क्या 'एनएमडीसी' ने इस वर्ष जुलाई में लौह अयस्क उत्पादन में 43 प्रतिशत की शानदार वृद्धि की?

सारांश
Key Takeaways
- 43% वृद्धि - जुलाई में लौह अयस्क उत्पादन में उल्लेखनीय वृद्धि।
- कंपनी की बिक्री में 13% वृद्धि।
- वित्त वर्ष 2030 तक 100 मिलियन टन उत्पादन का लक्ष्य।
- छत्तीसगढ़ और कर्नाटक में खनन क्षेत्र।
- दुनिया के कम लागत वाले उत्पादक में से एक।
नई दिल्ली, 3 अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। भारत का सबसे बड़ा लौह अयस्क उत्पादक राष्ट्रीय खनिज विकास निगम (एनएमडीसी) लिमिटेड की ओर से मिली जानकारी के अनुसार, कंपनी ने इस वर्ष जुलाई में लौह अयस्क उत्पादन में 43 प्रतिशत की वृद्धि की है।
कंपनी का लौह अयस्क उत्पादन बढ़कर 3.09 मिलियन टन (एमटी) हो गया है, जबकि पिछले वर्ष की इसी अवधि में यह 2.17 मिलियन टन था।
एनएमडीसी लिमिटेड ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर साझा की गई जानकारी के अनुसार, बीते महीने जुलाई में कंपनी की लौह अयस्क बिक्री भी 3.46 मिलियन टन तक पहुँच गई, जबकि जुलाई 2024 में यह 3.06 मिलियन टन थी, जो कि 13 प्रतिशत की वृद्धि दर्शाती है।
कंपनी ने अपने आधिकारिक एक्स हैंडल पर एक पोस्ट में लिखा, "एनएमडीसी ने जुलाई में शानदार प्रदर्शन किया, जिसमें उत्पादन में 43 प्रतिशत और बिक्री में 13 प्रतिशत की महत्वपूर्ण वृद्धि दर्ज की गई।"
एनएमडीसी ने आगे बताया, "कंपनी ने दोहरे अंकों की वृद्धि दर दर्ज करते हुए अब तक के अपने सर्वोच्च संचयी आंकड़े भी प्राप्त किए।"
कंपनी ने कहा कि यह उत्कृष्ट प्रदर्शन एनएमडीसी की गुणवत्ता और विकास के प्रति प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
एनएमडीसी भारत सरकार के इस्पात मंत्रालय के अंतर्गत एक नवरत्न सार्वजनिक क्षेत्र का उद्यम है और देश में लौह अयस्क का सबसे बड़ा उत्पादक है। कंपनी छत्तीसगढ़ और कर्नाटक में अत्यधिक तकनीकी रूप से विकसित लौह अयस्क खदानों का संचालन करती है।
एनएमडीसी को विश्व स्तर पर लौह अयस्क के कम लागत वाले उत्पादकों में से एक माना जाता है। कंपनी मध्य प्रदेश के पन्ना में भारत की एकमात्र मशीनीकृत हीरा खदान का भी संचालन करती है।
कंपनी अपनी प्रमुख लौह उत्पादक इकाइयों छत्तीसगढ़ के बैलाडीला क्षेत्र और कर्नाटक के बेल्लारी-होस्पेट क्षेत्र के डोनिमलाई से लगभग 45 मिलियन टन प्रति वर्ष लौह अयस्क का उत्पादन कर रही है। एनएमडीसी का लक्ष्य वित्त वर्ष 2030 तक 100 मिलियन टन लौह अयस्क उत्पादन क्षमता प्राप्त करना है।