क्या पीएम मोदी का विजन भारत को 2047 तक पांचवां सबसे बड़ा शिपबिल्डर बना सकता है?
सारांश
Key Takeaways
- भारत का लक्ष्य 2047 तक दुनिया का पांचवां सबसे बड़ा शिपबिल्डर बनना है।
- प्रधानमंत्री मोदी ने इस क्षेत्र को मजबूत करने पर ध्यान केंद्रित किया है।
- पोर्ट्स और लॉजिस्टिक्स का विकास महत्वपूर्ण है।
- राज्य सरकारों का भी बंदरगाहों के विकास में योगदान बढ़ रहा है।
- भारत एक ग्लोबल लीडर बनने की दिशा में अग्रसर है।
मुंबई, 29 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। भारत में इटली के राजदूत एंटोनियो एनरिको ने बुधवार को कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का विजन शब्द उनके साथ गहराई से जुड़ा हुआ है। उनका हर सेक्टर के भविष्य के लिए एक शानदार दृष्टिकोण है, जो परिणामों पर आधारित होता है।
देश की आर्थिक राजधानी में 'इंडिया मैरीटाइम वीक 2025' के साइडलाइन में समाचार एजेंसी राष्ट्र प्रेस से बातचीत करते हुए उन्होंने बताया कि भारत एक मैरीटाइम पावर के रूप में विकसित होना चाहता है और 2047 तक दुनिया का पांचवां सबसे बड़ा शिपबिल्डर बनने का लक्ष्य बहुत ही व्यवहारिक लगता है।
बोथरा शिपिंग के कैप्टन धनंजय कुमार ने समाचार एजेंसी से कहा कि मैरीटाइम ग्रोथ को लेकर प्रधानमंत्री का विजन बिल्कुल स्पष्ट है। मोदी जी 2016 से ही इस क्षेत्र को सशक्त करने पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं, और इस अवधि में देश ने वधावन, विजिंजम, पारादीप सहित कई समुद्री पोर्ट्स में महत्वपूर्ण विस्तार देखा है।
उन्होंने आगे कहा कि पोर्ट्स, लॉजिस्टिक्स और रेल संपर्क के विकास से भारत को अधिक माल ढुलाई को बेहतर ढंग से संभालने में मदद मिल रही है। प्रधानमंत्री मोदी का विजन 2047 के मैरीटाइम सेक्टर को एक बड़ा बढ़ावा देगा, जिससे यह सिद्ध होगा कि भारत ट्रेड और शिपिंग में एक ग्लोबल लीडर बन सकता है।
इंडियन मैरीटाइम यूनिवर्सिटी की वाइस चांसलर मालिनी वी. शंकर ने कहा कि कार्यक्रम में केंद्रीय मंत्री ने एमआईवी 2030 का जिक्र किया, जो लगभग पांच साल पहले शुरू किया गया था। अब एमएके 2047 पर ध्यान केंद्रित किया जा रहा है। इस इवेंट में कई पहलें की गई हैं जो इन योजनाओं और दस्तावेजों के अनुरूप हैं। यह दर्शाता है कि सरकार केवल कागजी कार्यवाही नहीं कर रही है, बल्कि इसे लागू भी कर रही है। विजिंजम बंदरगाह में केरल सरकार और वाधवन बंदरगाह में महाराष्ट्र मैरीटाइम बोर्ड का साझेदार होना बहुत अच्छी बात है और यह दर्शाता है कि बंदरगाहों के विकास में राज्य सरकारें भी भागीदार बन रही हैं।