क्या रिसर्च डेवलपमेंट एंड इनोवेशन स्कीम निजी सेक्टर में आरएंडडी बढ़ाने में मदद करेगी?

सारांश
Key Takeaways
- सरकार ने रिसर्च डेवलपमेंट एंड इनोवेशन स्कीम की घोषणा की।
- यह योजना निजी कंपनियों को निवेश के लिए प्रेरित करेगी।
- फंड रियायती ऋण और इक्विटी के माध्यम से प्रदान किया जाएगा।
- यह योजना उभरते और रणनीतिक क्षेत्रों को विकास और जोखिम पूंजी उपलब्ध कराएगी।
- इससे भारत के अनुसंधान पारिस्थितिकी तंत्र को मजबूती मिलेगी।
नई दिल्ली, 6 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। सरकार ने उच्च जोखिम वाले क्षेत्रों में निजी कंपनियों का निवेश बढ़ाने के लिए रिसर्च डेवलपमेंट एंड इनोवेशन (आरडीआई) स्कीम की घोषणा की है, जहाँ ये कंपनियाँ अब तक झिझकती रही हैं। यह जानकारी एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने दी।
विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग के सचिव अभय करंदीकर ने एनडीटीवी प्रॉफिट से बातचीत में कहा, "यह फंड निजी क्षेत्र के अनुसंधान और विकास में निवेश करेगा, जिसमें कॉरपोरेट्स, उद्योग और डीप टेक स्टार्टअप शामिल हैं।"
करंदीकर ने बताया कि इस योजना के तहत फाइनेंसिंग रियायती ऋण, इक्विटी या दोनों के संयोजन के माध्यम से प्रदान की जाएगी और कंपनियों से अपेक्षित है कि वे परियोजना लागत का आधा हिस्सा स्वयं वहन करें, जबकि शेष राशि कोष से उपलब्ध कराई जाएगी।
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने मंगलवार को एक लाख करोड़ रुपये के बजट के साथ रिसर्च डेवलपमेंट एंड इनोवेशन स्कीम को स्वीकृति दी है, जिसका उद्देश्य भारत के अनुसंधान और नवाचार पारिस्थितिकी तंत्र को मजबूत करना है।
यह योजना निजी क्षेत्र को वित्तपोषण की चुनौतियों पर काबू पाने में सहायता करेगी, साथ ही उभरते और रणनीतिक क्षेत्रों को विकास और जोखिम पूंजी उपलब्ध कराएगी।
अभय करंदीकर ने बताया कि केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा चिन्हित उभरते और रणनीतिक क्षेत्रों में ऊर्जा संक्रमण और जलवायु प्रौद्योगिकी, रोबोटिक्स, ड्रोन, अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी, जैव प्रौद्योगिकी, सिंथेटिक जीव विज्ञान, एआई अनुप्रयोग और डिजिटल अर्थव्यवस्था शामिल हैं।
उन्होंने आगे कहा कि फंड के लिए परिचालन रूपरेखा को अंतिम रूप दिया जा रहा है और इसे कुछ महीनों में लागू किया जाएगा।
इसके अलावा, चीन से दुर्लभ पृथ्वी खनिजों के आयात पर भारत की निर्भरता को कम करने के लिए, करंदीकर ने कहा कि शोधकर्ता सिंगक्रोनस रिलेक्टेंस मोटर्स जैसी दुर्लभ पृथ्वी मुक्त तकनीकों पर स्वदेशी विकल्पों पर काम कर रहे हैं।