें केवल एक वर्ष के लिए पीएलआई के लिए पात्रता मिलेगी।
मंत्रालय के अनुसार, "यदि मौजूदा लाभार्थी किसी वर्ष में निर्धारित निवेश या बिक्री की सीमा प्राप्त नहीं कर पाते हैं, तो वे अपनी मूल निवेश योजना के अनुसार दावे प्रस्तुत कर सकते हैं। यह लचीलापन योजना अवधि के दौरान केवल एक बार प्रदान किया जाएगा।"
इस निवेश का उद्देश्य एसी और एलईडी लाइटों के घटकों का निर्माण करना है, जिनमें वे घटक भी शामिल हैं, जिनका वर्तमान में भारत में पर्याप्त मात्रा में निर्माण नहीं होता है।