क्या पूर्वोत्तर राज्य 'विकसित भारत 2047' विजन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे? : वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण

सारांश
Key Takeaways
- पूर्वोत्तर क्षेत्र की प्राकृतिक और सांस्कृतिक समृद्धि
- युवाओं की आकांक्षाएँ और उनके समर्पण
- नीतियों का समर्थन उद्यमिता को बढ़ावा देगा
- स्टार्टअप का विकास और समर्थन
- आईआईसीए कॉन्क्लेव का महत्व
शिलांग, 11 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शुक्रवार को कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हमेशा पूर्वोत्तर क्षेत्र को 'अष्ट लक्ष्मी' के रूप में वर्णित किया है। यहां सकारात्मक स्वभाव वाले लोग, प्राकृतिक संसाधन, सांस्कृतिक समृद्धि, स्ट्रैटेजिक स्थान और ऊर्जावान युवा जैसी सभी चीजें प्रचुर मात्रा में उपलब्ध हैं। इसलिए, यह क्षेत्र विकसित भारत 2047 के विजन में एक महत्वपूर्ण योगदान देगा।
आईआईएम शिलांग में आयोजित आईआईसीए नॉर्थ ईस्ट कॉन्क्लेव 2025 में बोलते हुए, वित्त मंत्री सीतारमण ने कहा, "हम सबका साथ और सबका विकास की बात करते हैं और यह संभव नहीं है जब तक कि पूर्वोत्तर क्षेत्र को शामिल नहीं किया जाता। यह केवल जन धन खाते खोलने का विषय नहीं है, बल्कि युवाओं की आकांक्षाओं को पूरा करने का भी है।"
उन्होंने आगे कहा, "आज के समय में युवा तेजी से खुद को दुनिया की जरूरतों के अनुसार ढाल रहे हैं। यदि उन्हें नीतिगत समर्थन मिले, तो यह उद्यमिता के विकास के लिए एक उत्कृष्ट मंच साबित हो सकता है।"
वित्त मंत्री ने बताया कि पूर्वोत्तर क्षेत्र में 2300 डीपीआईआईटी-मान्यता प्राप्त स्टार्टअप हैं, जिनमें से 69 अकेले मेघालय में हैं। यह महत्वपूर्ण है कि आईआईएम शिलांग जैसे संस्थान क्रॉस-पॉलीनेशन में सहायता करें और सभी पेशेवरों को एक साथ लाएं, ताकि समय-समय पर बेहतर चर्चाओं और अनुपालन संबंधी मुद्दों का समाधान किया जा सके।"
इसके अलावा, वित्त मंत्री ने आईआईसीए नॉर्थ ईस्ट कॉन्क्लेव 2025 में स्टार्टअप एग्जीबिशन का दौरा किया और स्टार्टअप संस्थापकों के साथ बातचीत की। इस दौरान मेघालय के मुख्यमंत्री कोनराड संगमा भी उनके साथ थे।
इस एग्जीबिशन में पूर्वोत्तर क्षेत्र के 39 स्टार्टअप, एफपीओ, वित्तीय संस्थान और इनक्यूबेटर शामिल हुए।
वित्त मंत्री ने कहा कि आईआईसीए नॉर्थ ईस्ट कॉन्क्लेव 2025 एक परिवर्तनकारी आयोजन के रूप में उभर रहा है, जो क्षेत्र की उद्यमशीलता क्षमता को उजागर करेगा और ज्ञान, नीति और साझेदारी के माध्यम से राष्ट्रीय प्राथमिकताओं को स्थानीय आकांक्षाओं के साथ जोड़ेगा।