क्या केंद्र सरकार और आरबीआई नागरिकों को अनधिकृत डिजिटल लोन ऐप्स के शोषण से बचा रहे हैं?
सारांश
Key Takeaways
- सरकार और आरबीआई अनधिकृत ऐप्स के खिलाफ कदम उठा रहे हैं।
- डिजिटल लेंडिंग ऐप्स की निर्देशिका शुरू की गई है।
- साइबर क्राइम के खिलाफ जागरूकता अभियान चल रहा है।
- नागरिकों को शिकायत दर्ज करने की सुविधा दी जा रही है।
- आरबीआई के नए निर्देशों का पालन अनिवार्य है।
नई दिल्ली, 9 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बताया कि सरकार और केंद्रीय बैंक आरबीआई नागरिकों को अनधिकृत डिजिटल लोन ऐप्स से सुरक्षित रखने के लिए लगातार कई पहल कर रहे हैं।
उन्होंने कहा कि सरकार अनधिकृत डिजिटल लोन ऐप्स पर रोक लगाने के लिए आरबीआई और अन्य संबंधित नियामकों के साथ मिलकर काम कर रही है।
आरबीआई ने इस वर्ष 1 जुलाई से अपनी वेबसाइट पर 'डिजिटल लेंडिंग ऐप्स (डीएलए)' नामक एक निर्देशिका शुरू की है, जिसमें सभी आरबीआई द्वारा विनियमित संस्थाओं के डीएलए शामिल हैं। इस निर्देशिका का उद्देश्य ग्राहकों को किसी भी डीएलए के विनियमित संस्थाओं से जुड़े होने के दावे की पुष्टि करने में मदद करना है।
केंद्रीय वित्त मंत्री ने लोकसभा में कहा, "अनधिकृत डिजिटल लोन ऐप्स की पहचान के मामले में, इलेक्ट्रॉनिक्स और आईटी मंत्रालय को सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) अधिनियम, 2000 की धारा 69 ए के तहत सार्वजनिक पहुंच के लिए जानकारी को ब्लॉक करने का निर्देश देने का अधिकार है।"
आरबीआई ने 8 मई को भारतीय रिजर्व बैंक (डिजिटल लेंडिंग) निर्देश, 2025 जारी किए हैं। इन निर्देशों में रिकवरी, डेटा प्राइवेसी और ग्राहक शिकायत निवारण तंत्र के बारे में प्रावधान हैं, जो कि आरई, उनकी ओर से प्रदत्त लेंडिंग सर्विस प्रोवाइडर्स और डीएलए के लिए अनिवार्य हैं।
वित्त मंत्री ने कहा कि आरबीआई और बैंक 'साइबर क्राइम' की रोकथाम के लिए शॉर्ट एसएमएस, रेडियो कैंपेन और प्रचार के माध्यम से जागरूकता अभियान चला रहे हैं। आरबीआई फ्रॉड और रिस्क मिटिगेशन को लेकर जागरूकता के लिए ई-बीएएटी प्रोग्राम चला रहा है।
इसके अलावा, बैंक सार्वजनिक प्लेटफॉर्म ‘सचेत’ पोर्टल और अंतर-नियामक राज्य स्तरीय समन्वय समिति (एसएलसीसी) के माध्यम से नागरिकों को अवैध पैसा जमा करने या संग्रह करने से संबंधित किसी भी स्पेसिफिक एंटिटी के खिलाफ शिकायत दर्ज करने की सुविधा प्रदान करते हैं।