क्या मोदी सरकार के कार्यकाल में खेती के लिए बिजली की आपूर्ति बढ़ी है?
सारांश
Key Takeaways
- मोदी सरकार की योजनाओं के तहत किसानों को समय पर लाभ मिल रहा है।
- बिजली की आपूर्ति में सुधार से उत्पादकता बढ़ी है।
- फसलों की एमएसपी में बढ़ोतरी से आमदनी में इजाफा हुआ है।
- सरकार द्वारा आयोजित मेलों से किसानों में जागरूकता बढ़ रही है।
- किसानों के लिए सब्सिडी सीधे उनके खातों में आ रही है।
नई दिल्ली, 27 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। मोदी सरकार के पिछले 11 वर्षों में खेती के लिए बिजली की उपलब्धता में वृद्धि हुई है। इसके साथ ही, गेहूं से लेकर धान और अन्य फसलों की एमएसपी में बढ़ोतरी के कारण किसानों की आमदनी में भी सुधार हुआ है। यह जानकारी 9वें ईआईएमए एग्रीमंच इंडिया 2025 में किसानों द्वारा साझा की गई।
समाचार एजेंसी राष्ट्र प्रेस से बातचीत करते हुए नरेला दिल्ली के किसान अशोक कुमार खत्री ने कहा कि मोदी सरकार की सभी योजनाएँ लाभकारी साबित हो रही हैं। खेती के लिए मिल रहा पैसा समय पर आ रहा है और पेंशन भी सही समय पर मिल रही है। जीएसटी सुधारों के चलते काफी लाभ हुआ है। पहले चीज़ों की खरीदारी में एक लाख रुपए खर्च होते थे, अब वही काम 90,000 रुपए में हो जाता है। इससे सभी को फायदा हो रहा है।
खत्री ने पूसा कैंपस में आयोजित 9वें ईआईएमए एग्रीमंच इंडिया 2025 के बारे में बताया कि यहाँ पर कई प्रकार के बीज, खाद्य और कृषि सामग्री उपलब्ध है, जिससे किसानों को लाभ होगा।
उत्तर प्रदेश के हापुड़ के किसान कंक्षित सिंह ने कहा कि मोदी सरकार के कार्यकाल में किसानों को बहुत सारे लाभ मिले हैं। पहले बिजली की कमी से खेती में समस्या होती थी, लेकिन अब समय पर बिजली मिल रही है, जिससे उत्पादकता में वृद्धि हो रही है।
राजस्थान के चूरू से आए रुकमान सारण ने कहा कि मोदी सरकार किसान हितैषी साबित हो रही है। छोटे किसानों के लिए सब्सिडी अब सीधे उनके खातों में आ रही है, जो एक बड़ी उपलब्धि है।
नरेला के किसान रणबीर खत्री ने कहा कि पिछले 11 वर्षों में मोदी सरकार ने किसानों के लिए कई बड़े बदलाव किए हैं। अब पीएम किसान सम्मान निधि योजना के तहत किसानों को सालाना 6,000 रुपए मिल रहे हैं। इसके अलावा, फसलों की एमएसपी में भी काफी वृद्धि हुई है, जिससे उनकी आमदनी बढ़ी है।
हापुड़ के किसान राहुल चौहान ने कहा कि वर्तमान में सरकार की ओर से किसानों के लिए इस तरह के बड़े मेलों का आयोजन किया जा रहा है। इससे किसानों में जागरूकता बढ़ रही है और नई पीढ़ी खेती की ओर आकर्षित हो रही है।