क्या डॉलर के मुकाबले रुपए में गिरावट से महंगाई और निर्यात पर कोई असर नहीं पड़ेगा?
सारांश
Key Takeaways
- डॉलर के मुकाबले रुपए में गिरावट के बावजूद महंगाई पर कोई असर नहीं होगा।
- अगले साल रुपए में सुधार की संभावना है।
- रुपए की गिरावट के पीछे कमजोर विदेशी निवेश और ऑफशोर पोजिशनिंग हैं।
नई दिल्ली, 3 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। डॉलर के मुकाबले रुपए में गिरावट के संदर्भ में भारत के मुख्य आर्थिक सलाहकार (सीईए) वी. अनंत नागेश्वरन ने बुधवार को स्पष्ट किया कि इससे महंगाई और निर्यात पर कोई नकारात्मक प्रभाव नहीं पड़ेगा।
मुख्य आर्थिक सलाहकार ने यह बात सीआईआई के कार्यक्रम के दौरान पत्रकारों से बातचीत में कही।
पिछले कुछ सत्रों से डॉलर के मुकाबले रुपए में गिरावट दर्ज की जा रही है, और यह 90 के स्तर को पार कर चुका है।
उन्होंने आगे कहा कि अगले वर्ष डॉलर के मुकाबले रुपए में सुधार की उम्मीद है।
अमेरिका द्वारा भारतीय निर्यात पर टैरिफ बढ़ाने और वैश्विक आर्थिक अस्थिरताओं के बीच, 2025 में डॉलर के मुकाबले 5 प्रतिशत की गिरावट देखी गई है। आरबीआई रुपए में अत्यधिक उतार-चढ़ाव को रोकने के लिए डॉलर की बिक्री कर रहा है, लेकिन फॉरेक्स की समस्याओं के कारण इसे सीमित रखा गया है।
रुपए में गिरावट की मुख्य वजह कमजोर विदेशी निवेश, बड़ी ऑफशोर पोजिशनिंग और भारत-अमेरिका ट्रेड डील को लेकर अनिश्चितता है।
एक विश्लेषक ने कहा कि बाजार का माहौल चिंताजनक बना हुआ है क्योंकि ट्रेडर्स रुपए में स्थिरता और भारत एवं अमेरिका के बीच ट्रेड डील पर स्पष्टता की प्रतीक्षा कर रहे हैं।
विश्लेषक ने कहा, "यदि भारत-अमेरिका ट्रेड डील होती है तो रुपए की गिरावट थम जाएगी और इसकी स्थिति में सुधार हो सकता है। हालांकि, यह इस बात पर निर्भर करेगा कि डील में भारत पर क्या टैरिफ लगाए जाएंगे।"
भारतीय शेयर बाजार की शुरुआत सपाट रही और यह मामूली गिरावट के साथ बंद हुआ।
कारोबार के अंत में सेंसेक्स 31.46 अंक की मामूली गिरावट के साथ 85,106.81 और निफ्टी 46.20 अंक या 0.18 प्रतिशत की कमी के साथ 25,986 पर बंद हुआ।
बाजार को संभालने का कार्य आईटी और फाइनेंशियल शेयरों ने किया। निफ्टी आईटी 0.74 प्रतिशत, निफ्टी बैंक 0.13 प्रतिशत और निफ्टी फाइनेंशियल सर्विस 0.23 प्रतिशत की बढ़त के साथ बंद हुए। इसके अलावा फार्मा, मीडिया और सर्विसेज सूचकांक भी हरे निशान में बंद हुए।