क्या दलहन आत्मनिर्भरता मिशन और प्रधानमंत्री धन-धान्य कृषि योजना का क्रियान्वयन किसानों को लाभ पहुंचाएगा?

सारांश
Key Takeaways
- दलहन आत्मनिर्भरता मिशन का बड़ा उद्देश्य दलहन उत्पादन को बढ़ाना है।
- प्रधानमंत्री धन-धान्य कृषि योजना के अंतर्गत 100 आकांक्षी जिलों को शामिल किया गया है।
- इन योजनाओं का बजट 24,000 करोड़ रुपए है।
- किसानों के लिए रोजगार के नए अवसर उत्पन्न होंगे।
- उत्पादकता में वृद्धि से खाद्य सुरक्षा में सुधार होगा।
नई दिल्ली, 17 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण और ग्रामीण विकास मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने शुक्रवार को बताया कि दलहन आत्मनिर्भरता मिशन और प्रधानमंत्री धन-धान्य कृषि योजना का स्थानीय स्तर पर क्रियान्वयन शीघ्र ही प्रारंभ होने से किसानों को लाभ मिलेगा।
उन्होंने उच्चस्तरीय बैठक में वरिष्ठ अधिकारियों के साथ दलहन आत्मनिर्भरता मिशन और प्रधानमंत्री धन-धान्य कृषि योजना से संबंधित चर्चा की।
केंद्रीय मंत्री चौहान ने इन योजनाओं के समयबद्ध क्रियान्वयन हेतु आवश्यक निर्देश दिए।
कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय के अनुसार, बैठक में यह जानकारी दी गई कि दलहन आत्मनिर्भरता मिशन के अंतर्गत जिलों में क्लस्टर बनाकर कार्य किया जाएगा, जिसके लिए राज्यों से सहयोग लिया जा रहा है।
उन्होंने इस मिशन के सफल कार्यान्वयन हेतु राज्यों के नोडल अधिकारियों के साथ भी बैठक करने का निर्देश दिया।
11 अक्टूबर को दिल्ली में आयोजित एक महत्वपूर्ण कार्यक्रम में प्रधानमंत्री मोदी ने प्रधानमंत्री धन-धान्य कृषि योजना और दलहन आत्मनिर्भरता मिशन का शुभारंभ किया था।
यह योजना देश के 100 आकांक्षी जिलों में कृषि विकास के लिए 11 मंत्रालयों की 36 उप-योजनाओं को समन्वयित करते हुए शुरू की गई है।
16 जुलाई 2025 को केंद्रीय मंत्रिमंडल ने इस योजना को मंजूरी दी थी। यह योजनाएं वित्त वर्ष 2025-26 से छह वर्षों की अवधि के लिए लागू की जाएंगी, जिनका वार्षिक बजट 24,000 करोड़ रुपए है।
वहीं, दलहन आत्मनिर्भरता मिशन को 11,440 करोड़ रुपए की राशि के साथ छह वर्षों में लागू किया जाएगा।
इस मिशन से 2030-31 तक दलहन का क्षेत्रफल 275 लाख हेक्टेयर से बढ़ाकर 310 लाख हेक्टेयर करने, उत्पादन को 242 लाख टन से बढ़ाकर 350 लाख टन करने और उत्पादकता को 1130 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर तक बढ़ाने की उम्मीद है।
इस योजना से रोजगार सृजन की संभावनाएं भी बढ़ेंगी।